पाॅजिटिव मरीज के निगेटिव हो जाने से मिलने लगे सकारात्मक संकेत, जिला प्रशासन की तत्परता और स्वास्थ्य विभाग की मेहनत रंग लाई..

बागबाहरा के भदरसी गांव का रहने वाला मजदूर बाराबंकी उत्तरप्रदेश से लौटा था, क्वारंटीन अवधि में ही उसके पाॅजिटिव होने की पुष्टि होने पर रातों-रात उसे उपचार के लिए भेजा गया राजधानी स्थित माना अस्पताल

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महासमुंद 07 जून 2020/ रविवार का दिन जिले के लिए राहत भरा रहा। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तत्परता के चलते पहला प्रकरण सामने आया जो कोरोना को मात दे गया। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बागबाहरा विकासखंड के ग्राम भदरसी का रहने वाला व्यक्ति 23 मई 2020 को बाराबंकी उत्तरप्रदेश से लौटा था। लौटते ही उसे स्थानीय प्रशासन ने भदरसी के क्वारंटीन केन्द्र में 14 दिवस के लिए निगरानी में रखा गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 28 मई 2020 को उसके स्वाब के नमूने जांच के लिए एम्स भेजे गए और 31 मई 2020 को उसके कोविड-19 पाॅजिटिव होने की पुष्टि हुई। सूचना मिलते ही राज्य शासन एवं जिला प्रशासन ने प्रकरण को संज्ञान में लिया। उस व्यक्ति को तत्परता से 31 मई 2020 की रात में ही उपचार के लिए राजधानी स्थित माना अस्पताल भेजा गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उपचारित व्यक्ति कोविड 19 से जंग जीत कर सकुशल लौटा है। जिसे जिले में ही 07 दिवस निगरानी में रखा गया है। ज्ञात हो कि इस बात से न केवल संबंधित संदिग्ध मरीज के परिजन, बल्कि जिलेवासियों में भी खुशी की लहर है। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तत्परता के चलते अब जिले में कोविड 19 पाॅजिटिव प्रकरणों के स्वस्थ होकर घर वापस लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

जिले में वैश्विक महामारी के इस आपातकाल दौर में जिला प्रशासन द्वारा जरूरतमंदो तक हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में सामाजिक निगमित दायित्व के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत् चयनित महिला स्व-सहायता समूह के सहयोग से 600 लीटर सेनेटाईजर का निर्माण कराकर आम जनों को उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा हैं, ताकि महासमुंद में सामाजिक स्तर पर वैश्विक महामारी से लड़ने की क्षमता आ सकें। वर्तमान समय में जहां लोग घर से बाहर निकलकर काम करने को तैयार नही है, वहीं महासमुंद विकासखण्ड की महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा इस जानलेवा वायरस से बचाव के लिए पूरी तत्परता के साथ कार्य कर रही हैं। महिला स्व-सहायता समूहों के द्वारा सेनेटाईजर का निर्माण किया जा रहा है और उसे कम से कम कीमत में विक्रय करने का कार्य कर रही है।

कोरोना से संक्रमण का सबसे अधिक खतरा उनको है, जो संवेदनशील इलाकों और परिस्थितियों में स्वास्थ्य परीक्षण, निगरानी और प्रबंधन सहित कानून व्यवस्था के सुचारू संचालन की कवायद में जुटे हुए हैं। राज्य शासन एवं जिला प्रशासन को उनकी सुरक्षा का भी ख्याल है। इसी कड़ी में 07 जून 2020 से एहतियात के तौर पर रोजाना कोरोना वायरस से सामना करने वाले प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य महकमे से आपालकालीन सेवाओं में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों सहित जनप्रतिनियों और कोविड-19 के प्राथमिक संपर्क यानि प्रायमरी कान्टेक्ट में आने वाले लोगों को हाइड्राक्सी क्लोराक्वीन की टेबलेट खिलानी शुरू की गई। उल्लेखनीय है कि यह वही दवा है जो तकरीबन सौ वर्ष पूर्व मलेरिया जैसी बीमारियों के उपचार के लिए ईजाद की गई थी। हालांकि यह कोविड 19 की बीमारी या उपचार के लिए पूर्णतः सटीक व कारगर नहीं मानी जाती हैं, किन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष में विशेषज्ञों की राय के आधार पर इसका उपयोग शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।


इस संबंध में हाल ही में जिले में तैयारियों का जायजा लेने आए राज्य के उच्च स्तरीय अधिकारियों में ओएसडी श्री वेंकट राहुल, विश्व स्वास्थ्य संगठन से डाॅ. प्रणीत कुमार एवं जिला प्रभारी डाॅ वायके शर्मा ने महासमुंद के जिला चिकित्सालय सहित कन्टेन्मेंट जोन बागबाहरा एवं क्वारंटीन केन्द्रों का भ्रमण किया था। इसके उपरांत राज्य स्तरीय दल ने कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल से मुलाकात कर चर्चा की और इस दौरान हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन दवा खिलाए जाने पर विचार किया गया। इस तारतम्य में कलेक्टर श्री गोयल के निर्देश के परिपालन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा भंडारण कर रविवार से ही संबंधितों को दवा खिलानी शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार विशेषज्ञों की राय एवं उचित देख-रेख में आयु-वर्ग व शरीरिक क्षमता और आवश्यकतानुरूप दवा का सेवन कराया जाएगा।