योग दिवस विशेष : योग से शरीर व मन को रखे निरोगी, योग के फायदे (लाभ), योग के नियम, आसन व प्राणायाम का महत्व…

योग शब्द की उत्पत्त‍ि संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं।  

हिन्दू धर्म में साधु, संन्यासियों व योगियों द्वारा योग सभ्यता को शुरू से ही अपनाया गया था, परंतु आम लोगों में इस विधा का विस्तार हुए अभी ज्यादा समय नहीं बीता है। बावजुद इसके, योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।  योग की प्रामाणिक पुस्तकों जैसे शिवसंहिता तथा गोरक्षशतक में योग के चार प्रकारों का वर्णन मिलता है –
मंत्रयोग, जिसके अंतर्गत वाचिक, मानसिक, उपांशु आर अणपा आते हैं। 
2 हठयोग 
3 लययोग
4 राजयोग, जिसके अंतर्गत ज्ञानयोग और कर्मयोग आते हैं। 

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व्यापक रूप से पतंजलि औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं। पतंजलि के योग, बुद्धि नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है, जिसे राजयोग के रूप में जाना जाता है। पतंजलि के अनुसार योग के 8 सूत्र बताए गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं – 

1 यम – इसके अंतर्गत सत्य बोलना, अहिंसा, लोभ न करना, विषयासक्ति न होना और स्वार्थी न होना शामिल है।
2 नियम – इसके अंतर्गत पवित्रता, संतुष्ट‍ि, तपस्या, अध्ययन, और ईश्वर को आत्मसमर्पण शामिल हैं।
3 आसन – इसमें बैठने का आसन महत्वपूर्ण है 
4 प्राणायाम – सांस को लेना, छोड़ना और स्थगित रखना इसमें अहम है।
5 प्रत्याहार – बाहरी वस्तुओं से, भावना अंगों से प्रत्याहार। 
6 धारणा – इसमें एकाग्रता अर्थात एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है।
7 ध्यान – ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन इसमें शामिल है।
8 समाधि – इसमें ध्यान की वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना शामिल है। इसके दो प्रकार हैं- सविकल्प और अविकल्प। अविकल्प में संसार में वापस आने का कोई मार्ग नहीं होता। अत: यह योग पद्धति की चरम अवस्था है।  भगवद्‍गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं वे निम्न हैं- 
1 कर्मयोग – इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है।

2 भक्ति योग – इसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है।

3 ज्ञान योग –  इसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है।

वर्तमान में योग को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल में 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी और 21 जून 2015 को प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।माना जाता है 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है।और योग भी मनुष्य की आयु को बढ़ाता है।प्रथम बार विश्व योग दिवस के अवसर पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल थे।


इस अवसर पर दिल्ली में एक साथ 35985 लोगों ने योग का प्रदर्शन किया, जिसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे और भारत ने दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया। पहला रिकॉर्ड एक जगह पर सबसे अधिक लोगों के योग करने का बना, तो दूसरा एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने का।

शरीर मन और आत्मा को नियंत्रित करने में योग मदद करता है, योगा तनाव और चिंता से मुक्त कर आराम से रहने में  है, योगा शरीर में लचीलापन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता हैं। 


योग के फायदे (लाभ)

1. मांसपेशियों के लचीलापन में सुधार

2. बेहतर पाचनतंत्र प्रदान करता हैं।

3. आंतरिक अंगों को मजबूत कर अस्थमा, मधुमेह,हृदय सम्बन्धित समस्या जैसे विभिन्न रोगों को ठीक करता हैं।

4. त्वचा में चमक, शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाता हैं।

5. वजन घटाता है, तथा ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ता हैं।


योग के नियम:-

1. योग को सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के बाद करना चाहिए।

2. योगासन में हल्का वार्मअप करना जरूरी होता हैं ,ताकि शरीर खुल जाए।3. योगा की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से करनी चाहिए।

4.  योग खाली पेट ही करनी चाहिए।

5. हमेशा आरामदायक कपड़े पहन कर ही योगा करनी चाहिए।

6. योगा साफसुथरा और आरामदायक जगह में करनी चाहिए।

7. योगा में सांस लेने और छोड़ने का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

8. योगा के दौरान ठण्डे पानी न पियें क्योंकि योगा करते समय शरीर गर्म हो जाता हैं।

9.योगा करने के उपरांत स्नान अवश्य करना चाहिए।

योगा के लिए आवश्यक चीजें:-

1. साफ और आरामदायक योगा मेट

2. आरामदायक कपड़ें

3.साफ पानी का बोतल 


आसन व प्राणायाम का महत्व


योग वह इलाज हैं जिसका प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास किया जाए , तो यह बीमारियों से धीरे-धीरे छुटकारा पाने में सहायता करता हैं ।यह हमारे शरीर मे कई सारे सकारात्मक बदलाव लाता हैं ।योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपालभारति जैसे योग क्रियाएं शामिल है
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि योग एक चमत्कार हैं और अगर इसे किया जाए तो यह आपके पूरे जीवन का मार्गदर्शन करेगा। प्रतिदिन 20 – 30 मिनट  योग आपके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन और बढ़ावा  आपके जीवन को हमेशा के लिए बदल सकता हैं।

Picture by- Ms Rinky Bairagi ( yoga student)