राजनांदगांव– रियासत कालीन जमाने से आज तक राजाओं ने मिट्टी के रावण का वध किया अब श्री बल्देव जी राधा कृष्ण मंदिर समिति सहित रानी सूर्यमुखी देवी राजगामी संपदा न्यास मैं बरसों की परंपरा का निर्वाह करते हुए आज मिट्टी के रावण का वध किया पहले मंदिर समिति ने छोटे मंदिर करत निकालते हुए विजय पताका और निशानी तौर पर परचम लहराकर शहर का भ्रमण किया जिसमें मंदिर समिति के साथ कॉलेज से लगे दरगाह के खादिम भी शामिल हुए यह माना जा सकता है
कि यह कौमी एकता की मिसाल है जो राजाओं के जमाने से आज तक चली आ रही है बरहाल रावण का वध कर दिया जिसके बाद पब्लिक का भी गुस्सा आप फोटो में भुट्टे देख सकते हैं,असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व हर शहर व गांव में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जिले के अधिकांश जगहों पर रावण के पुतले का दहन होता है लेकिन शहर के दिग्विजय कॉलेज परिसर में रावण पुतले का दहन नहीं बल्कि मिट्टी से बने रावण की मूर्ति का वध किया जाता है वह भी राजाओं के अस्त्र शस्त्रों से यह परंपरा राजाओं के समय से तकरीबन दो ढाई सौ वर्षो से भी अधिक समय से चली आ रही है।
इसकी खास बात यह है कि मिट्टी की रावण की मूर्ति राजाओं के समय से केवट जाति के लोग ही बनाते आ रहे हैं यह परंपरा भी पुरखों के जमाने से चली आ रही है जहां पिता के बाद पुत्र ही मूर्तियों का निर्माण करते हैं आज भी उनके द्वारा ही पुरानी परंपराओं के अनुसार मिट्टी से रावण की मूर्ति बनाई जा रही है बरसो से इसका आयोजन दिग्विजय कॉलेज परिसर स्थित है बलदेव राधा कृष्ण मंदिर समिति द्वारा किया जाता है।
वही इस मिट्टी के रावण के मूर्ति का निर्माण कर रहे समय लाल ढीमर ने बताया कि उनकी कई पीढ़ी राजाओं के समय से दशहरे के दिन मिट्टी से रावण का निर्माण करते हैं उसके बाद विधि-विधान के साथ रावण का वध किया जाता है। वही मूर्ति का निर्माण कर रहे समय लाल दिव्यांग होने के बावजूद भी अपनी परंपराओं को निभाते हुए मिट्टी के रावण का निर्माण कर रहे हैं उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से आ रही परंपरा के अनुसार है उनके पूर्वज राजाओं के जमाने से ही रावण की मूर्ति बनाते हैं उसी का अनुसरण करते हुए वह मिट्टी के रावण की मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं।