भारत का संवैधानिक विकास

ब्रिटिश संसद द्वारा पारित   चार्टर/ अधिनियम/ योजनाओं को दो भागों में बांटा गया

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                   ब्रिटिश संसद द्वारा पारित   चार्टर /अधिनियम

1 ईस्ट इंडिया कंपनी                          2 साम्राज्य के हितों की सुरक्षा के लिए 

                                                         क्राउन/ ताज का शासन

(1773  से 1858 तक)                                          (1858 से 1947 )

केंद्रीकरण                                                             विकेंद्रीकरण

1773 का रेगुलेटिंग एक्ट                      भारत सरकार अधिनियम  1858

1781 का एक्ट ऑफ सेटलमेंट                   भारत परिषद अधिनियम 1861

1784 का पिट्स इंडिया एक्ट                    भारत परिषद अधिनियम 1892

1786 का अधिनियम                         भारत परिषद अधिनियम 1909

1793 का चार्टर एक्ट                         भारत सरकार अधिनियम 1919

1813 का चार्टर एक्ट                         भारत शासन अधिनियम 1935

1833 का चार्टर एक्ट                         भारतीय स्वतंत्र अधिनियम 1947

1853 का चार्टर एक्ट

1 1600 का  राजलेख

1 ईस्ट इंडिया कंपनी  के स्थापना के साथ ही इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ से  15 वर्षों तक व्यापार का अधिकार दिया

                         संचालन- बोर्ड ऑफ डायरेक्टर  द्वारा किया जा रहा था

इसमें एक गवर्नर और 24 सदस्य थे

2 1726 का राजलेख

कोलकाता, मद्रास, मुंबई कि प्रेसिडेंट क्यों में गवर्नर की नियुक्ति की गई और उनकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई

3 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट

मुख्य उद्देश्य- इस एक्ट को पारित करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी के कार्यों को भारत में इंग्लैंड दोनों स्थानों में नियंत्रित करना था

इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा और उसकी सहायता के लिए 14 सदस्य कार्यकारी परिषद का गठन किया गया और बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन मद्रास एवम मुंबई की गवर्नर हो गए

बंगाल का पहला गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे

इस अधिनियम के तहत  1774 में कोलकाता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई जिसमें मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे

                              मुख्य न्यायाधीश- सर एलिजा इम्पे  

             अन्य न्यायाधीश – हाइट, चेंबर,  लिमिस्टर

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कार्यकाल – 3 से 4 वर्ष कर दिया क्या

 4 1781 का एक्ट ऑफ सेटलमेंट

इस एक्ट को संशोधनात्मक एक कहा जाता है

उद्देश्य- रेगुलेटिंग एक्ट की त्रुटियों को दूर

सुप्रीम कोर्ट बंगाल, बिहार, उड़ीसा के दीवानी  प्रदेशों के लिए विधि बनाने का अधिकार दिया सुप्रीम कोर्ट की राजस्व  अधिकारिता को समाप्त कर दिया गया

5 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट

यह अधिनियम एक्ट ऑफ सेटलमेंट का विस्तृत रूप

इस अधिनियम के तहत 6  सदस्य नियंत्रक मंडल या बोर्ड ऑफ कंट्रोल की नियुक्ति की गई  इसकी नियुक्ति की ब्रिटिश संसद के द्वारा की गई

बोर्ड ऑफ कंट्रोल सैनिक, असैनिक मामले, राजस्व संबंधी मामले  और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के व्यापारिक कार्यों पर पूर्ण नियंत्रण था

गवर्नर जनरल की parisad  4 से 3 कर दी गई

 इसी समय इंग्लैंड में कोर्ट की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य भारत में नियुक्त अधिकारियों के  अवैध कार्य पर मुकदमा चलाने के लिए किया गया

 6 1786 का अधिनियम

बंगाल के गवर्नर को अतिरिक्त शक्ति प्रदान की गई

 बंगाल  के गवर्नर जनरल  को प्रधान सेनापति की शक्ति प्रदान की गई तथा विशेष अवस्था में अपने परिषद की और निर्णय को लागू करने का अधिकार दिया गया

उद्देश्य-    लॉर्ड कार्नवालिस गवर्नर जनरल प्रथम मुख्य सेनापति दोनों की शक्ति चाहता था

7 1793 चार्टर  एक्ट

ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों में लिखित वीडियो द्वारा प्रशासन की नींव रखी गई

कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया

सभी कानूनों  और विनियमों की व्याख्या का अधिकार न्यायालय को दिया गया

बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अधिकारियों को भारतीय  कोष

 8 1813 का चार्टर एक्ट

कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को 20 वर्ष के लिए पुनः बढ़ा दिया गया( राजस्व नियंत्रण)- राजस्व की वसूली

भारतीय व्यापार पर कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया परंतु चाय और  चीनी के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा

 स्थानीय स्वायत्तशासी  संस्थाओं को कर लगाने का अधिकार दिया गया

ईसाई मिशनरियों को भारत में प्रवेश करने की छूट मिल गई ताकि वे धर्म का प्रचार भी कर सकें

कंपनी को भारत में शिक्षा पर ₹100000 वार्षिक खर्च करने का प्रावधान किया गया और इस बजट के अनुशंसा लॉर्ड  वुड्स के अनुशंसा पर की गई थी

9 1833 का चार्टर  एक्ट

कंपनी के  व्यापारिकएकाधिकार को एकाधिकार को पूर्णता समाप्त कर दिया गया और कंपनी को प्रशासनिक व राजनीतिक संस्था बना दिया गया

भारत के प्रशासन का केंद्रीकरण किया गया और बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया

भारत के गवर्नर जनरल- लॉर्ड विलियम बैटिंग

इस अधिनियम द्वारा कानून बनाने के लिए गवर्नर जनरल की परिषद में एक अतिरिक्त कानूनी सदस्य को चौथे सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया और चौथे सदस्य के रूप में T.B मेकाले की नियुक्ति की गई

TB मेकाले  की अध्यक्षता में विधि आयोग का गठन किया गया

 मैकाले के प्रयासों से दास प्रथा कन्या वध सती प्रथा  अवैध घोषित किया

T B मैकाले के द्वारा भारत में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी किया गया

मैकाले  को ड्रेन थ्योरी का जन्मदाता कहा जाता है

इसी समय ठगी प्रथा  का उन्मूलन करने का श्रेय कर्नल स्लमिन   

10 1853  का चार्टर एक्ट

ब्रिटिश शासन था अंतिम   चार्टर था

भारत के गवर्नर जनरल के परिषद के   विधायी और प्रशासनिक कार्यों को अलग किया गया

बंगाल के प्रशासनिक कार्यों के लिए एक अलग से लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की गई

संपूर्ण भारत के लिए सर्वप्रथम एक विधानमंडल की स्थापना की गई

भारतीय सिविल सेवा के संबंध में  मैकाले समिति की नियुक्ति की गई

सिविल सेवक सिविल सेवकों भर्ती हेतु खुली परीक्षा का प्रारंभ किया गया यह प्रतियोगिता भारतीय नागरिकों के लिए भी खोल दीजिए

11 भारत सरकार अधिनियम 1858

 1 यहां अधिनियम 1857 के विद्रोह के परिणाम स्वरुप आया  और समस्त शक्ति ब्रिटिशराज राजशाही को हस्तांतरित कर दी गई जिससे भारत का शासन महारानी विक्टोरिया के अधीन चला गया

 2 गवर्नर जनरल को वायसराय कहां गया(  लॉर्ड कैनिंग)

 3 बोर्ड ऑफ कंट्रोल और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पद को समाप्त कर दिया गया और  इसके समस्त अधिकार     भारत सचिव को सौंप दी है

4 1784 पिट्स इंडिया एक्ट के द्वारा स्थापित द्वैध शासन का अंत हुआ

5 वायसराय लॉर्ड कैनिंग के द्वारा सर्वप्रथम विभागीय प्रणाली की शुरुआत की गई

6  भारत सचिव ब्रिटिश मंत्रिमंडल का सदस्य होता था जिसकी सहायता के लिए 15 सदस्य भारत परिषद का गठन किया गया इसमें 7 सदस्यों की नियुक्ति को कोड ऑफ डायरेक्टर के द्वारा  तथा 8 सदस्यों की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाती थी

7 इस अधिनियम को अपने अधिकारों का मैग्नाकार्टा कहा जाता है

12 भारत परिषद अधिनियम 1861

1वायसराय को परिषद में कानून बनाने की शक्ति दी गई और अध्यादेश जारी करने की शक्ति दी गई

2 लॉर्ड कैनिंग के द्वारा मंत्रालय मंत्रालय प्रणाली को मान्यता दी गई

3 वायसराय को नए प्रांत के निर्माण और लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति करने का अधिकार दिया गया

4 1861 में लॉर्ड कैनिंग ने 3 भारतीय 1  बनारस के राजा 2 महाराजा पटियाला के 3 सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया

मद्रास और बंबई प्रेसिडेंसी को या प्रांतों को विधायिका शक्ति देकर विकेंद्रीकरण की शुरुआत की गई

5 वायसराय को विधानसभा में भारतीयों को मनोनीत करने की शक्ति प्रदान की गई

13 भारत परिषद अधिनियम 1876

महारानी विक्टोरिया को भारत के  साम्राजी घोषित किया गया

14 भारत परिषद अधिनियम 1893

उद्देश्य- यहां अधिनियम भारतीय आंदोलन के फलस्वरूप कुछ अधिकार देने के लिए बना था परंतु इसने केवल भारतीय विधान परिषद  की शक्ति , कार्य और रचना की बात की गई थी

इस अधिनियम के सबसे महत्वपूर्ण बात निर्वाचन पद्धति का प्रारंभ होना था

विधानमंडल के सदस्यों के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि की गई उनके सदस्यों को सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रश्न पूछने तथा बजट पर बहस करने का अधिकार दिया गया लेकिन मतदान का अधिकार नहीं दिए दिया गया

15 भारत परिषद अधिनियम 1909( मार्ले मिंटो सुधार)

उद्देश्य- भारतीय राजनीति में बढ़ते हुए उग्रवाद और क्रांतिकारी राष्ट्रवाद से उत्पन्न स्थिति का सामना करना था

इन सुधारों में सरकार की यह इच्छा विद्वान थी कि कांग्रेस के उदारवादी नेता नेताओं को प्रसन्न कर दिया जाए और सांप्रदायिक सांप्रदायिकता की भावना को निर्णय करके उग्रवाद तथा क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की शक्तियों का दमन कर दिया जाए

1 केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों के आकार में वृद्धि

2 विधान परिषदों की चर्चा का दायरा बढ़ाया गया जिसके तहत अब सार्वजनिक हित के विषय में प्रस्ताव रखने, प्रश्न पूछने और पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार मिल गया

इस अधिनियम की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि इसके द्वारा भारतीय सचिव की परिषद तथा बाहर भारत की वायसराय की कार्यकारी परिषद में सर्वप्रथम भारतीय सदस्यों को शामिल किया गया

               सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की प्रथम भारतीय सदस्य थे

3 इस अधिनियम द्वारा सांप्रदायिक आधार पर निर्वाचन पद्धति को स्थापित करने का प्रयास किया तथा मुस्लिम के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की स्थापना की इसके अंतर्गत मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता ही कर सकते थे

इसलिए लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन के जनक के रूप में जाना जाता है(    फूट डालो और राज करो की नीति अपनाई)

16 भारत सरकार अधिनियम 1919(मांटेग्यू-  चेम्सफोर्ड सुधार)

इस अधिनियम ने पहली बार देश में  द्विसदनीय व्यवस्था और प्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था प्रारंभ की

इस अधिनियम के द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन स्थापित किया गया

 प्रांतों में द्वैध शासन के जनक- लियोनीकल कोर्टिक्स कहां जाते हैं

1 इस अधिनियम द्वारा संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई

2 इस अधिनियम के तहत  सिक्खो, ईसाइयों, आंग्ल भारतीय व यूरोपिय हेतु पृथक निर्वाचक मंडल के सिद्धांत का विस्तार किया गया

3 इस अधिनियम के तहत उत्तरदाई शासन शब्द का प्रयोग किया गया

17 भारत शासन अधिनियम 1935

1935 भारत के लिए तैयार किए गए अंतिम  संविधानिक प्रस्ताव था

1 साइमन कमीशन श्वेत पत्र, गोलमेज सम्मेलन भारत शासन अधिनियम 1935 का आधार बने

2 इस अधिनियम के द्वारा संघीय न्यायपालिका की  की स्थापना नई दिल्ली में की गई जिसकी सुनवाई प्रिवी कौंसिल में की जाती थी

3 प्रांतों में द्वैध शासन का अंत

4 केंद्र में द्वैध शासन प्रणाली का प्रारंभ

5 अखिल भारतीय संघ की स्थापना की गई  जिसमें 11 ब्रिटिश प्रांत ,6 कमिश्नरी  और कुछ देशी रियासत थी

6 संघ और केंद्र के बीच में शक्तियों का विभाजन किया गया

संघ सूची- 59  विषय समवर्ती सूची- 36   विषय प्रांत सूची- 56

7भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई

8बर्मा को भारत से अलग कर दिया जाए

1942 क्रिप्स मिशन

उद्देश्य- भारतीयों के सहयोग के लिए

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश शासन के द्वारा यह महसूस किया गया कि भारतीयों द्वारा दिया गया सहयोग  अधिक महत्वपूर्ण होगाइसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए 1942 के मार्च महीने में ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री स्टेफोर्ड क्रिप्स को कुछ प्रस्ताव के साथ भारत भेजा गया  जिसे भारत के सभी राजनीतिक दलों ने अस्वीकार कर दिया

 क्रिप्स प्रस्ताव के अंतर्गत यह मान लिया गया था कि युद्धोपरांत भारतीयों को यह अधिकार हुआ कि वह अपने लिए अपने संविधान सभा में संविधान का निर्माण कर सके किंतु प्रांतों को नए संविधान को स्वीकार करने या ना करने की छूट दी गई

मुस्लिम लीग ने इस प्रस्ताव को इसलिए  अस्वीकार कर दिया क्योंकि उस प्रस्ताव में सांप्रदायिक आधार पर बंटवारे  का प्रस्ताव नहीं था

गांधी जी द्वारा यहां  आलोचना की गई यह प्रस्ताव बात की तारीख का चेक है

1942 भारत छोड़ो आंदोलन क्रिप्स मिशन  की असफलता के फल स्वरुप भारतीय वातारण पुनः शांत हो गया

8 अगस्त 1942 के दिन मुंबई के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने  अंग्रेजी भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया

1945 वेवेल योजना

1943  लॉर्ड लिनलिथगो  के स्थान पर लॉर्ड वेवेल वायसराय  बनाए गए के द्वारा याद घोषणा की गई जब तक  भारतीय स्वयं अपना संविधान नहीं बना लेते हैं तब तक अंतरिम व्यवस्था के रूप में अधिशासी  परिषदभारतीय करण कर दिया जाएगा

और उसमें भारतीय राजनेताओं को, मुसलमानों को, हिंदुओं  के बीच समानता पर समानता के आधार पर सम्मिलित किया जाएगा तथा उसमें दलित वर्गों  और सिखों का एक प्रतिनिधि होगा

परिषद में वायसराय तथा कमांडर इन चीफ को भी शामिल किया जाना था

1945 का शिमला सम्मेलन

द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्ति के बाद वायसराय लॉर्ड वेवेल द्वारा शिमला में भारतीय नेताओं का सम्मेलन बुलाया गया जो 25 जून से 14 जुलाई 1945 तक चला इस सम्मेलन में विभिन्न राजनीतिक दलों   के मत विभिन्नता के चलते कोई ठोस निर्णय नहीं पहुंचा जा सका कांग्रेस जहां पर इस सम्मेलन में अखंड भारत की मांग कर रही थी वही मुस्लिम लीक पाकिस्तान के लिए अपनी मांग पर अड़े रहे

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि 30 जून 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन  समाप्त हो जाएगा

 3 जून 1947 को माउंटबेटन ने भारत विभाजन योजना प्रस्तुत की

1 भारत ने ब्रिटिश राज्य समाप्त करके 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र एवं संप्रभु राष्ट्र घोषित किया गया और इसमें भारतीय रियासतों को यह स्वतंत्रता दी कि वह चाहे तो भारत या पाकिस्तान के साथ मिल सकते हैं या स्वतंत्र रह सकते हैं