धमतरी पुलिस बनी ‘कलाकार’, शॉर्ट फिल्म दिखाकर करेगी अपराध पर नियंत्रण…

धमतरी। छत्तीसगढ़ की धमतरी पुलिस ने अब अपराधों पर लगाम लगाने के लिए फिल्में बनाने का एक अनोखा तरीका अपनाया है। पुलिस विभाग स्थानीय स्तर पर लघु फिल्में बना रहा है। फिर इस फिल्म को सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। उद्देश्य जागरूकता लाने और अपराध को होने से पहले ही उसकी संभावना खत्म कर दी जाए। चोरी, हत्या, डकैती, बलात्कार, दुष्कर्म, सट्टेबाजी और जुआ ऐसे अपराध हैं जो आमतौर पर हर जिले में पुलिस का पीछा नहीं छोड़ते हैं। पुलिस टीम आमतौर पर जांच, पता लगाने, गिरफ्तारी और फिर कोर्ट कचहरी में व्यस्त रहती है।

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यहां इस तरह के रोज नए मामले भी आते रहते हैं। यह चलन दशकों से चला आ रहा है और मनमाने अपराधों की जांच और कार्रवाई का बोझ पुलिस पर इतना है कि इसके अलावा कोई भी रचनात्मक काम करने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। लेकिन धमतरी पुलिस ने इसे अंजाम दिया है। पुलिस ने अब कुछ ऐसा करने की सोची है जिससे अपराध होने से पहले ही उसे रोका जा सके। इसके लिए अब शॉर्ट मूवी की मदद ली जा रही है।

बाल तस्करी पर पहली फिल्म
बाल तस्करी को लेकर जिला पुलिस ने पहली फिल्म बनाई है। इसे 72 घंटे का नाम दिया गया है, यह लगभग 10 मिनट की फिल्म है। यह दिखाता है कि कैसे अपराधी पहले छोटे बच्चों का अपहरण करते हैं, फिर या तो फिरौती वसूलते हैं या बेच देते हैं। इस फिल्म में बच्चों के मोबाइल की लत को भी दिखाया गया है। इस फिल्म का सार यह है कि अगर जागरूकता और जागरूकता सभी लोगों में आती है, तो कोई भी अपराधी कानून के पंजे से बच नहीं सकता है।

एएसपी से लेकर कांस्टेबल तक की भूमिका
72 घंटे नामक इस फिल्म में, अपराध के बाद, अपराधी 72 घंटों के भीतर पकड़े जाते हैं। इस फिल्म में, धमतरी के थिएटर कलाकारों ने अतिरिक्त एसपी मनीषा ठाकुर के रूप में काम किया है और पुलिस विभाग से भी एसपी की भूमिका निभाई है। साथ ही, एक एसआई और एक एएसआई ने भी पुलिस अधिकारियों की भूमिका निभाई है। पेशेवर कलाकारों के साथ पुलिस अधिकारी भी प्रदर्शन में कम नहीं दिख रहे हैं।

अपराध की संभावना खत्म हो
एडिशनल एसपी मनीषा ठाकुर रावटे  ने बताया कि फिल्मों के माध्यम से हम जागरूकता लाना चाहते हैं ताकि ऐसा होने से पहले अपराध को रोका जा सके। यहां तक ​​कि अगर कोई अपराध हो भी जाए, तो अपराधी जल्द ही सलाखों के पीछे पहुंचाए जाएंगे। जहां तक ​​फिल्म बनाने की लागत का सवाल है, तो मनीषा ठाकुर रावटे  ने कहा कि शासन से मिलने वाले प्रचार प्रसार मद का पैसा इसमें खर्च किया जा रहा है। स्थानीय कलाकारों और संस्थानों की मदद भी ली जा रही है।

प्रयोग जारी रहेगा
धमतरी के पुलिस अधीक्षक बीपी राजभानु ने कहा कि आगे भी ऐसी फिल्में पुलिस द्वारा बनाई जाएंगी। अगर यह तरीका काम करता है तो यह न केवल पुलिस के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होगा।

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