राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि जिस प्रकार वीरांगना रानी दुर्गावती ने अपने शत्रुओं का साहस से सामना किया, उसी प्रकार हमें कोविड-19 जैसी आपदा से निजात पाने के लिए मन में धैर्य और कार्य में द्रुत गति लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वह दिन अब दूर नहीं जब हम इस महामारी से सफलतापूर्वक निजात पा सकेंगे। सुश्री उइके आज छिन्दवाड़ा में वेबिनार के माध्यम से रानी दुर्गावती की 457 वीं बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय युवा सम्मलेन को संबोधित कर रही थीं। इस सम्मलेन का विषय ‘‘जनजाति प्रवासी मजदूरों पर कोविड 19 का प्रभाव ‘‘आजीविका के विभिन्न माध्यम तथा सामाजिक-राजनैतिक संगठनों की भूमिका’’ रखा गया है, जो प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि मध्य प्रदेश के पूर्वांचल तथा पावन नर्मदा नदी के उत्तरी ओर स्थित जबलपुर एक ऐतिहासिक शहर माना जाता है। कलचुरी के उपरांत 14 वीं शती के उत्तरार्द्ध में त्रिपुरी पर गढ़ा मण्डला में गोंड़ राजवंश का अभ्युदय यादोराय द्वारा हुआ। इसी राजवंश की एक योद्धा थीं वीरांगना रानी दुर्गावती जो अकबर से युद्ध करते हुए 24 जून 1564 को वीरगति को प्राप्त हुईं। वह अपनी आखिरी सांस तक मुगलों से लड़ती रहीं। 24 जून को रानी दुर्गावती बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। मैं उन्हें नमन करती हूं। रानी दुर्गावती एक साहसी वीरांगना थीं, जिन्होंने जनजाति समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जनजाति समाज इनके इस पराक्रम तथा शौर्य से प्रभावित है।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड 19 जैसे इस महासंकट में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत एक विशेष पैकेज की घोषणा की है, जिसके तहत जरूरतमंद श्रमिकों, हितग्राहियों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह सहायता अलग-अलग किस्तों में दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य है कि श्रमिकों को उनके गांव-घर के समीप कार्य दिया जाए, इसके लिए स्किल मैपिंग की जाएगी। उन्होंने आग्रह किया कि आप सभी इस योजना का लाभ उठाएं। प्रवासी श्रमिकों के रूप में जो आदिवासी आए हैं उन्हें पशु पालन, मुर्गी पालन, उद्यानिकी तथा वन संसाधन से जुड़े अन्य छोटे-छोटे उद्योगों से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वयंसहायता समूह का गठन कर विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं और अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर बनें।
राज्यपाल ने कहा कि सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग जनजातीय क्षेत्रों के विकास में एक अहम् भूमिका निभाते हैं। जिनके द्वारा रोजगार के अनेक अवसर प्राप्त किये जा सकते हैं। जनजातीय क्षेत्रों में वन उत्पादों के द्वारा उनकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है। जनजातीय उत्पादों के विकास तथा विपणन के लिए संस्थागत समर्थन की आवश्यकता है। इस महामारी से लड़ने तथा इन गरीब जनजाति श्रमिकों के उत्थान के लिए विभिन्न संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।