राजनांदगांव : संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों पर भाजपा को मिली जीत…

राजनांदगांव – प्रदेश में भाजपा ने सभी एक्जिट पोल के रुझानों को धता बताते हुए 50 से अधिक सीटें हासिल कर सरकार बना ली है। राजनांदगांव कवर्धा संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। इनमें राजनांदगांव से डॉ. रमन सिंह और कबीरधाम (कवर्धा) से विजय शर्मा ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। पंडरिया से भाजपा की भावना बोहरा को जीत मिली है। हाईप्रोफाईल सीट राजनांदगांव में भाजपा के

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डॉ. रमन सिंह ने 102499 वोट हासिल कर कांग्रेस के गिरीश देवांगन को 45084 वोटों से और भाजपा के विजय शर्मा ने 144257 वोट पाए और मोहम्मदद अकबर को 39592 वोटों से करारी शिकस्ति दी है। हालाकि लोकसभा की बाकी की 5 सीटें कांग्रेस के पाले में गई हैं। कांग्रेसी प्रत्योशियों मोहला-मानपुर से इंद्रजीत शाह मंडावी, खुज्जीट से भोलाराम साहू, डोंगरगांव से दलेश्वतर साहू, डोंगरगढ़ से हर्षिता स्वांमी बघेल और खैरागढ़ से यशोदा वर्मा ने अपना परचम लहराया है।

अविभाजित राजनांदगांव जिले में इस बार भी भाजपा चूक गई है। यहां कांग्रेस के पाले में गई 5 सीटों पर वर्ष 2018 में भी भाजपा को हार मिली थी। हालाकि कवर्धा जिले में कवर्धा और पंडरिया की विधानसभा सीटें जीतकर भाजपा ने बढ़त बनाई है। लेकिन यदि अविभाजित राजनांदगांव जिले की बात की जाए तो भाजपा अब भी 2018 की तरह यहाँ एक ही सीट पर काबिज हुई है और कांग्रेस ने यहाँ अच्छा प्रदर्शन किया है। राजनांदगांव लोकसभा की आठ सीटों में देर

शाम तक निर्णय आ चुका था इस दफे लगभग सीटों में मुकाबला बराबरी का माना जा रहा था लेकिन भाजपा आठ में से एक सीट पर चूक गई। छत्तीसगढ़ की जिन 20 सीटों पर पहले चरण में 7 नवंबर को मतदान हुआ था उनमें से नक्सल प्रभावित राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र की आठ सीटें भी शामिल है। राजनांदगांव, डोंगरगांव, डोंगरगढ़, खुज्जी, खैरागढ़, मोहला-मानपुर पंडरिया और कवर्धा में 7 नवंबर को ही मतदान हुआ।

रमन का जादू बरकरार, गिरीश की 45000 से ज्यादा मतों से हार

राजनांदगांव विधानसभा की जनता ने लगातार चौथी बार भाजपा के डाक्टर रमन सिंह पर अपना प्यार लुटाया है। भाजपा प्रत्याशी रमन सिंह ने कांग्रेस के गिरीश देवांगन को लगभग 45000 के प्रचंड मतों से परास्त कर बता दिया कि फिलहाल इस बार भी क्षेत्र की जनता उन्हीं की है।

हारे

गौरतलब है कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के बाल सखा गिरीश देवांगन को नांदगांव का भांचा के तौर पर लांच किया था और चुनावी मैनेजमेंट में भी कांग्रेस ने ताबड़तोड़ पसीना बहाया लेकिन चुनाव परिणाम के दिन गिरीश देवांगन किसी भी राउंड में भाजपा से बढ़त नहीं ले पाए और अंतत उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि शुरूआती दौर से स्थानीय नेताओं को कांग्रेस ने तवज्जो नहीं दिया जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा। विधानसभा क्षेत्र के ज्यादातर क्षेत्रों में भीतरघात की खबरें आती रही लेकिन कांग्रेस ने उन खबरों पर ध्यान नहीं दिया और अंततः मुंह के बल गिर पड़ी।

डोंगरगढ़ में इतिहास बदला, भाजपा की हार

डोंगरगढ़ विधानसभा का इतिहास इस बार बदल गया। गौरतलब है कि आज तक जिस पार्टी की सत्ता प्रदेश में रही है उसी का विधायक यहाँ जीतता आया है लेकिन इस बार जहाँ प्रदेश में भाजपा की सरकार बन रही है वहीं लहर के बावजूद भाजपा के विनोद खांडेकर इस सीट से चुनाव हार गए हैं।

जीते

काग्रेस की हर्षिता स्वामी बघेल ने इस सीट पर 14367 मतों से भाजपा को परास्त किया है। सुबह मतगणना शुरू होने के बाद पहले राउंड से ही भाजपा इस क्षेत्र में लगातार पीछे रही और आखरी तक वो कांग्रेस के बड़े हुए फासले को कवर नहीं कर सकी। भाजपा की इस हार में चुनावी मैनेजमेंट का फेल होना और चुनाव संचालकों का बाहरी व्यक्तियों को ज्यादा तवज्जो देना बताया जा रहा है।

मोहला मानपुर में राजशाही घमंड चूर इंद्र पर फिर से भरोसा कायम

मोहला मानपुर विधानसभा में जनता ने भाजपा के संजीव शाह को पूरी तरह से नकार दिया और उनके राहशाही घमंड को चूर कर दिया। विधानसभा के जनता ने कांग्रेस के इन्द्रशाह मंडावी पर फिर से एक बार भरोसा जताया है।

जीते

गौरतलब है कि संजीव शाह के लचर मैनेजमेंट और कर्ज माफी का मुद्दा इंद्रशाह मंडावी के साथ शुरू से था इ सके अलावा भाजपा यहां एकजुट भी नहीं दिखाई दे रही थी। भाजपा के संजीव शाह के लिए पार्टी के लोगों ने ही जमकर गड्डा खोदा। संजीव शाह के राजशाही तौर तरीके भी उनकी हार का एक कारण बने। कांग्रेस के इन्द्रशाह मंडावी ने भाजपा के संजीव शाह को कुल 31528 मतों से परास्त किया।

डोंगरगांव में तीसरी बार दलेश्वर का कब्जा, भरत की हार

डोंगरगांव में लगातार दो बार के विधायक कांग्रेस के दलेश्वर साहू ने तीसरी बार भी विधानसभा में अपना परचम लहरा दिया है। दलेश्वर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के भरत वर्मा को 2789 मतों से शिकस्त दी। इस विधानसभा में मतदाता दोनों से हो नाखुश थे लेकिन अंततः उन्होंने एकजुट हो कर कांग्रेस पर भरोसा जताया।

जीते

लोधियों के ज्यादा प्रभावी न होने के कारण दलेश्वर ने इस बार भी कारनामा दिखा दिया । भाजपा को कांग्रेस विधायक की एंटी इनकंबेंसी के कारण जीत का पूरा भरोसा था लेकिन भीतरघात भाजपा की राह में सबसे बड़ा कांटा बना और अंततः कांग्रेस के दलेश्वर साहू ने जीत दर्ज की।

खुज्जी में नहीं चला भाजपा का जादू, गीता साहू की हार

खुज्जी विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी गीता घासी साहू की शर्मनाक हार हुई है। कांग्रेस के भोलाराम साहू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गोता साहू को 25944 मतों से परास्त किया । हालाकि भाजपा ने इस सीट पर कई माह पूर्व ही प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन पति के लेनदेन सहित अन्य विवादों से जुड़े होने की वजह से इस सीट पर भाजपा को जनता ने नहीं चुना।

हारे

खुज्जी विधानसभा सीट में भाजपा की पराजय का एक कारण वहां के चुनाव संचालक कोमल जंघेल भी रहे जिन्होंने खुज्जी से ज्यादा ध्यान खैरागढ़ में दिया । जातिगत समीकरण भी खुज्जी में सटीक बैठे और कांग्रेस के पक्ष में साहू मतदाताओं ने रुझान दिखाया।

खैरागढ़ में यशोदा की जीत कांटे की टक्कर में विक्रांत हारे

खैरागढ़ में भाजपा काग्रेस के बीच कांटे की टक्कर में अंततः कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने भाजपा के विक्रांत सिंह को 5421 मतों से परास्त किया। कांग्रेस की मौजूदा विधायक यशोदा वर्मा की टक्कर जिला पंचायत उपाध्यक्ष और भाजपा के तेज तर्रार नेता विक्रांत सिंह से था।

जीते

यशोदा वर्मा लोधी समुदाय से आती हैं और खैरागढ़ में लोधी वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं दूसरा यशोदा वर्मा के साथ सहानुभूति भी थी जिसका उन्हें फायदा मिला। विक्रांत सिंह से लोधियों की दूरी और भीतरघात को आशंका उनकी हर का असल कारण बना।

कवर्धा में अकबर की बड़ी हार विजय शर्मा की प्रचंड जीत

राजनांदगांव लोकसभा में डाक्टर रमन सिंह के बाद सबसे बड़ी जीत कवर्धा से भाजपा के विजय शर्मा की मानी जा रही है। विजय शर्मा ने कांग्रेस के क कद्दावर मंत्री मोहम्मद अकबर को 39592 मतों से करारी शिकस्त दी है।

जीते

कवर्धा दंगों के बाद विजय शर्मा एक बड़े हिंदूवादी नेता बनकर उभरे थे तगड़े मैनेजमेंट के कारण मोहम्मद अकबर को मात देना मुश्किल लग रहा था लेकिन कवर्धा की जनता ने मोहम्मद अकबर को सिरे से नकार दिया।

पंडरिया में भावना की भावनाओं का जनता ने रखा ख्याल

पंडरिया में भाजपा प्रत्याशी ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और इस मुकाबले में उन्होंने कग्रिस के नीलकंठ चंद्रवंशी को 23639 मतों से पराजित किया।

जीते

पूर्व विधायक के खिलाफ नाराजगी और सहज सरल छवि के कारण भावना बोहरा को क्षेत्र की जनता ने पसंद किया इसके अलावा भावना अपने एनजीओ के माध्यम से भी पूरे समय जनसेवा के माध्यम से जनता के बीच रही हैं जिसका फायदा भाजपा को सीधे तौर पर मिला है।