प्रधानमंत्री ने कहा, ‘डिस्कॉम समय-समय पर अपने प्रदर्शन मापदंडों को प्रकाशित करें, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि उनकी डिस्कॉम का प्रदर्शन समकक्ष कंपनियों की तुलना में कैसा है’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कल शाम विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के कामकाज की समीक्षा की। इस बैठक में बिजली क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं के निवारण हेतु की गई विभिन्न नीतिगत पहलों पर चर्चा की गई जिनमें संशोधित टैरिफ नीति और बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने बिजली क्षेत्र की परिचालन क्षमता में वृद्धि और वित्तीय निरंतरता या स्थायित्व में बेहतरी सुनिश्चित करते हुए उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने यह बात रेखांकित की कि विद्युत सेक्टर, विशेष रूप से बिजली वितरण क्षेत्र में जो समस्याएं हैं वे सभी क्षेत्रों और राज्यों में एक जैसी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय को सभी राज्यों के लिए ठीक एक जैसा ही समाधान या सॉल्यूशन की तलाश करने के बजाय प्रत्येक राज्य को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए राज्य-विशिष्ट समाधानों को प्रस्तुत करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने विद्युत मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि विद्युत वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) समय-समय पर अपने प्रदर्शन मापदंडों को प्रकाशित करें, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि उनकी डिस्कॉम का प्रदर्शन समकक्ष कंपनियों की तुलना में कैसा है। उन्होंने इस बात पर भी विशेष जोर दिया कि बिजली क्षेत्र में उपकरणों का उपयोग ‘मेक इन इंडिया’ के अनुरूप होना चाहिए।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने सोलर वाटर पंपों से लेकर विकेन्द्रीकृत सौर शीत भंडारणों तक की कृषि क्षेत्र की पूरी आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने रूफटॉप सोलर के लिए भी अभिनव मॉडल पर विशेष बल दिया और इसके साथ ही यह इच्छा जताई कि प्रत्येक राज्य में कम-से-कम एक शहर (या तो राजधानी शहर या कोई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल) ऐसा हो, जो रूफटॉप सौर ऊर्जा के उत्पादन के माध्यम से पूरी तरह से सौर शहर हो। बैठक के दौरान भारत में इंगोट, वेफर, सेल और मॉड्यूल के निर्माण का अनुकूल परिवेश विकसित करने पर भी विशेष जोर दिया गया, जो विभिन्न तरह के अन्य लाभ प्रदान करने के अलावा रोजगार सृजन में भी मददगार साबित होगा।
प्रधानमंत्री ने ‘कार्बन मुक्त लद्दाख’ की योजना में तेजी लाने की इच्छा जताई और इसके साथ ही सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग करके तटीय इलाकों में पेयजल आपूर्ति पर विशेष बल दिया।