रोचक तथ्य :करोड़ों साल पहले पेंग्विन की तरह विशाल पक्षी रहते थे उत्तरी गोलार्ध में…

वैज्ञानिकों के जीवाश्म (Fossils) में कई तरह की चौंकाने वाली जानकारी मिलती है. हैरतअंगेज डायनासोर (Dinosaurs) की खोज भी इन्हीं जीवाश्मों के रिए हुई थी. लेकिन नए शोध से पता चला है कि एक जमाने में उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में बहुत ही बड़े पक्षी रहा करते थे जो पेंग्विन्स (Penguins) की तरह थे. ये पक्षी बहुत कुछ न्यूजीलैंड के पेंग्विन्स की तरह थे और ये आज से 6.2 करोड़ साल पहले जापान, अमेरिका और कनाडा में रहा करते थे.

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पेंग्विन्स की तरह पर उनसे कोई संबंध नहीं
इस मामले मे सबसे अजीब बात यह है कि इन पक्षियों का पेंग्विन्स से कोई संबंध नहीं है. ये अब विलुप्त (Extinct) हो चुके हैं और जिन्हें प्लोटोप्टेरिड्स (Plotopterids )कहते हैं. लेकिन दोनों बहुत ज्यादा समान हैं और वे पक्षी भी पेंग्विन्स की तरह ही अपने पंखों का इस्तेमाल करते थे. वैज्ञानिकों ने प्लोटोप्टेरिड्स की जीवाश्म हड्डियों की जब कैटरबरी म्यूजियम में रखे विशाल पेंग्विन्स की प्रजाति के जीवाश्म के नमूनों से तुलना की तो पया कि दोनों में एक सी लंबी चोंच के अलावा नथुने, सीने, कंधे की हड्डियां और पंखों में भी बहुत समानता थी.

कहां पाए गए ये जीवाश्म
यह अध्ययन सोमवार को जुओलॉजिकल सिमिंटिक्स एंड एवॉल्यूशनरी रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन से प्लेटोप्टेरिड्स और पेंग्विंस में यह समानता उत्तरी कैटरबरी में वाइपारा में मिले जीवश्मों की खोज करने के बाद पाई. शोध में पाया गया है कि उत्तरी प्रशांत बेसिन में पाए जाने वाले प्लेटोप्टरिड्स छह फुट तक बड़े थे.

समय का भी है बहुत अंतर
पेंग्विन के पूर्वज सबसे पहले करीब 6 करोड़ साल रहले आज के न्यूजीलैंड इलाके में पाए जाते थे. वहीं प्लेटोप्टेरिड्स उत्तरी गोलार्ध में बहुत बाद में आए थे. दोनों के बीच का अंतर करीब 3.7 से 3.4 करोड़ साल का रहा होगा. लेकिन प्लेटोप्टेरिड्स अपने अस्तित्व में आने के एक करोड़ साल बाद विलुप्त हो गए.

दूर से अंतर कर पाना मुश्किल होता
जुओलॉजिस्ट पॉल स्कोफील्ड, जो कैंटरबरी म्यूजियम में क्यूरेटर हैं, ने बताया, “ये पक्षी अलग-अलग गोलार्थ में विकसित हुए थे और दोनों के बीच लाखों सालों का अंतर था. लेकिन दूर से इनको देखकर अंतर करना बहुत मुश्किल होगा. प्लेटोप्टेरिड्स पेंग्विन्स की तरह दिखाई देते थे वे पेंग्विन्स की ही तरह तैरते और शायद खाते भी थे.”

कितने जीवाश्मों का अध्ययन किया
वैज्ञानोकों ने 16 प्लेटोप्टेरिड्स के जीवाश्मों का एक साथ अध्ययन किया जिसके साथ उन्होंने तीन पुराने पेंग्विन प्रजाति के नमूने भी रखे. शोधकर्ताओं ने दोनों में बहुत सारी समानताएं पाई. कई में तो केवल आकार (Size) का ही अंतर था. शोधकर्ताओं ने प्लेटोप्टेरिड्स की औसत लंबाई 1.8 मीटर पाई जबकि इनमें सबसे बड़े जीवाश्म की लंबाई 2 मीटर की थी.

तैरने के तरीके में अंतर
हालांकि प्लेटोप्टेरिड्स के पैर पेंग्विन्स की ही तरह जाल जैसे थे, लेकिन शोधकर्ताओं ने उनकी शरीर रचना का अध्ययन कर यह अनुमान लगाया कि वे शायद पानी में तैरने के लिए अपने पंखों का प्रयोग करते थे. फ्रैकफर्ट के सैंकनबर्ग रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के ओरिंथोलॉजिस्ट जेराल्ड मायर का कहना है कि पंखों की सहायता से तैरना पक्षियों में काफी कम पाया जाता है. ज्यादातर पक्षी तैरने के लिए अपने पैरों का उपयोग करते हैं. हमें लगता है कि प्लेटोप्टेरिड्स और पेंग्विन्स दोनों के उड़ने वाले पूर्व रहे होंगे जो भोजन की तलाश में हवा से पानी में गोता लगाते होंगे. समय के साथ पूर्वजों की वह प्रजातियां उड़ने के बजाए तैरने में बेहतर हो गई होंगीं.
एक और हैरानी की बात यह है कि ये उड़ न पाने वाले पक्षी आज के हंस, पनकौआ और उल्लू से संबंधित हैं. पिछले कुछ सालों में हम प्लेटोप्टेरिड्स के बारे में काफी कुछ जान पाए हैं , लेकिन यह पहली बार है कि उनके शरीर की तुलना इस तरह से पुराने पेंग्विन्स से की गई है.