राजनांदगांव । छत्तीसगढ़ में पारंपरिक पर्व छेरछेरा व पूर्णिमा को प्राचीन महत्व को देखते हुए मनाया जाता है छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के परंपराओं को अक्षुण्ण रखने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं चाहे वह हरेली का त्यौहार हो पुन्नी हो पोला हो तीज हो या फिर छेर छेरा का संपर्क त्यौहार हो प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर्व पर राज्य में अवकाश घोषित किया है
महापौर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस बात के लिए धन्यवाद दिया है कि वह छत्तीसगढ़ की संस्कृति को परंपराओं को जीवित रखने के लिए छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़िया होने का हम सबको याद दिलाते रहते हैं और हमें गौरवान्वित दी करते हैं निश्चित रूप से छेरी छेरा का पर्व धन धान्य की समृद्धि इस दिन आदि शक्ति जगदम्बे और मां शाकामभरी देवी की पूजा अर्चना की जाती है
महिलाओं का यश सम्मान भी सुवा गीत नाच गा कर करने की पौराणिक परंपरा है दे छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दान शीलता की परंपरा को याद भी दिलाता है, छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है, इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं।
महापौर श्रीमती देशमुख ने इस पर्व को छत्तीसगढ़ का लोकपर्व के रूप में छेरछेरा धूमधाम के साथ मनाया जाने की अपील की है। यह पर्व पौष पूर्णिमा के दिन , छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है। उत्सवधर्मिता से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है।
इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं, लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन सुबह से ही बच्चे, युवक व युवतियां हाथ में टोकरी, बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा मांगते हैं, वहीं युवकों की टोलियां डंडा नृत्य कर घर-घर पहुंचती हैं, धान मिंसाई हो जाने के चलते गांव में घर-घर धान का भंडार होता है, जिसके चलते लोग छेर छेरा मांगने वालों को दान करते हैं, इन्हें हर घर से धान, चावल व नकद राशि मिलती है।
इस त्योहार के दस दिन पहले ही डंडा नृत्य करने वाले लोग आसपास के गांवों में नृत्य करने जाते हैं, वहां उन्हें बड़ी मात्रा में धान व नगद रुपए मिल जाता हैं, इस त्योहार की महत्ता को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने शासकीय अवकाश भी घोषित किया है , पारंपरिक त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाने और नगर और प्रदेश की खुशहाली की कामना करते हुए नगर वासियों को और सभी प्रबुद्ध जनों को महापौर श्रीमती हेमा देशमुख ने शुभकामनाएं प्रेषित की।