दुर्ग। भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के प्राणीशास्त्र विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया | वेबिनार का शीर्षक “जूलॉजी की सीमा और महत्व की खोज” था।वेबिनार का परिचय तथा मुख्य वक्ता का परिचय प्रभारी डीन ऑफ साइंस डॉ. समन सिद्दीकी ने दिया। वेबीनार के प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. जी चेल्लादुराई, असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ़ जूलॉजी ,जी वेंकट स्वामी नायडू कॉलेज, कोविलपट्टी थे।
डॉ. जी चेल्लादुराई ने प्राणीशास्त्र अध्ययन के विस्तृत क्षेत्र और समकालीन वैज्ञानिक प्रयासों में इसके महत्वपूर्ण महत्व पर एक व्यावहारिक अन्वेषण प्रदान किया। उन्होंने अंतः प्राणीशास्त्र की विषय प्रकृति पर जोर देते हुए पारिस्थितिकी, शरीर विज्ञान, वर्गीकरण और आणविक जीव विज्ञान तक फैले क्षेत्र के व्यापक दायरे पर प्रभावी ढंग से प्रकाश डाला।
प्रतिभागियों को वन्यजीव संरक्षण से लेकर पशु चिकित्सा विज्ञान तक, प्राणीशास्त्र के भीतर असंख्य कैरियर के अवसरों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई और प्राणीशास्त्र अनुसंधान में नवीनतम सफलताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रस्तुतियों ने न केवल चिकित्सा और पर्यावरण विज्ञान जैसे क्षेत्रों में प्राणीशास्त्र के अंतःविषय योगदान को प्रदर्शित किया, बल्कि लुप्तप्राय प्रजातियों की जटिल व्यवहार पारिस्थितिकी और शारीरिक अनुकूलन के अंतर्निहित आणविक तंत्र पर भी प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता ने प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रतिभा कुरुप, विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग ने दिया। प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया अत्यधिक सकारात्मक थी, कई लोगों ने कार्यक्रम की जानकारीपूर्ण सामग्री और आकर्षक प्रारूप की सराहना की।
उपस्थित लोगों ने प्रस्तुतियों की स्पष्टता, विषयों की प्रासंगिकता और चर्चाओं के दौरान प्राप्त मूल्यवान अंतर्दृष्टि पर ध्यान दिया।
इस अवसर पर विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, शोधार्थी और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।