कवर्धा: संसदीय सचिव षिषुपाल सोरी ने धनकुल एथेनिक रिसाॅर्ट में ‘गढ़कलेवा‘ का किया शुभारंभ…

चीला, ठेठरी, खुरमी, फरा, बड़ा, चैसेला जैसे पारम्परिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लोग ले सकेंगे स्वाद

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बस्तर संस्कृति को लोगो तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा धनकुल रिसाॅर्ट- श्री सोरी

आज स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर श्री शिशुपाल सोरी के करकमलों से धनकुल एथेनिक ईको रिसाॅर्ट में छत्तीसगढ़ के पारम्परिक व्यंजनों के विक्रय हेतु बनायें गये केन्द्र ‘गढ़कलेवा‘ का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मातलाम, कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा, पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी, सीईओ जिला पंचायत डीएन कश्यप, एसडीएम पवन कुमार प्रेमी, डिप्टी कलेक्टर बीआर धु्रव, गौतम पाटिल, धनंजय नेताम, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जीएस.सोरी सहित अन्य जनप्रतिनिधि गण एवं अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

इस दौरान संसदीय सचिव श्री सोरी ने धनकुल एथेनिक रिसाॅर्ट की खुले दिल से प्रशंसा की एवं कहा कि बस्तर की जनजातीय संस्कृति अपने आप में अनुठी है। जिसका अध्ययन करने देश-विदेश से प्रबुद्ध लोग बस्तर आया करते थे परंतु विगत् कुछ सालों से माओवाद के दंश से पर्यटकों का बस्तर प्रवास कम हो गया है। ऐसे में नगर के निकट इस प्रकार के ईको एथेनिक रिसाॅर्ट के निर्माण से ना सिर्फ आने वाले पर्यटकों अपितु नगर के निवासियों को बस्तर की विविधता पूर्ण संस्कृति को निकट से जानने का अवसर प्राप्त होगा साथ ही उन्होने कहा कि यह रिसाॅर्ट अपने आप में अनोखी विशेषताए समेटे हुए है। यहां एक ओर इसमें ग्रामीण परिवेश में रह कर लोगों को संस्कृति को निकट से जानने का अवसर प्राप्त होगा वही दूसरी ओर उन्हें स्थानिय पारम्परिक व्यंजनों का उचित दर पर स्वाद भी प्राप्त होगा।


इस अवसर पर श्री सोरी ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के साथ ठेठरी, अनरसा, बड़ा, मुररा लड्डू, चैसेला, चीला जैसे व्यंजनों का आनन्द लिया। यहां गढ़कलेवा में खाजा, बीड़िया, पिडीया, देहरौरी, पपची, ठेठरी, खुर्मी, ननकी या अदौरी बरी, रखिया बरी, कांेहरा बरी, मुरई बरी, उड़द दाल, मूंग दाल और साबूदाना के पापड़ मसाला युक्त मिर्ची, बिजौरी, लाइबरी जैसे 22 तरह के स्थानीय पारम्परिक व्यंजनों का विक्रय उचित दर पर स्वसहायता समूह द्वारा किया जायेगा। इस गढ़कलेवा का संचालन जय माॅ दुर्गा स्व-सहायता समूह की 11 महिलाओं द्वारा किया जायेगा। इस समूह की महिलाओं को इससे रोजगार प्राप्त होगा जबकि लोगों को स्वादिष्ट एवं पारम्परिक विधियों से निर्मित स्वच्छ स्वल्पाहार प्राप्त होगा।