अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से असम के 306 गांवों में 2,500 से अधिक सूअर मारे जा चुके हैं।
चीन में यह प्रकोप पहले से ही चल रहा है, जिस कारण वहां के करीब 40 प्रतिशत सूअरों का सफाया हो चुका है।
असम के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने ने कहा, ‘राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल ने पुष्टि की है कि यह अफ्रीकन स्वाइन फ्लू है।
वहां पर 2019 की गणना के अनुसार सुअरों की संख्या करीब 21 लाख थी अब 30 लाख हो गई है।
कहा कि राज्य सरकार, केंद्र से मंजूरी होने के बाद भी सूअरों को मारने के बजाय कोई अन्य रास्ता अपनाएगी।
मनुष्यों पर वायरस का असर नहीं?
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का कोरोना से कोई संबंध नहीं है। इंसानों पर इसका असर नहीं होता।
यह वायरस इंसानों के जरिए भी फैल रहा है। हालांकि, इंसानों को इससे कोई नुकसान नहीं होता।
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू भारत कैसे पहुंचा?
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू पिछले साल अप्रैल में चीन के शिजांग से शुरू हुआ था।
शिजांग की सीमा अरुणाचल प्रदेश से लगती है।
यह आशंका है कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का वायरस पहले अरुणाचल प्रदेश पहुंचा और फिर असम में आ गया।
ज्यादातर आवारा सुअर संक्रमित पाए गए हैं, लेकिन फार्मों वाले सुअरों में भी इन्फेक्शन मिला है।