राजनांदगांव । पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें शत शत नमन करते हुए भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के मंडल अध्यक्ष ललित नायडू ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म 25 सितम्बर 1916–11 फरवरी 1968 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और संगठनकर्ता थे, वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे, उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी।
नायडू ने आगे कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था, उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय और माता का नाम रामप्यारी था, उनके पिता रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर थे, और माता धार्मिक प्रवृत्ति की थीं, दीनदयाल 3 वर्ष के भी नहीं हुए थे, कि उनके पिता का देहांत हो गया और उनके 7 वर्ष की उम्र में मां रामप्यारी का भी निधन हो गया था।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आएं, आजीवन संघ के प्रचारक रहे, 21 अक्टूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई, 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ और दीनदयाल उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने तथा 1967 तक वे भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे।
अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है, और भारतीय संस्कृति हिन्दू संस्कृति है, उनका कहना था कि भारत की जड़ों से जुड़ी राजनीति, अर्थनीति और समाज नीति ही देश के भाग्य को बदलने का सामर्थ्य रखती है, कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर विकास नहीं कर सका है।
सन् 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और मात्र 43 दिन बाद ही 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई और इस सूचना से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई, पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी परंपराओं और जड़ों से जुड़े रहने के बावजूद समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी नवीन विचारों का सदैव स्वागत किया, उन्हें भाजपा के पितृपुरुष भी कहा जाता है।