राजनांदगांव जिले सहित अंचल की महिलाओ ने आवला नवमी का पर्व परम्परागत तरीके से श्रध्दा भक्ती के साथ मनाया इस मौके पर महिलाओ ने आवला वृक्ष मे रक्षा सूत्र बाधा और झूलाझूल कर आनंद उठाया ।
भारतीय सनातन मे पुत्र रत्न की प्राप्ती और सुख समृध्दि के लिए महिलाए आवला नवमी की पूजा को महत्व पूर्ण माना गया है । इसके चलते कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाए आवला वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना की पूर्ति करती है इसी तारतम्य मे आज महिलाओ ने विधी विधान से आवला वृक्ष की पूजा अर्चना की और पेड मे रक्षा सुत्र बाधकर सुख समृध्दि की कामना की ।इस अवसर पर महिलाओ ने आवला वृक्ष की छाया मे बैठकर भोजन ग्रहण किया ।
आवला नवमी के मौके पर महिलाए राजनांदगांव शहर के म्युनिसिपिल कार्पोरेशन स्थित बगीचे पर पहुची और आवला वृक्ष की विधी विधान से पूजा अर्चना की वही अंचल की महिलाए जंगल मे स्थित अवला वृक्ष की पूजा अर्चना वही कुछ महिलाओ ने गमले मे आवला पौधै की विधी विधान से पूजा आर्चना की और सुख समृध्दि की कामना की ।आवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है आवला नवमी के मौके पर सोलह श्रृंगार से सजी सधी महिलाओ ने आवला वृक्ष की विधी विधान से पूजा अर्चना की और सुख समृध्दि की कामना की ।
इस अवसर पर महिलाओ ने आवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया और झूलाझूल कर झूले का आनंद उठाया ।इस मौके पर महिलाओ ने विभिन्न खेल प्रतियोगिता आयोजित कर खेल का भी आनंद उठाया। ऐसी मान्यता है कि के दिन आवला वृक्ष मे भगवान विष्णु का वास होता है । आवला वृक्ष की पूजा करने और दान पूण्य करने से घर का भंडार कभी खाली नही होता है यह पर्व देव उठनी एकादशी के दो दिन पूर्व मनाई जाती है ।