- 24 अप्रैल, 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना के तहत ई-संपत्ति कार्ड्स के वितरण कार्य का शुभारंभ किया.
04.09 लाख संपत्ति मालिकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस स्वामित्व योजना के तहत ई-संपत्ति कार्ड्स के वितरण के दौरान अपने ई-संपत्ति कार्ड प्राप्त किए.
इस लॉन्च कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने जागरूकता पैदा करने और कोरोना वायरस को गांवों में प्रवेश करने से रोकने के लिए पंचायतों के नेतृत्व के प्रयासों की भी सराहना की.
प्रधानमंत्री मोदी ने आग्रह किया कि, सभी पंचायतें कोविड -19 के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए ‘दवाई भी, कड़ाई भी’ के मंत्र का पालन करेंगी. उन्होंने पंचायतों से यह भी आग्रह किया कि, पंचायतें अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित करें कि केंद्र द्वारा निर्धारित सभी दिशा-निर्देशों का पालन गांवों में किया जाए.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को स्वामित्व योजना से अत्यधिक लाभ होगा. उन्होंने ग्राम पंचायतों के लिए की गई कुछ पहलों के बारे में भी बात की जैसेकि, केंद्र ने ग्रामीण विकास परियोजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ग्राम पंचायतों के सुदृढ़ीकरण और ई-ग्राम स्वराज को बढ़ावा देने के लिए 02 लाख 25 हजार करोड़ रुपये दिए थे.
स्वामित्व योजना के बारे में-
24 अप्रैल, 2020 को इस स्वामित्व (ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की तकनीक के साथ गांवों और मानचित्रण का सर्वेक्षण) योजना को एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के तौर पर शुरू किया गया था. इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था.
यह स्वामित्व योजना सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत को विकसित करने के लिए शुरू की गई थी. यह स्वामित्व योजना ग्रामीण क्षेत्रों के मानचित्रण और सर्वेक्षण के लिए ड्रोन तकनीक जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों का उपयोग करती है.
इस योजना का प्रमुख चरण हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान और पंजाब के चयनित गांवों में शुरू किया गया है.
वर्ष, 2021-2025 के दौरान, देश के लगभग 6.62 लाख गांवों को इस योजना के तहत कवर करने की उम्मीद जताई जा रही है.
स्वामित्व योजना के उद्देश्य
• ग्रामीण भारत के लोगों को ऋण सहित अन्य कई वित्तीय लाभों के लिए अपनी संपत्ति का उपयोग करने के लिए सशक्त बनाना.
• ग्रामीण लोगों के बीच कानूनी मुद्दों और संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना.
• सर्वे इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित ऐसे GIS मैप्स बनाए जायें जो किसी भी विभाग द्वारा उपयोग किए जा सकते हों.
• GIS मानचित्रों का उपयोग करके बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) तैयार करने में सहायता प्रदान करना.
• सटीक भूमि रिकॉर्ड और बेहतर ग्रामीण नियोजन किया जा सके.
• संपत्ति कर का निर्धारण करने में सहायता.