राजनांदगांव 16 मई 2021- अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को खुलने वाला राजनांदगांव जिले के ऐतिहासिक धरोहर मंडीप खोला गुफा इस बार कोरोना संक्रमण के चलाते नही खुलेगा।
प्रशासन ने मंडीप खोलगुफा खोले जाने पर पाबंदी लगाई है । मंडीपखोल गुफा को देश की सबसे लम्बी गुफा और एशिया महादीप की दुसरी सबसे लम्बी गुफा माना गया है ।
राजनांदगांव जिला मुख्यालय से लगभग 95 कि मी दूर गंडई साल्हेवारा मार्ग पर पहाडियो और जंगल के ठाकूरटोला गांव स्थित मंडीप खोल गुफा 17 मई सोमवार को नही खुलेगी। मंडीप खोल गुफाअपने अंदर कई पुरातात्विक रहस्यो को समेटे हुए छत्तीसगढ की ऐतिहासिक धरोहर के नाम से जाना जाता है ।
बढते कोरोना संक्रमण को देखते हुये जिला प्रशासन और मढ़ीप खोल समिति ने इस वर्ष भी अक्षय तृतीया के पहले सोमवार को नही खोलने का निर्णय लिया है ।इसी तरह यहां लगने वाले मेला को स्थगित किया है ।हालाकि प्रशासन ने कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुये मढ़ीप खोल समिती के कुछ सदस्यो को पूजा अर्चना करने की छूट दी है । प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया के पहले सोमवार को मंडीप खोल गूफा स्थित शिवलिंग की पूजा आराधना की जाती रही है ।
उल्लेखनीय है कि मंडीप खोल गुफा साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को खुलती है। इस दौरान धरोहरो को देखने मध्यप्रदेश महाराष्ट्र उडीसा सहित छत्तीसगढ के लोग बडी संख्या मे पहुचते हैं। ऐसा माना गया है कि मंढीपखोल गुफा ठाकुरटोला राज परिवार के कुल देवता का स्थान है। राज परिवार के सदस्य राजपुरोहित रोहित लाल पुलस्त और उनके परिवार द्वारा पहले पूजा-अर्चना करने के बाद मंढीप खोल गुफा के द्वार खुलते हैं। फिर लोगो के दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है।
राजनांदगांव जिले के गंडई साल्हेवारा मार्ग पर पहाडियो पर स्थित मंडीप खोल गुफा कई दुर्गम जंगल पहाडो को तय कर पहुचा जा सकता है यात्रा के दौरान लोगों को एक हि नदी को 16 बार अलग-अलग स्थानों से पार करना पडता है ।कई रहस्यो को समेटे गुफा में कुछ ऐसे पत्थर हैं जो प्रकाश में हीरे के समान चमकते है। यह पत्थर लोगों को काफी आकर्षित करते है। इन पत्थरो मे देवी देवताओ राजा महाराजो के युध्द की आकृति विद्यमान है ।ये गुफा खजुराहो शैली मे बना हुआ है ।
यहां काफी घुमावदार और विचित्र रास्ते है। यहां का शिवलिंग का मंदिर और चमगादड़ खोल गुफा को सबसे पवित्र माना जाता है। यहां तक पहुचने के लिए बास की सीढी का उपयोग कर पहुचा जा सकता है मंडीप खोल गुफा का रास्ता काफी संकरा है। कई रास्ते में पेट के बल चलकर सफर करना पडता है। गुफा के अंदर गहरा अंधेरा होने के कारण लोगों को अंदर जाने के लिए टार्च, मशाल आदि का उपयोग करना पडता है ।
ऐसा माना जाता है कि 13 वी शताब्दी मे ठाकुरटोला रियासत के जमीदारों ने मंढीपखोल गुफा निर्माण अथवा खोज कराया है जो उनके कुल देवता का स्थान है। बहरहाल बढ़ते कोरोना संक्रमण चलते इस बार श्रध्दालू मंडीप खोल गुफा मे स्थित शिवृ लिंग के दर्शन नही कर पायेगे ।












































