दुर्ग - भारती विश्वविद्यालय दुर्ग में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। विशेष व्याख्यान के अंतर्गत समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ. स्नेह कुमार मेश्राम द्वारा विश्व मानवाधिकार दिवस पर मानव मात्र के समाज में अवसरों व व्यवहार में समानता, सम्मान, सुरक्षा,
स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे मूलभूत मानवाधिकारों के संबंध में विस्तार पूर्वक विश्लेषण किया जो संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में उल्लेखित हैं तथा भारतीय संविधान में भी जिन्हें मौलिक अधिकारों एवं राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में शामिल किया गया है यथा संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में जो अनुच्छेद 36 से 51 तक हैं, इनमें सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, काम का अधिकार, रोजगार चयन का अधिकार, बेरोजगारी के विरुद्ध सुरक्षा, समान काम तथा समान वेतन का अधिकार, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार तथा मुक्त कानूनी सलाह का अधिकार आदि शामिल है।
इन्होंने बताया कि मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 में केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गठन की रूपरेखा तय की गई जिसके आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अस्तित्व में आया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करना था ताकि वे एक सशक्त एवं जिम्मेदार नागरिक की भूमिका अदा कर सकें तथा समाज एवं राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका संपादित करें।
कार्यक्रम से बड़ी संख्या में विद्यार्थी लाभान्वित हुए। आयोजन में प्राध्यापकगण श्रीमती हेमलता चंद्राकार, दुर्गा श्रीवास्तव, डॉ. निहारिका परिहार, डॉ. माया सोनकर, नीलम त्रेहान आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. रोहित कुमार वर्मा तथा श्री जयंत बारिक का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।