छत्तीसगढ़ की पावन धरा पौराणिक काल से दुनिया को अपनी ओर खींचती रही है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम का ननिहाल चंदखुरी छत्तीसगढ़ में है। राम छत्तीसगढ़ियों की जीवन-शैली और दिनचर्या का अंग हैं। प्रातः छत्तीसगढ़ के लोग उठकर एक-दूसरे से राम-राम कह कर अभिवादन करते हैं। छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति में हर मामा अपने भान्जे को राम मानता है, आस्था से उसके पैर पड़ता है। पुरातन काल से छत्तीसगढ़ में राम लोगों के मानसपटल पर भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। वहीं पर भगवान राम ने 14 वर्ष वनवास के दौरान लम्बा समय छत्तीसगढ़ की धरा पर गुजारा था। वनवास के दौरान श्रीराम छत्तीसगढ़ के जिन स्थानों से गुजरे थे उसे राम वन गमन पथ के रूप में विकसित करने कार्य योजना बनाई गई, जिसकी शुरूआत चंदखुरी से हो चुकी हैं।
राम वन गमन पर्यटन परपिथ के अंतर्गत जांजगीर चांपा जिले में शिवरीनारायण, बलौदा बाजार में तुरतुरिया, रायपुर में चंदखुरी और गरियाबंद के राजिम में परिपथ के विकास कार्यों की शुरूआत हो चुकी है। इसी तरह से राम वन गमन पर्यटन परिपथ में कोरिया जिले में सीतामढी हर-चौका, सरगुजा में रामगढ़, धमतरी में सप्तऋषि आश्रम, बस्तर में जगदलपुर, सुकमा में रामाराम सहित करीब 75 स्थलों को चिन्हांकित कर लिया गया है। अब मुख्यमंत्री के निर्देशन में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना राम वन गमन परिपथ को विकसित करने का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस योजना से लोगों की आस्था के अनुरूप राम की यादों को पौराणिक धार्मिक कथाओं से सुनते आ रहे लोग इन पौराणिक महत्व के स्थल को देख सकेगें। छत्तीसगढ़ की पावन भूमि पर्यटन तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होने के साथ यहां रोजगार के साधनों का विकास होगा। अंदरूनी दुर्गम वन क्षेत्रों में सड़क परिवहन भी विकसित होगा जिससे कई आर्थिक गतिविधियों का स्वयं संचालन होने लगेगा। देश और दुनिया के आस्थावान लोग रामायण सर्किट की धार्मिक तीर्थ यात्रा पर निकलेंगे तो भगवान राम के ननिहाल के दर्शन करेंगे।