चीन के वुहान शहर में जितने भी मरीज कोरोना वायरस से ठीक हुए उनमें से ज्यादातर के फेफड़े बुरी हालत में हैं. यही नहीं रिकवर हुए मरीजों में से 5 फीसदी तो दोबारा कोरोना संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती हैं. यह खुलासा हुआ है वुहान यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों के एक सर्वे में.
हॉस्पिटल्स इंटेंटिव केयर यूनिट्स के निदेशक पेंग झियोंग के नेतृत्व में वुहान यूनिवर्सिटी की झॉन्गनैन अस्पताल में एक टीम काम कर रही है. इसने वुहान में कोरोना से ठीक हुए 100 मरीजों का एक सर्वे किया.यह टीम इन 100 ठीक हुए मरीजों पर अप्रैल से नजर रख रही थी. समय-समय पर इनके घर जाकर इनकी सेहत के बारे में हालचाल लेती थी. एक साल चलने वाले इस सर्वे का पहला फेज जुलाई में खत्म हुआ. इस सर्वे में मरीजों की औसत उम्र 59 साल है.
पहले फेज के परिणामों के अनुसार ठीक हुए मरीजों में 90 फीसदी के फेफड़े बर्बादी की कगार पर हैं. यानी इन मरीजों के फेफड़ों का वेंटिलेशन और गैस एक्सचेंज फंक्शन काम नहीं कर रहा है. ये लोग अब तक पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाए हैं.
पेंग की टीम ने मरीजों के साथ 6 मिनट का वॉक टेस्ट किया. उन्हें पता चला कि ठीक हुए मरीज 6 मिनट में सिर्फ 400 मीटर ही चल पा रहे हैं. जबकि, एक स्वस्थ इंसान 500 मीटर तक चला जाता है.
ठीक हुए मरीजों में से कुछ मरीजों को तीन महीने बाद भी ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर रहना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, 100 में से 10 मरीजों के शरीर से कोरोना के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी ही खत्म हो चुकी हैं. पांच प्रतिशत मरीज कोविड-19 न्यूक्लिक एसिड टेस्ट में निगेटिव हैं. लेकिन इम्यूनोग्लोब्यूलिन एम टेस्ट में पॉ़जिटिव है. यानी इन्हें दोबारा क्वारनटीन होना पड़ेगा.
अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि क्या ये लोग दोबारा कोविड-19 से संक्रमित हुए या हैं पुरानी बीमारी ही बार-बार परेशान कर रही है. ठीक हुए मरीजों के शरीर में वायरस से लड़ने वाली बी-सेल्स की संख्या में भी भारी कमी देखी गई है.
पेंग ने कहा कि अभी कोरोना संक्रमण से बाहर आए लोग पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं. इन्हें ठीक होने में थोड़ा समय और लग सकता है.