कोविड-19 महामारी की वजह से देश में उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति ने हमारे समाज के सभी तबकों को प्रभावित किया है। इसका गरीब और वंचित समुदायों की आजीविका पर भी गंभीर रूप से प्रभाव पड़ा है और ऐसे समय में आदिवासी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस कठिन दौर में आदिवासी कारीगरों के बोझ को कम करने के उद्देश्य से ट्राइफेड, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आदिवासियों की आजीविका को बनाए रखने हेतु सुस्त पड़ी आर्थिक गतिविधियों में फिर से जान डालने के लिए कई तात्कालिक पहल की हैं। ट्राइफेड डिजिटल प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने के लिए एक वीडियो कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि ‘ट्राइफेड वारियर्स’ की टीम आदिवासी जीवन में बदलाव लाने और उनकी आजीविका को मजबूती प्रदान करने के लिए वन उपजों, हथकरघा एवं हस्तशिल्प पर आधारित जनजातीय व्यापार को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न आवश्यकताओं – चाहे व्यापार संचालन हो, खरीदारी और सूचना हो- को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक लोगों के ऑनलाइन होने के साथ वे डिजिटलीकरण अभियान में सम्मिलित हो रहे हैं ताकि गांव आधारित आदिवासी उत्पादकों को मानचित्र पर लाकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अत्याधुनिक ई-प्लेटफॉर्मों की स्थापना की जा सके, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।
वेबिनार में जिस क्षेत्र पर प्रमुखता से ध्यान दिया गया वह ‘ट्राइफेड गोज डिजिटल’ और “बी वोकल फॉर लोकल’ #गो ट्राइबल” है। इसका आयोजन आज ट्राइफेड ने किया और इसमें 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। मुख्य आकर्षण श्री अर्जुन मुंडा द्वारा गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) (प्रदर्शनी के लिए विविध वस्तुएं) और ट्राइफेड की नई वेबसाइट (https://trifed.tribal.gov.in) पर ट्राइब्सब इंडिया उत्पादों की शुरुआत करना था। इस अवसर पर ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रमेश चंद मीणा, ट्राइफेड बोर्ड की सदस्य श्रीमती प्रतिभा ब्रह्मा, जीईएम के जेएस और सीएफओ श्री राजीव कांडपाल और पीआईबी की एडीजी श्रीमती नानू भसीन भी मौजूद थे। ट्राइफेड टीम का प्रतिनिधित्व सभी विभागों के प्रमुखों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने तहे दिल से सराहना करते हुए सबसे पहले गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पर ट्राइब्स इंडिया स्टोर का उद्घाटन किया, जो अब सरकार द्वारा और नई वेबसाइट (https://trifed.tribal.gov.in/) में खरीद को सुगम बनाने में मदद कर सकता है, जिसमें जनजातीय समुदायों के लाभ के लिए चल रही योजनाओं और पहलों के बारे में सभी महत्वपूर्ण विवरण हैं।
अपने संबोधन में श्री मुंडा ने उस अभूतपूर्व स्थिति के बारे में बात की जिसका सामना दुनिया को करना पड़ रहा है और प्रवासी मज़दूरों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने “ट्राइफेड योद्धाओं” और मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा आदिवासी कारीगरों और आदिवासी संग्रहकर्ताओं की पिछड़ी आर्थिक स्थिति को पुनर्जीवित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाना और उनके कौशल का उपयोग करने, जो अब तक मुख्यधारा से अलग थे, पर अब मुख्य रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए और हमें उन अवसरों को भुनाना चाहिए जो अभूतपूर्व स्थिति के दौरान अधिक पहुंच में आ गए हैं।
श्री मुंडा ने कहा कि आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने में ट्राइफेड ने प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने आज शुरू की गई उनकी दो प्रमुख पहलों के लिए टीम को बधाई दी। दर्शन शास्त्र और प्रबंधन के सिद्धांतों और वास्तविक जीवन के उदाहरणों से मिले अनुभव का उपयोग करते हुए, उन्होंने जनजातीय मामलों के मंत्रालय और “ट्राइफेड योद्धाओं” से मंत्रालय की आगामी योजनाओं पर अपने विचार साझा किए, क्योंकि उन्होंने आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने का कार्य निर्धारित किया था। उन्होंने आदिवासी समुदायों के पास मौजूद जानकारी और ज्ञान के धन को निकालने और उपयोग करने पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया, विशेष रूप से जंगल के संबंध में, और उनका उपयोग न केवल उनके समुदाय को लाभान्वित करने के लिए किया जा सकता है, बल्कि देश की और परेशानी के समय में लोगों की अधिक से अधिक मदद हो सकती है।
ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रमेश चंद मीणा ने कहा कि ट्राइफेड की गतिविधियों पर इस विस्तृत प्रस्तुति को पोस्ट करें, उन्होंने निरंतर पूरी कोशिश करने के लिए ट्राइफेड टीम को बधाई दी और वह निश्चिंत थे कि 2 लाख करोड़ रुपये की आदिवासी अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से दोगुनी या तिगुनी हो जाएगी। इसके अलावा, वह निश्चिंत थे कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप देश के और विदेशों में आदिवासी संग्रहकर्ताओं और कारीगरों के उत्पादों को अधिकतम कवरेज मिलेगी।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक, प्रवीर कृष्ण ने वेबिनार के माध्यम से दो डिजिटल पहलों की औपचारिक शुरुआत में उपस्थिति के लिए केन्द्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया – जो निश्चित रूप से पहली थी। श्री कृष्ण ने आदिवासी कल्याण के लिए केन्द्रीय मंत्री के उदार समर्थन की सराहना करते हुए, श्री कृष्ण ने ट्राइफेड के महत्वाकांक्षी डिजिटलीकरण अभियान के बारे में बात की और बताया कि किस प्रकार इससे 50 लाख से अधिक आदिवासियों (कारीगरों, संग्रहकर्ताओं, निवासियों) को निष्पक्ष और समान अवसर मिल सकते हैं जिन्हें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। श्री कृष्णा ने ट्राइब्स इंडिया स्टोर को जीईएम पर एक वास्तविकता में बदलने में सहयोग प्रदान करने के लिए जीईएम टीम को धन्यवाद दिया।
जीईएम के जेएस और सीएफओ श्री राजीव कांडपाल ने अपने संबोधन में कहा कि कैसे ट्राइफेड और जीईएम टीमों ने समग्र मार्गदर्शन और नेतृत्व के तहत कड़ी मेहनत की है और इसके परिणामस्वरूप जीईएम पर ट्राइब्स इंडिया स्टोर बना है। सरकारी विभाग, मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम अब गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से ट्राइब्स इंडिया उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं और जीएफआर नियमों के अनुसार खरीदारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीईएम में सामाजिक समावेश पर प्रमुख रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया और स्टार्ट-अप, ग्रामीण उद्यमियों, आदिवासी उद्यमियों, महिलाओं, आदिवासियों जैसे आला आपूर्तिकर्ता खंडों को प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने नवनिर्मित ग्रामीण विकास स्टोर का उदाहरण दिया जिसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।
इस भाषण के बाद, ट्राइफेड द्वारा तैयार की गई सभी डिजिटल परिवर्तन रणनीति के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई और साथ ही आदिवासी समुदाय की स्थिति को आसान बनाने में मदद करने के लिए टीम द्वारा किए जा रहे विभिन्न उपायों की भी विस्तृत प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति की शुरुआत उन डिजिटल पहलों पर ध्यान देने के साथ हुई जो आज चल रही हैं, जिनमें से दो की आज शुरुआत की गई है। इसने देश में आदिवासियों के बोझ को कम करने में मदद करने के लिए ट्राइफेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा उठाए गए उपायों को भी शामिल किया गया है। एमएफपी योजना के लिए दोनों एमएसपी का मोटे तौर पर जिक्र करते हुए, जो अब आदिवासियों के लिए 2000 करोड़ रुपये (सरकारी और निजी व्यापार के माध्यम से) की कुल खरीद और वन धन योजना (स्टार्ट-अप योजना) के सफल कार्यान्वयन के लिए रामबाण के रूप में सामने आई है, जनजातीय कार्य मंत्रालय, जिसने 1205 जनजातीय उद्यम स्थापित किए हैं और 22 राज्यों में 3.6 लाख आदिवासी संग्रहकर्ताओं और 18075 स्व सहायता समूहों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं, प्रस्तुति में इनकी और अन्य पहलों के प्रभाव को शामिल किया गया। विशेष रूप से, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर जैसे विभिन्न चैंपियन राज्यों के परिणामों को उदाहरण के रूप में रेखांकित किया गया। प्रस्तुति में इस संकट के दौरान अन्य उपायों पर भी प्रकाश डाला गया।
ट्राइफेड ने कोविड-19 के दौरान ध्यान में रखी जाने वाली एमएफपी से संबंधित सलाह जारी की है, जिसमें अन्य बातों के अलावा व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने, कैशलैस कार्य प्रणाली अपनाने के सुझाव दिए गए हैं। यह 1205 वन धन केन्द्रों में से हाल ही में स्वीकृत वन धन स्व सहायता समूहों से 15,000 ‘वन धन सोशल डिस्टेंसिंग जागरूकता और आजीविका केन्द्रों’ की स्थापना करने की दिशा में काम कर रहा है। ट्राइफेड ने अभियान को बढ़ावा देने के लिए एक डिजिटल संचार रणनीति विकसित करने के लिए यूनिसेफ के साथ भी सहयोग किया है। इसके अतिरिक्त, ट्राइफेड ने आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन की #आईस्टैंडविदह्यूमैनिटी पहल के साथ साझेदारी की है ताकि आदिवासी समुदाय के अस्तित्व के लिए आवश्यक भोजन और राशन प्रदान किया जा सके।
डिजिटल रणनीति में पूरी आपूर्ति-मांग आदिवासी श्रृंखला, प्रत्येक चरण को ध्यान में रखा गया है, और इसमें एक अत्याधुनिक वेबसाइट (https://trifed.tribal.gov.in) जिसमें संगठन और विभिन्न आदिवासी कल्याण योजनाओं; व्यापार के लिए आदिवासी कारीगरों के लिए ई-मार्केट प्लेस की स्थापना करने; उनके उत्पादों के सीधे विपणन; वन धन योजना से जुड़े वनवासियों से संबंधित पूरी जानकारी का डिजिटलीकरण, ग्रामीण हाटों और उनसे जुड़े गोदामों से संबंधित पूरी जानकारी है।
आदिवासी जीवन और व्यापार के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए, ट्राइफेड ने सरकारी और निजी व्यापार और आदिवासियों को संबंधित भुगतान के माध्यम से एमएफपी की खरीद के डिजिटलीकरण की शुरुआत की है। ई-व्यापार में अचानक आई तेजी का लाभ उठाते हुए, ट्राइब्स इंडिया के उत्पाद www.tribesindia.com पर उपलब्ध हैं। सभी क्षेत्र यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं कि विविध प्रकार की वस्तुएं और प्रस्ताव अन्य प्लेटफॉर्मों जैसे एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम और शॉपक्लूज पर आसानी से उपलब्ध हों। इन उत्पादों में रचनात्मक कृतियां और कलाकृतियां जैसे डोकरा धातु शिल्प, सुंदर मिट्टी के बर्तन, विभिन्न प्रकार के चित्रों से लेकर रंगीन, आरामदायक परिधान, विशिष्ट आभूषण और जैविक और प्राकृतिक खाद्य और पेय पदार्थ शामिल हैं।
इसके अलावा, ट्राइब्स इंडिया ई-मार्केटप्लेस, खुदरा सामान प्रबंधन प्रणाली के नजदीक आ गया है, जिसने स्रोत और स्टॉक की बिक्री को स्वचालित कर दिया है, यह ई-मार्केट प्लेटफॉर्म पर लगभग 5 लाख आदिवासी कारीगरों को शामिल करने की एक महत्वाकांक्षी पहल है ताकि उनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच हो सके। इसके जुलाई 2020 के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।
ट्राइफेड वन धन एकीकृत सूचना नेटवर्क उन वनवासियों से जुड़ी सभी सूचनाओं को एकत्र करने को सरल बनाता है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य कार्य प्रणाली में लगे हुए हैं और इसकी वनधन योजना उन्हें ग्रामीण हाटों और गोदामों से जोड़ती है। इससे देशव्यापी कार्यक्रम की निगरानी करने और सुचारु कार्यान्वयन की सुविधा के लिए फैसले लेने में मदद मिलती है। यह योजना 22 राज्यों में लागू की गई है जो लगभग 3,61,500 आदिवासियों के जीवन पर असर डालती है। देश भर में पहचाने गए और मानचित्रित आदिवासी समूह आत्मानिर्भर अभियान के तहत पात्र लाभार्थी हैं। इसका उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना है और इन कमजोर और संकटग्रस्त समुदायों को लाभ पहुंचाना है। ट्राइफेड, आत्मनिर्भर अभियान के तहत जनजातीय हितों की वकालत और उनका समर्थन करता है।
ट्राइफेड के ईडी श्री अनिल रामटेके ने अपने समापन भाषण के साथ इस प्रेरक और जानकारी से भरे सत्र का समापन किया। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा को उनके प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक संबोधन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहे।