अमेरिका ने अपनी इस सूची में भारत के साथ अन्य 10 देशों को शामिल किया है और इन देशों में चीन को भी शामिल किया गया है. अमरीका ने आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया है कि इन देशों में बौद्धिक संपदाओं और उनके प्रवर्तन ने अमरीकियों की न्यायोचित बाजार पहुंच को हानि पहुंचाई है. इस सूची में शामिल अन्य देश अर्जेंटीना, अल्जीरिया, चिली, रूस, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, वेनेज़ुएला और यूक्रेन हैं. इस सूची से कनाडा, कुवैत और थाईलैंड के नाम हटा दिए गए हैं
अमेरिका के अनुसार, भारत में बौद्धिक संपदा अर्थात इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज (आईपी) चुनौतियों ने अमरीकी व्यापारियों के लिए इस देश में पेटेंट हासिल करना, कायम रखना और उसे लागू करना मुश्किल कर दिया है. यह समस्या दवा अर्थात फार्मास्यूटिकल उद्योगों में बहुत अधिक है. अमेरिका ने यह भी शिकायत की है कि भारत ने राज्य में फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस जारी करने में पारदर्शिता को सीमित कर दिया है.
अमेरिका के अनुसार, फार्मास्यूटिकल्स के अलावा, भारत की कृषि रासायनिक उत्पाद प्रणाली में भी चुनौतियां थीं. ऐसे अन्य मामलों में व्यापार गोपनीयता चोरी, ऑनलाइन चोरी, ट्रेडमार्क की रक्षा करने में बाधाएं, नकली सामानों का निर्यात, उच्च मात्रा में विनिर्माण भी शामिल हैं
विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार संगठन के अनुसार, बौद्धिक संपदा में साहित्यिक और कलात्मक कार्यों, प्रतीकों, नामों और छवियों का निर्माण शामिल है. चार प्रमुख बौद्धिक संपदा अधिकारों में अविष्कार, भौगोलिक संकेत, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन शामिल हैं.