राजनांदगांव : कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा डीबीटी बायोटेक किसान हब योजना के तहत किसानों को खरपतवारनाशी का किया वितरण….

सूखा ग्रस्त क्षेत्र के लिए प्रतिरोधी धान की प्रजाति इंदिरा महेश्वरी और डीआरआर धान- 42 का वितरण एवं प्रदर्शन किसानों के प्रक्षेत्र में किया गया

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राजनांदगांव – डीबीटी बायोटेक किसान हब योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बीएस राजपूत तथा परियोजना प्रभारी व विषयवस्तु विशेषज्ञ उद्यानिकी श्रीमती गुंजन झा द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए प्रतिरोधी धान की प्रजाति इंदिरा महेश्वरी और डीआरआर धान- 42 का वितरण एवं प्रदर्शन किसानों के प्रक्षेत्र में किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, बरौंडा रायपुर के प्रमुख अन्वेषक डॉ. पी मुवेंथन पलानीसामी के मार्गदर्शन एवं कुलपति इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर डॉ. एसके पाटिल, निदेशक विस्तार सेवाएं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर डॉ. एससी मुखर्जी के संरक्षण मेें इस योजना का संचालन किया जा रहा है।


डीबीटी बायोटेक किसान हब योजना के तहत खरीफ की मुख्य फसल धान की प्रजाति इंदिरा महेश्वरी (तनाछेदक, टूग्रो वायरस, भूरा माहू, पत्तियों में झुलसा रोग हेतु प्रतिरोधी) एवं डीआरआर धान- 42 जो सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए प्रतिरोधी किस्म का वितरण व प्रदर्शन किसानों के प्रक्षेत्र में किया गया है। धान अभी नर्सरी अवस्था में है एवं जिन फसलों की रोपाई हो चुकी है एवं प्रक्षेत्र में खरपतवार दिखाई दे रहा है। जिसके नियंत्रण हेतु प्रेटिलाक्लोर 50 ईसी 500 मिली एवं छिड़काव विधि अथवा सीड ड्रिल से बुवाई किए गए किसानों को बिस्पायरिबाक सोडियम 10 एससी 100 मिली व महामिक्स 8 ग्राम प्रति एकड़ खरपतवारनाशी का वितरण किया गया।

कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगांव के वैज्ञानिक श्रीमती गुंजन झा ने बताया कि खरपतवारनाशी प्रेटिलाक्लोर 50 ईसी का उपयोग रोपाई के 4 से 5 दिन के भीतर करना चाहिये व तनाछेदक में प्रारंभिक अवस्था में जैविक नियंत्रण हेतु फेरोमेन ट्रैप तथा ल्योर (स्किरपोपैगा इंसटुलस) 40-50 मीटर की दूरी पर 5 नग एक एकड़ खेत में लगाना चाहिये व तनाछेदक का प्रकोप अधिक होने पर कार्टप हाइड्रोक्लोराइड 8 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जाना चाहिये।