मोहल्ला क्लास में जाके पढ़बो, तभे नवा छत्तीसगढ़ गढ़बो- मंत्री डॉ. टेकाम
राजनांदगॉव की शिक्षिका ज्योति उइके ने राज्य स्तरीय वेबीनार में साझा किये अपने अनुभव
पढ़ई तुंहर द्वार कार्यक्रम के दूसरे वर्ष की शुरूआत के पूर्व वेबीनार आयोजित
राजनांदगांव स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत समग्र शिक्षा द्वारा 27 जून को आयोजित बेबीनार में शामिल होकर नवाचारी शिक्षकों से बच्चों की शिक्षा और शिक्षा पद्धति के संबंध में चर्चा की। कोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए संचालित पढ़ई तुंहर द्वार कार्यक्रम के दूसरे वर्ष की शुरूआत के पूर्व स्कूल शिक्षा विभाग मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम बेबीनार में शामिल हुए। उन्होंने पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित रूप से नियमित कक्षा लेने वाले प्रत्येक जिले से 36-36 शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की।
मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि वेबीनार में नवाचारी शिक्षकों के माध्यम से बच्चों की नियमित पढ़ाई की समस्याओं का हल ढूंढने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम में बस्तर से लेकर सरगुजा तक के शिक्षकों से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुसार ‘मोहल्ला क्लास में जाके पढ़बो, तभे नवा छत्तीसगढ़ गढ़बोÓ यह कार्य सभी नवाचारी शिक्षकों की सक्रियता से ही पूरा होगा। वेबीनार में 62 हजार से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने 22 नवाचारी शिक्षकों के अनुभव सुनें, जिसमें, राजनांदगॉव जिले से एकमात्र शिक्षिका के रूप में मोहला विकासखंड की श्रीमती ज्योति उइके शामिल हुई। उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव जिले की नवाचारी शिक्षिका ज्योति उईके द्वारा सौ दिन सौ कहानियॉ कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
सभी विद्यार्थियों को युवा क्लब के माध्यम से पुस्तक वितरित कर बच्चों को द्विभाषी कहानियॉ पढऩे, पढ़कर अदला-बदली करने एवं पठन कौशल विकास में सहयोग दे रही हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. टेकाम ने अपने उद्बोधन में कहा कि पढ़ई तुंहर द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत गत वर्ष राज्य के शिक्षकों ने नवाचार के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छा कार्य किया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का यह दूसरा सत्र है और अभी हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि स्कूल कब खुलेंगे।
ऐसी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पिछले साल से भी बेहतर कार्य करना होगा। काम के तरीकों में बदलाव लाना पड़ेगा तभी हम अपने कार्य में सफल हो सकेंगे। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि कोरोना के पहले टेक्नोलॉजी का उतना अधिक उपयोग नहीं करते थे, लेकिन पिछले वर्ष बच्चे और बुजुर्ग भी नई-नई तकनीक सीखकर उसका उपयोग बड़ी आसानी से करने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि पहले हम समुदाय से बच्चों की शिक्षा में सहयोग के लिए बहुत मेहनत करते थे। अब पालक एवं समुदाय स्वयं पहल कर बच्चों को सिखाने के लिए शिक्षा सारथी बन रहे हैं। पढ़ाई के लिए सीखने-सिखाने शिक्षकों को बहुत सारे प्रशिक्षण देना होता है। कोरोना से सबको स्वयं अपनी परिस्थितियों के अनुसार नये-नये तरीकों को खोजकर बेहतर और प्रभावी अध्यापन के लिए तैयार किया।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने बहुत नवाचार किए हैं। अब समय है कि इन नवाचारों को हम बच्चों की उपलब्धि में सुधार की दिशा में कार्य कर सकें। नवाचारी शिक्षकों की मेहनत का प्रभाव देखने इस वर्ष की शुरूआत में ही बेसलाइन लेंगे और फिर बच्चों में आ रहे बदलाव पर लगातार नजर रखी जाएगी। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि बच्चों की पढ़ाई को रूचिकर बनाने के लिए विभिन्न विकल्पों को देखने और उनमें से अपनी परिस्थितियों के अनुरूप बेहतर विकल्प का उपयोग करने के लिए स्वेच्छा से आगे आएं। सभी को किसी न किसी विकल्प का उपयोग कर विद्यार्थियों को सिखाना आवश्यक होगा।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने कहा कि गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष स्थिति बेहतर है। स्कूलों में बच्चों को प्रवेश ऑनलाइन के माध्यम से दिया गया है। प्रवेशित बच्चों के नाम स्कूलवार उपलब्ध है। अब तक 49 लाख बच्चों की ऑनलाइन एंट्री स्कूलवार दर्ज हो चुकी है। इससे स्कूलवार मॉनिटरिंग हो पाएगी।
शिक्षक अब एक-एक बच्चे की पढ़ाई का आंकलन कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि एससीईआरटी को निर्देशित किया गया है कि सभी विषयों के लिए आंकलन की प्रणाली विकसित करें। बच्चों से प्रश्नोत्तरी कराकर उनके उत्तर स्कूल रिकार्ड में रखे जाएं, ताकि उनके परिणाम में काम आएं। प्रमुख सचिव ने बताया कि सेतु पाठ्यक्रम पिछली कक्षा की दक्षता अच्छे से सिखाने के लिए तैयार किया गया है। जो बच्चे पिछली कक्षा की जिन बातों को नहीं सीखे हैं, उसे एक माह में पढ़ाएं, ताकि वर्तमान कक्षा की पढ़ाई के अनुसार बच्चे दक्षता हासिल कर सकें।
उन्होंने कहा कि पाठ्य पुस्तक निगम को निर्देश दिए गए हैं कि 15 जुलाई तक पाठ्य पुस्तकें संकुल स्तर तक पहुंचाए। पुस्तक पहुंचाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
स्कूल शिक्षा सचिव एवं आयुक्त लोक शिक्षण डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि मोहल्ला या पारा कक्षा संचालन के लिए स्थान का चयन कर ऑनलाइन कक्षा को और प्रभावी बनाया जाए। इसके अलावा कक्षा संचालन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन किया जाए। प्रत्येक शिक्षक उस कक्षा के कोर्स के अनुसार टाइम टेबल बनाकर अध्यापन कार्य करे। उन्होंने कहा कि लर्निग आउटकम सामान्य स्कूल की तरह हो। ऑनलाइन पढ़ाई का बच्चों को अधिक से अधिक लाभ मिले। स्थानीय संसाधन के माध्यम से पढ़ाई रोचक ढंग से हो पाए, इसका प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अच्छा शिक्षक जहां होगा, वहां बच्चे पढऩे आएंगे।
बच्चों की पढ़ाई के लिए समुदाय का सहयोग जरूरी है। इसके लिए स्थानीय सरपंच, पंच, शाला समिति के सदस्य और पालकों का सहयोग लिया जाए। वेबीनार में एनआईसी संचालक सोम शेखर, सहायक संचालक समग्र शिक्षा डॉ. एम. सुधीश, राज्य साक्षरता मिशन के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रशांत कुमार पांडे, आशीष गौतम, ताराचंद जायसवाल, आशुतोष पांडे, रागिनी भी उपस्थित थे। वेबीनार का संचालन प्रशांत कुमार पांडेय ने किया।