डोंगरगढ़ : 18 फरवरी विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर महामुनिराज आज तड़के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में सल्लेखनापूर्वक समाधि की अवस्था को प्राप्त कर ब्रह्मलीन हो गए। देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों जैन धर्मावलंबियों की मौजूदगी में दिन में उनका अंतिम संस्कार किया गया।डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र में रविवार तड़के लगभग दो बजकर पैंतीस मिनट पर आचार्यश्री ने अंतिम सांस ली। वे 77 वर्ष के थे।
कुछ दिनों से अस्वस्थता के बावजूद उन्होंने अपनी निर्धारित दिनचर्या और साधना का क्रम नहीं छोड़ा। आचार्यश्री ने सल्लेखना पूर्वक समाधि के उद्देश्य से पिछले तीन दिनों से उपवास और मौन का संकल्प लेकर अन्न जल का भी त्याग कर दिया था। आचार्यश्री के समीप अनेक दिगंबर जैन मुनि ब्रह्मचारी भैया और श्रद्धालु मौजूद थे। जैन परंपराओं के अनुसार आचार्यश्री ने ब्रतों का पालन करते हुए आचार्य पद भी त्याग दिया।चंन्दगिरी तीर्थ के प्रबंधकों के अनुसार आचार्यश्री के अस्वस्थ होने की सूचना के चलते यहां पर हजारों की संख्या में जैन धर्मावलंबी पहले ही आ चुके थे। समाधि की सूचना के बाद हजारों की तादाद में लोग और पहुंच गए। दिन में लगभग एक बजे जैन मुनियों की ओर से कराए गए धार्मिक संस्कार के बीच आचार्यश्री की पार्थिवदेह को एक विशेष प्रकार से तैयार की गई डोली में विराजमान कर अंतिम संस्कार स्थल ले जाया गया जहां पर अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। और उनकी देह अग्नि को समर्पित कर दी गई ।
उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे प्रबंधकों के अनुसार जैन मुनि योग सागर महाराज ,समता सागर महाराज ,अभय सागर महाराज संभव सागर महाराज और अन्य संघस्थ मुनी डोंगरगढ़ में मौजूद है इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद दिगंबर जैन संत विहार करते हुए डोंगरगढ़ की और बढ़ रहे हैं इसके मध्देनजर यहां पर आवश्यक व्यवस्था की जा रही है आचार्य श्री ने दीक्षित हजारों की संख्या में ब्रह्मचारी भैया और दीदीया भी डोंगरगढ़ में मौजूद है