00 अपनी पुत्री के साथ गीत-संगीत सहित अन्य कलाओं का लिया आनंद
00 लोकसंगीत की छात्राओं के साथ थिरकती नजर आयी श्रीमती कौशल्या साय
00 मूर्तिकला व डिजाईन विभाग पहुंच प्रिंटिंग व मूर्ति बनाने की कला से हुई अवगत
खैरागढ़. प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय अपनी पुत्री के साथ विश्वविद्यालय का भ्रमण करने पहुंची। शुक्रवार 27 सितंबर को विश्वविद्यालय पहुंचते ही कुलपति श्री सत्यनारायण राठौर सहित कलेक्टर श्री चन्द्रकांत वर्मा, एसपी श्री त्रिलोक बंसल एवं कुलसचिव श्री प्रेम कुमार पटेल, अधिष्ठाता लोकसंगीत श्री योगेन्द्र चौबे एवं सहायक कुलसचिव श्री राजेश गुप्ता ने श्रीमती कौशल्या साय का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। इसके पश्चात श्रीमती साय ने अपनी पुत्री के साथ विश्वविद्यालय का भ्रमण किया।
सर्वप्रथम वें चित्रकला विभाग पहुंची जहां चित्रकला के छात्रों द्वारा बनाये गये आकर्षक चित्रों का आनंद लेते हुये छात्रों से बातचीत कर चित्रकला के संबंध में जानकारी ली। कैनवास पर उकेरी गई तस्वीरों को देखकर श्रीमती साय प्रफुल्लित हो उठीं। इसके पश्चात संगीत संकाय पहुंची जहां गायन एवं विभिन्न वाद्य यंत्रों की शिक्षा ले रहे छात्रों से मुलाकात कर उनके बारे में जानकारी ली। विभाग प्रमुख श्री नमन दत्त के द्वारा उन्हें अलग-अलग वाद्य यंत्रों के बारे में अवगत कराया। इस दौरान वें विदेश से संगीत व कला की शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे छात्रों से भी मिलीं और उनसे बातचीत की।
लोक संगीत की छात्राओं के साथ किया नृत्य
लोक संगीत संकाय में भ्रमण के दौरान श्रीमती कौशल्या साय ने पहले छात्रों की गीत-संगीत व नृत्य की प्रस्तुति देख प्रसन्न हो गई। इसके बाद छात्राओं की विशेष मांग पर उनके साथ छत्तीसगढ़ी गीत पर नृत्य किये तथा सांवरी सुरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया गीत का गायन भी किया।
इसके पश्चात नृत्य संकाय पहुंची जहां ओडिसी, कथक व भरतनाट्यम की छात्राओं से मुलाकात कर उनसे बातचीत की। ओडिसी, कथक व भरतनाट्यम के छात्र-छात्राओं के द्वारा नृत्य के माध्यम से नृत्यकला का परिचय दिया गया। नृत्य संकाय से श्रीमती साय सीधे दरबार हॉल पहुंची जहां विश्वविद्यालय के अधिकारियों के द्वारा दरबार हॉल के ऐतिहासिक चीजों की जानकारी दी गई।
दरबार हॉल से वें संग्रहायल पहुंची, जहां संग्रहालयाध्यक्ष डॉ.आशुतोष चौरे के द्वारा संग्रहालय में मौजूद प्राचीन वस्तुओं तथा कलाओं की जानकारी देते हुये उनकी विशेषता बताई। इस दौरान श्रीमती साय ने विश्वविद्यालय भ्रमण के दौरान होने वाली अनुभूति को शब्दों का रूप देते हुये विजिस्टर रजिस्टर में लिखा।विवि के अधिकारियों के द्वारा उन्हें म्यूजियम से संबंधित पुस्तकें भेंट की। इसके पश्चात वें ग्रंथालय पहुंची जहां पुराने गीत संग्रह सहित पुस्तकों के से अवगत हुईं। उन्होंने ग्रंथालय में अध्ययनरत छात्रों से चर्चा भी की।
मूर्तिकला विभाग पहुंच विभिन्न प्रिंटिंग प्रक्रियाओं व मूर्ति बनाने की कलाओं से हुई अवगत
ग्रंथालय के बाद श्रीमती कौशल्या साय मूर्तिकला विभाग पहुंची जहां उन्होंने काष्ठ व मिट्टी की मूर्तियां बना रहे छात्रों से मुलाकात की और मूर्तिकला के संबंध में बारिकी से जानकारी ली। छात्रों से बात करते हुये उनका परिचय भी जाना और उन्हें खूब मेहनत कर बेहतर शिक्षा ग्रहण करने की बात कही। इसी तरह अलग-अलग पद्धति से कागज पर चित्र उकेरने वाली प्रिंटिंग प्रक्रिया से भी वें अवगत हुई।
अधिकारियों द्वारा टेराकोटा, लीथोग्राफी व अन्य पद्धति से प्रिंटिंग किये जाने की जानकारी दी गई। इस दौरान छात्रों द्वारा स्वयं के बनाये पोट्रेट व मूर्ति भी उन्हें प्रदान की गई। अंत में श्रीमती साय ने विश्वविद्यालय को लेकर कहा कि जैसा सुना था उससे कहीं ज्यादा पाया। विश्वविद्यालय के छात्र हमारी संस्कृति व हमारी धरोहर को बचाने का कार्य कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के विभिन्न प्रांत तथा विदेशों से पहुंचकर छात्र गीत-संगीत, नृत्य व विभिन्न कलाओं के माध्यम से संस्कृति को सहेज कर रखे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जगहों पर पहले से सृजित चीजों को देखते हैं परंतु यहां छात्रों द्वारा खुद सृजन किया जा रहा है जिसे देखना अद्भुत है। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों को जल्दी ही रायपुर कार्यक्रम में आमंत्रित करने की बात कही।
श्रीमती कौशल्या साय के आकस्मिक रूप से संगीत नगरी आगमन से विश्विद्यालय के अध्यापक और छात्र बहुत उत्साहित थे।