राजनांदगांव। भाई-बहन के स्नेह व पवित्र प्रेम के प्रतीक का पर्व ‘रक्षा बंधन’ पर ‘भद्रा’ का साया पड़ गया है। भद्रा के कारण निधि को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इस सस्पेंस के बीच ज्योतिषाचार्यों ने स्पष्ट किया कि 30 अगस्त की सुबह 10.58 से पूर्णिमा तिथि है और रात्रि 9.2 बजे तक भद्रा है. भद्रा के बाद ही रक्षा बंधन का उत्तम मुहूर्त है।
हमरी भारतीय संस्कृति व हिन्दू सनातन संस्कृति में रक्षा बंधन का बड़ा महत्व है। यह भाई-बहन के स्नेह का पर्व तो है साथ ही अध्यात्मिक महत्व भी है। पर्व को लेकर उत्साह शुरू हो चुका है। पखवाड़े भर पहले से ही राखी बाजार सजकर तैयार है। डाक से राखी भेजने का सिलसिला चल रहा है। पर्व के मद्देनजर डाक घरों में पीली पेटी लगाई गई है, ताकि उसमें डाली गई राखियों को भाईयों तक समय पर पहुंचाया जा सके। दो-तीन दिन से राखी बाजार में रौनक लौट आई है।
बहनें बाजार पहुंचकर अपने भाईयों की कलाई सजाने राखियां खरीद रही हैं। इस बार फैंसी राखियों की ज्यादा मांग है। बीस रूपये से लेकर 500 रूपये तक राखियां उपलब्ध है। राखी विक्रेताओं का कहना है कि रविवार से राखियों की ग्राहकों में तेजी आई है। इस उत्साह के बीच रक्षा बंधन की तिथि को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, इसका कारण भद्रा को बताया जा रहा है।
ज्योतिष स्तंभकार आचार्य सरोज द्विवेदी ने बताया कि 30 अगस्त बुधवार की सुबह 10.58 से पूर्णिमा तिथि है और रात्रि 9.2 बजे तक भद्रा है। भद्रा को शुभ नहीं माना जाता है और इस अवधि में रक्षा बंधन निषेध है उन्होंने बताया कि भद्रा खत्म होने के बाद 30 अगस्त की रात्रि 9 बजकर 2 मिनट से शुभ मुहूर्त है। ऐसे में रक्षा बंधन का उत्तम मुहूर्त 30 की रात्रि 9 बजकर दो मिनट से 31 अगस्त की सुबह 7 बजे तक है। ऐसे में कहीं 30 अगस्त तो कहीं 31 अगस्त को रक्षा बंधन मनाने की तैयारी चल रही है। कैलेण्डर व पंचांग में 30 अगस्त को रक्षा बंधन है। इतना ही नहीं शासकीय अवकाश भी 30 अगस्त को है ।