भारत में राफेल की दूसरी खेप 04 नवंबर 2020 को पहुंच चुकी है. इसके साथ ही भारत की वायु सेना की ताकत बढ़ गई है. तीनों राफेल विमान फ्रांस से उड़ान भरने के बाद रास्ते में रुके बिना भारत पहुंच गये हैं. राफेल विमानों का दूसरा जत्था फ्रांस से उड़ान भरने के बाद बिना रुके 04 नवंबर 2020 की रात 8:14 बजे भारत आया.
इससे पहले पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई 2020 को भारत पहुंचा था. इन्हें 10 सितंबर 2020 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. इन तीन विमानों की लैंडिंग के साथ ही भारत में राफेल लड़ाकू विमानों की संख्या 8 हो गयी है. राफेल विमानों ने लगभग 3700 नॉटिकल मील यानी 6852.4 किमी की दूरी तय की.
राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती
राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती पहले ही की जा चुकी है. लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअव कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच उन्हें लद्दाख में तैनात किया गया. राफेल के लिए अलग-अलग बैच में भारतीय वायुसेना के पायलटों को फ्रांस में ट्रेनिंग दी जा रही है.
अप्रैल तक मिल जाएंगे 21 राफेल
भारत को अगले साल अप्रैल तक कुल 21 राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से मिलेंगे. आज तीन विमानों की लैंडिंग के साथ ये 8 हो जाएंगे. भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए सौदा किया है. 21 राफेल विमानों की डिलीवरी के साथ ही भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में अभूतपूर्व इजाफा होगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
राफेल के लिए अलग-अलग बैच में भारतीय वायुसेना के पायलटों को फ्रांस में प्रशिक्षित किया जा रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहले बेड़े को वायुसेना में शामिल किए जाने के मौके पर राफेल विमानों को गेम चेंजर बताया था. उनका कहना था कि राफेल के साथ वायुसेना ने टेक्नोलॉजी के स्तर पर बढ़त हासिल कर ली है. यह नवीनतम हथियारों और सुपीरियर सेंसर से लैस लड़ाकू विमान है. इनमें से आधे विमान अंबाला एयरबेस और आधे पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस पर रखे जाने हैं.
राफेल विमान की खासियत
राफेल विमान कई खूबियों से लैस है. यही वजह है कि इसको दुनिया के कुछ ताकतवर फाइटर जेट में शामिल किया जाता है. ये विमान 1800 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचने में सक्षम है.
राफेल के अचूक निशाने से दुश्मन किसी तरह नहीं बच सकता. राफेल विमान अपने साथ कई मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है. राफेल विमान हिमालय के ऊपर बेहद सर्द मौसम में भी उड़ान भरने में सक्षम है. इस तरह की खासियत हर लड़ाकू विमान में नहीं होती है.
राफेल विमान स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है. इसका अर्थ है कि यह दुश्मन के राडार को चकमा देने के ताकत रखता है. इन विमानों को अब हैमर मिसाइलों से भी लैस किया जाएगा. इन मिसाइलों की खासियत है कि नो स्केप जोन में अगर कोई भी लड़ाकू विमान दिखाई दिया तो ये विमान उसको भी मार गिरा सकेगा.
राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है. इस विमान का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है. इस विमान में हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है, इसलिए ये एक ही समय में अधिक दूरी तय कर सकता है.
source- jagranjosh.com