– कलेक्टर ने एफपीओ एवं नाबार्ड तथा अन्य संस्थाओं द्वारा गठित एफपीओ की समीक्षा की
Advertisements
– एफपीओ छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए सामूहिकरण के माध्यम से कार्य करने का कारगर तरीका
– कृषि उत्पादों के फूड प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, के्रेडिट लिंकेज, वैल्यू एडिशन एवं मार्केट लिंकेज के संबंध में दिए आवश्यक निर्देश
– जिले में कोदो, कुटकी, सुगंधित चावल की वेरायटी, मक्का एवं अन्य उत्पादों की लाभदायक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने कहा
– कृषि, उद्यानिकी, नाबार्ड, कृषि विज्ञान केन्द्र, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, लीड बैंक सहित विभिन्न विभागों को समन्वित तरीके से कार्य करने के दिए निर्देश
– एफपीओ के प्रति किसानों में जागरूकता लाने की जरूरत
राजनांदगांव 05 फरवरी 2024। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल की उपस्थिति में आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में केन्द्र शासन की योजनाओं के संबंध में जिला स्तरीय निगरानी समिति (डीएमसी) की बैठक आयोजित की गई।
कलेक्टर श्री अग्रवाल ने किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) एवं जिले में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) तथा अन्य संस्थाओं द्वारा गठित एफपीओ की समीक्षा की। कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान उत्पादक संगठन द्वारा आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए कृषि, मार्केट लिंकेज एवं विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य करने की असीम संभावनाएं हंै।
किसान उत्पादक संगठन विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए सामूहिकरण के माध्यम से कार्य करने का कारगर तरीका है। जिले में कोदो, कुटकी, सुगंधित चावल की वेरायटी, मक्का एवं अन्य उत्पादों की लाभदायक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। किसानों को धान के बदले अन्य फसलों को लेने तथा फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। किसानों द्वारा उत्पादित किए गए कृषि उत्पाद में कुछ विशेषता होनी चाहिए, जिससे उनके उत्पाद को मार्केट में अच्छा मूल्य मिल सके।
उन्होंने कृषि उत्पादों के फूड प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, के्रेडिट लिंकेज, वैल्यू एडिशन एवं मार्केट लिंकेज के संबंध में चर्चा की। कलेक्टर ने कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ाने, उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्थित एवं व्यवसायिक दृष्टिकोण से योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए कृषि, उद्यानिकी, नाबार्ड, पशुपालन, कृषि विज्ञान केन्द्र,
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, लीड बैंक, मत्स्य पालन, बायोटेक्नोलॉजी सहित विभिन्न विभागों को समन्वित तरीके से कार्य करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि किसान उत्पादक संगठन द्वारा लघु स्तर पर प्रारंभ करते हुए कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कृषि उत्पादों को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण से जोड़ते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए अच्छी अधोसंरचना तैयार करने के साथ ही एक अच्छा प्लेटफार्म मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी विभाग एफपीओ हेतु कार्य करने के लिए किसानों को संगठित करें और उनमें एफपीओ के प्रति जागरूकता लाएं तथा उन्हें इसके लिए रणनीति समझाएं। उन्होंने एफपीओ के सदस्यों में वित्तीय साक्षरता के प्रति जागरूकता, विस्तार, एफपीओ के लिए रोड मैप बनाने तथा प्रशिक्षण, कृषि के आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहन देने तथा इसकी प्रभावी तरीके से निगरानी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संगठित किसानों को उत्पादों और विपणन क्षमता को विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए लाभान्वित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मक्के की खेती मे किसानों के लिए बहुत फायदा है। मक्के का आटा, जूस, तेल एवं अन्य बहुत से उत्पाद बनाए जा सकते हंै और इसकी मार्केट में डिमांड हैं। कम लागत में अच्छी खेती होने से किसानों को इसका फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करने की आवश्यकता है। कोदो, कुटकी एवं मक्का के बीज का उत्पादन किया जा सकता है।
डीडीएम नाबार्ड श्री मनोज नायक ने इस दौरान नाबार्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखंड के ग्राम कुमर्दा में दंतेश्वरी एफपीओ का गठन किया गया गया है, जहां चावल, बीज तथा मिलेटस का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें 350 कृषक जुड़े हैं। केन्द्र शासन द्वारा 3 लाख 40 हजार रूपए का अनुदान दिया गया है।
डोंगरगांव विकासखंड के कोकपुर क्लस्टर अंतर्गत आसरा एफपीओ में मशरूम, आयस्टर, सब्जी, फल लगाए गए हैं। आसरा एफपीओ में 750 कृषक शामिल हैं। डोंगरगढ़ विकासखंड में बागरेकसा क्लस्टर में हलधर एफपीओ अंतर्गत आम, अमरूद, नींबू एवं सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। शासन द्वारा 7 लाख 50 हजार रूपए अनुदान राशि प्रदान की गई है। राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम इरई केला में क्लस्टर में सोनवंशी एफपीओ अंतर्गत कोदो, कुल्थी, महुआ, शहद, रागी,
लाख, चार, इमली का उत्पादन किया जा रहा है। उप संचालक कृषि श्री नागेश्वर लाल पाण्डे ने कहा कि स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन से किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर ऑफ सीजन सब्जियां लगाई जा सकती हैं। अन्य राज्यों से सब्जियों का आयात होने पर उसकी कीमत ज्यादा होती है। ऐसे में आसानी से स्थानीय स्तर पर सब्जी उपलब्ध हो सकेंगी।
इस अवसर पर जिला खाद्य अधिकारी श्री भूपेन्द्र मिश्रा, लीड बैंक मैनेजर, कृषि विज्ञान केन्द्र सुरगी की संचालक डॉ. गुंजन झा, जिला विपणन अधिकारी श्रीमती प्रियंका देवांगन, उप पंजीयक सहकारिता शिल्पा अग्रवाल, उप संचालक पशुपालन डॉ. अनूप चटर्जी, पीओ विट्रो बॉयो टेक्नोलॉजी लिमिटेड श्री हेमंत प्रधान, सोनाको के प्रतिनिधि श्री कैलाश सोनी सहित अन्य अधिकारी एवं एफपीओ से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित रहे।