दुर्ग। रविवार को कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या में गिरावट आई है। इस दिन 1282 मरीज पॉजिटिव आए। पाजिटिव मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें 20 से 40 वर्ष की आबादी का प्रतिशत 44 है। इस आयु वर्ग के 562 मरीज चिन्हांकित किये गये हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के केवल 112 मामले सामने आए हैं यह कुल मामलों का लगभग 8 फीसदी है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ग की आबादी जिले में लगभग 10 फीसदी है। यह वही आबादी जिसकी प्रतिरोधक क्षमता सबसे कम होती है और कोमार्बिडी सबसे अधिक। इनमें से अधिकांश बुजुर्गों को प्रथम चरण का टीका लग चुका है और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें दूसरे चरण का टीका भी लग गया है। बच्चों के केस पर नजर डालें तो दस वर्ष तक के 41 बच्चे कल की रिपोर्ट में संक्रमित आये हैं। प्रायः देखा गया है कि कोविड का गंभीर संक्रमण छोटे बच्चों पर नहीं होता लेकिन बच्चे सुपर स्प्रेडर होते हैं अर्थात वे इस बीमारी का संक्रमण फैलाने के बड़े कारक बन सकते हैं। इनकी वजह से परिवार के कम प्रतिरोधक क्षमता वाले और बुजुर्ग लोग भी कोविड संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।
परिजनों को चाहिए कि बच्चों को घर पर ही रखें। इसी तरह से युवा वर्ग को भी बेहद एहतियात रखने की जरूरत है। जिले में संक्रमण की दर घटी है। नागरिकों के संयम से और लाकडाउन के पूरी तरह पालन से कोरोना संक्रमण की रोकथाम की दिशा में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि इस बार देखा गया है कि परिवार के किसी एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर थोड़ी सी चूक भी बरतने पर परिवार के सभी सदस्यों को संक्रमण का शिकार होते देखा गया है अतएव पूरी सावधानी जरूरी है।
मास्क का प्रयोग और हाथ साबुन से समय-समय पर धोते रहना जरूरी है। छह फीट की दूरी का पूरी तरह पालन करना जरूरी है। कई बार यह देखा जाता है कि बिना मास्क पहने या मास्क पहनकर भी लोग बिल्कुल पास आकर बात करते हैं दूरी का पालन होने से संक्रमण से बचने की संभावना बढ़ जाती है । इसके बाद भी यदि कोरोना के लक्षण महसूस करते हों या कोरोना पाजिटिव मरीज के निकट संपर्क में आये हैं तो टेस्ट तुरंत कराना चाहिए। ऐसे लक्षण महसूस होने पर रोग निरोधी किट जो प्रशासन द्वारा प्रदान की जाएगी, उसका उपयोग करना आवश्यक है ताकि संक्रमण को प्रारंभिक चरण में ही रोका जा सके।
यह बिल्कुल ध्यान रहें कि संक्रमण का पहला लक्षण आते ही टेस्ट कराएं और रोग निरोधी किट का इस्तेमाल शुरू करें- कोरोना संक्रमण को थामने के लिए यह आवश्यक है कि प्रारंभिक लक्षण उभरते ही टेस्ट कराना चाहिए, शुरूआती दौर में टेस्ट करा लेने से दवा आरंभ करने पर इस बात की पूरी संभावना है कि संक्रमण का असर घटने लगे।