राजनांदगांव : झीरम घाटी मामला में सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला ,छत्तीसगढ़ पुलिस हमले की करेगी जांच…

राजनांदगांव – 25 मई वर्ष 2013 में हुए बस्तर के झीरम घाटी नक्सली हमले में सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए की याचिका खारिज कर दी है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इस हमले की जांच करेगी।

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झीरम घाटी नक्सली हमले में 32 लोग शहीद हुए थे जिसमें कांग्रेसी नेताओं सहित पुलिस जवान शामिल थे। घटना के बाद इस हमले की जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंपा गया था। कांग्रेसी नेताओं के परिजनों ने इस मामले में षड्यंत्र की बात कहते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी से षड्यंत्र को लेकर जांच की मांग की थी।

लेकिन इस जांच एजेंसी ने षड्यंत्र को लेकर जांच नहीं की, जिसके बाद शहीद कांग्रेसी नेताओं के परिजनों ने दरभा थाने में इस जांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए इस साजिश की जांच की मांग की। इसके बाद प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपनी जांच का हवाला देते हुए इस जांच पर न्यायालय से स्टे लेने आवेदन किया।

झीरम घाटी हमले में शहीद हुए राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार का कहना है कि हम इस हमले की जांच को लेकर निरंतर संघर्ष कर रहे थे। हम लोगों ने एनआईए के समक्ष अपनी बात रखने की कोशिश की पर एनआईए ने किसी भी पीड़ित पक्ष से बात नहीं की और एनआईए ने षड्यंत्र की जांच नहीं की। वहीं अपने वेबसाइट में क्लोजर रिपोर्ट भी डाल दिया था और जांच समाप्त कर दिया।

इस मामले में हम लोगों ने दरभा थाने में एफआईआर दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एनआईए की याचिका खारिज कर दी गई है। जिससे इस मामले की जांच राज्य सरकार ने जो एसआईटी गठित की है वही करेगी, जिससे इस षड्यंत्र में शामिल दोषी बेनकाब होंगे। उन्होंने कहा कि अब इस फैसले के बाद इस मामले में न्याय मिलने की उम्मीद है।

इस हमले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब इस मामले की जांच छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी। इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने षड्यंत्र की जांच के लिए एफआईआर दर्ज किया था,

लेकिन जांच नहीं कर पाई थी क्योंकि इस मामले में एनआईए का कहना था कि जांच हमने की है इसलिए छत्तीसगढ़ पुलिस इस जांच को नहीं कर सकती। जांच को राकने के लिए एनआईए ने न्यायालय से मांग की थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया।