दंतेवाड़ा- कोरोना वाइरस के समय एक तरफ जहां देश के तमाम स्कूल बंद है, छत्तीसगढ़ में भी बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, शिक्षा पाने से दूर हैं ऐसी स्थिति में स्कूल खोलना मुश्किल है। राज्य सरकार के द्वारा ऑनलाइन क्लास का संचालन किया जा रहा है जिसमें मोबाइल और नेटवर्क युक्त बच्चे वर्चुअल क्लास के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं परंतु ऐसे अनेक बच्चे हैं जिनके पास ना तो नेटवर्क है।
और न ही उनकी मोबाइल खरीदने की आर्थिक स्थिति होती है, इस स्थिति में भी शिक्षक उन बच्चों के पास पहुंचकर कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के समस्त नियमों का पालन करते हुए उन बच्चों को पढ़ाने में लगे हुए हैं। ऐसे तमाम दृश्य आजकल आपको गली मोहल्ले में देखने को मिलेंगे। इन सब में एक खासियत यह भी है कि अब शिक्षकों के साथ-साथ जन सहयोग भी मिल रहा है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण एक सेवानिवृत्त शिक्षक को अपने अध्यापन कार्य में देखने को मिला। ये प्राथमिक शाला भैरमबंद में बच्चों को गीत के माध्यम से खेल-खेल में शिक्षा दे रहे थे।
इसने जब देखा कि वहां के शिक्षक श्री नानूराम सलाम और ठाकुर मेड्म बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो पेशे से शिक्षक अपने शिक्षकीय कार्य से स्वयमेव खींचे चले आए और बच्चों को पढ़ाने में लग गए। बच्चे भी इनके जैसों को देखकर उनके गाने के साथ नाचने लगे थे। 70 वर्ष की उम्र में भी यह बच्चों के साथ नाच कर उनका हौसला बढ़ाएं। इन्होंने शिक्षकों को खेल-खेल में पढ़ाने हेतु मार्गदर्शन दिया। सभी बच्चों को कोरोना के रोकथाम में आवश्यक सावधानियों को बताया। सन् 2012 में विकासखंड दंतेवाड़ा के सेवानिवृत्त हुए शिक्षक श्री सी पी ठाकुर अपने पुराने पेशे से जुड़े हुए नजर आए।
श्री सी.पी ठाकुर का जन्म 1 नवंबर 1950 को पण्डेवार गांव विकासखंड दंतेवाड़ा में हुआ था। किसान के घर जन्मे सेवानिवृत्त शिक्षक की पोस्टिंग विकासखंड के फरसपाल प्राथमिक शाला में 1969 में हुआ था। और उसके बाद विकासखंड गीदम दन्तेवाड़ा के अनेक स्कूल में सेवा देने के बाद 30 अक्टूबर 2012 को सेवानिवृत्त हुए। इनके घर में एक बेटा और तीन बेटियां समेत छह परिवार का सदस्य है। श्री सी पी ठाकुर कृषि कार्य में अब लगे हुए हैं। श्री सी पी ठाकुर जैसे शिक्षाविद अपने ग्रामीण इलाकों के बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हुए हैं। युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में है।