सांपों का ‘खास मित्र’ है बस्तर पुलिस का ये जवान, हाथ के इशारों पर नाचते हैं जहरीले नाग…

बस्तर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में जशपुर (Jashpur) और बस्तर (Bastar) को विषधरों की धरती भी कहा जाता है. क्योंकि यहां बड़ी संख्या में सांप (Snake) की अलग-अलग प्रजातियां मिलती हैं. बस्तर हर दिन रहवासी इलाकों में निकलने वाले विषधरों को लोगों से मारने से बचाने के लिए एक पुलिस कर्मी सांप मित्र बनकर लोगों को जहां सांपों की दहशत से बचाता है. साथ ही इंसानों से सांपों की रक्षा कर उन्हें जंगल में छोड़ता है. सांप पकडते समय ये सांप मित्र किसी औजार से नहीं बल्कि हाथों के इशारे से खतरनाक से खतरनाक सांप को अपने वश में कल लेता है. सांप उनके हाथ के इशारों पर नाचते हैं. यही वजह है कि बस्तर के लोग पुलिस जवान को सांप मित्र के नाम से बुलाते हैं.

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दरअसल बस्तर जो घनें वनों का इलाका कहलाता है(actually Bastar, which is called the area of ​​dense forests), जिसका इतिहास रामायण काल(history Ramayana period) से जुड़ा है तो वहीं बस्तर की पहचान दंडकारण्य के रूप में भी है. इसी हरे भरे दंडकारण्य क्षेत्र(penal area) में जहरीलें सांप(poisonous snake) भी पाए जाते हैं. पुलिस विभाग में पदस्थ जवान देवेन्द्र दास(Devendra Das, a Jawan posted in LIS Department) को बचपन से ही सांपों को पकड़ने का शौक है. देवेन्द्र के मुताबिक वे विषधरों को प्रकति का सबसे सुंदर दोस्त बताते हैं. देवेन्द्र बताते हैं कि जब वे दस बरस के थे तभी से सांपों को पकड़ने का काम कर रहे हैं.

55 हजार सांप पकड़ने का दावा(claim to catch 55 thousand snakes)
देवेन्द्र के मुताबिक पुलिस की डयूटी के दौरान भी वे समय निकालकर इन विषधरों को पकड़ने का काम करते हैं. उनके इस काम में विभाग भी बखूबी मदद करता है. सांपों को पकड़ना शौक कहें या फिर सांपों की रक्षा. देवेन्द्र का दावा है कि उसने अब तक 55 हजार के आसपास सांप पकड़ चुके हैं. स्नैक मित्र देवेन्द्र का कहना है कि उनको सांप पकड़ने की कला अपने दादा से मिली. जैसे जैसे समय बीता सांप पकड़ने की बारिकियां पिता से सीखी. देवेन्द्र दास के साथ में सांपों का कुछ ऐसा रिश्ता हो गया है कि जहां कहीं पर भी सांप देखते हैं. सांप उनसे दोस्तों जैसा व्यवहार करने लगते हैं.

हाथ से ही पकड़ते हैं सांप(snakes catch themselves by hand)
देवेन्द्र का कहना है कि सांपों को पकड़ने के लिए वे किसी तरह के औजार आज तक नहीं पकड़े हैं. ऐसा नहीं है कि उन्हें सांप ने डसा न हो. देवेन्द्र की मानें तो उन्हें करीब बीस से पच्चीस दफा सांप डस चुका है. सांप के डसने के निशान उनके दोनों हाथों में है, लेकिन न जानें ऐसा क्या है कि उन्हें कभी कुछ हुआ नहीं. देवेनद्र दास बताते हैं कि जशपुर की तरह बस्तर में भी जलवायु ऐसी है कि यहां पर सबसे ज्यादा सांप पाए जाते हैं. सांपो की अधिकता में बस्तर में सबसे ज्यादा नाग, और किंग कोबरा, अहिराज, करैत, जैसे प्रजाति के सांप पाए जाते हैं.

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