1 /6 छत्तीसगढ़ में सुपोषण अभियान को मिली बड़ी सफलता : 67 हजार से अधिक बच्चे हुए कुपोषण से मुक्त
छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है। वर्ष 2019 में किये गये वजन त्यौहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे, इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं। इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है। जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है।
2 /6 मुख्यमंत्री ने बाल मैगजीन माइंडराइड का किया विमोचन
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित मासिक बाल मैगजीन माइंडराइड का विमोचन किया। अंग्रेजी भाषा की बाल मैगजीन माइंडराइड की सम्पादक और प्रकाशक प्रियंका अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि इसमें 7 से 14 वर्ष के बच्चों की रुचियों और ज्ञानवर्धन को ध्यान में रखा है। मैगजीन में प्रेरणादायी कहानियों, स्वास्थ्य, विज्ञान के आविष्कार, सामान्य ज्ञान, करेंट अफेयर्स तथा बाल जीवन से जुड़े अन्य विषयों के लेख प्रकाशित किये गए हैं। बच्चों ने भी इसमें लेख लिखे हैं।
3 /6 अंग्रेजी मीडियम का पहला सरकारी स्कूल बनेगा धरमपुरा में
दिल्ली सरकार की राजकीय प्रतीभा विकास विद्यालयों की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों जैसी सुविधाओं वाला प्रदेश का पहला अंग्रेजी माध्यम स्कूल धरमपुरा में खोला जा रहा है। करीब 12 करोड़ की लागत से दो एकड़ क्षेत्र में स्कूल का कैंपस होगा। भूतल सहित चार मंजिल की स्कूल बिल्डिंग होगी। राज्य सरकार ने स्कूल के लिए तीन जगह देखी, लेकिन उनमें सबसे ज्यादा उपयुक्त धरमपुरा लग रहा है। इसलिए इसे फाइनल किया गया है।
4 /6 ’प्रवासी खाद्य मित्र’ एप से जिनके पास राशनकार्ड नहीं उन्हें भी मुफ्त मिलेगा दो माह का खाद्यान्न मुफ्त
विभिन्न राज्यों से वापस आ रहे ऐसे श्रमिकों एवं व्यक्तियों को जिनके पास किसी भी योजना के अंतर्गत राशनकार्ड नहीं है, उन्हें भी मई एवं जून माह में प्रति सदस्य पांच किलो खाद्यान्न और एक किलो चना प्रति परिवार प्रति माह निःशुल्क दिया जाएगा। इसके पंजीयन के लिये खाद्य विभाग ने ’प्रवासी खाद्य मित्र’ एप जारी किया है।
5 /6 छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना दिवस पर 17 जून को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से आयोग द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना दिवस पर 17 जून को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से आयोग द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में बाल अधिकारों के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों का समाधान और बच्चों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने कहा कि राज्य सरकार बाल अधिकारों के संक्षरण के प्रति सजग है। राज्य सरकार द्वारा कोविड 19 के संक्रमण से बच्चों को बचाने और अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों के बच्चों को संक्रमण से बचाते हुए भोजन, आवास आदि उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए आवागमन के साधन भी मुहैय्या कराया गया। दुबे ने बच्चों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयासों को सर्वप्रमुखता से अपनाने की अपील की है।
6 / 6 ‘रोका-छेका’ से बचेगी फसल, बढ़ेगी किसानों की इनकम
छत्तीसगढ़ में परंपरागत कृषि प्रणालियों को पुनर्जीवित करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार ने सभी गांवों में “रोका-छेका” पद्धति को प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित किए जा रहे गोठानों को अधिक उत्पादक बनाने तथा खुले घूम रहे पशुओं की वजह से होने वाली फसल क्षति को रोकने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।
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