राजनांदगांव : राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत शासन की गौठान योजना से जुड़कर जिले की महिलाओ को मिला स्वरोजगार…

राजनांदगांव – राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी गौठान योजना से जुड़कर राजनांदगांव जिले की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है, यहां गौठान में ही फल, फूल, सब्जी की खेती के साथ ही उन्हें रोजगार के कई अवसर प्राप्त हो रहे हैं। जहां महिलाएं गोपी चंदन, हवन सामग्री सहित विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही हैं। गौठान से जुड़कर सैकड़ों महिलाएं आर्थिक संपन्नता की राह पर चल पड़ी है।

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छत्तीसगढ़ शासन की गौठान योजना से आर्थिक विकास के दिशा सशक्त हो रही है। राजनांदगांव जिले के अंजोरा क्षेत्र में वृंदावन का गौठान का निर्माण छत्तीसगढ़ शासन की गौठान योजना से किया गया है यहां मुख्य द्वार पर आकर्षक कलाकृति के साथ ही गौठान के भीतर महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। लगभग 35 एकड़ में निर्मित यह गौठान आजीविका केंद्र के रूप में भी विकसित हो गया है। कभी बबूल का जंगल रहने वाला यह गौठान आज फलदार और फूलदार पौधों से अच्छादित है। यहां महिलाएं बिहान से जुड़कर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशरूम उत्पादन भी कर रही है। जिससे 10 महिलाओं के परिवार की जीविका चल रही है। यहां काम करने वाली महिलाओं ने कहा कि पहले वे खेती-बाड़ी का काम करती थी लेकिन अब मशरुम उत्पादन के काम से काफी लाभ हो रहा है।

अंजोरा क्षेत्र में निर्मित इस वृंदावन का गौठान को आजीविका केन्द्र के तौर पर विकसित किया गया है, जहां महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। यहां महिलाएं गोपी चंदन, रोली, कुमकुम, गुलाल, हवन सामग्री का निर्माण कर रही हैं। इस यूनिट में 50 महिलाओं को काम मिल रहा है, जिससे महिलाओं को अब रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है। इसी तरह राष्ट्रीय बागवानी मिशन अन्तर्गत महिलाए इस गौठान में फल फूल और सब्जी की खेती भी कर रही हैं। यहां फलदार वृक्षों में केला, पपीता, नारियल, अमरुद , करौंदा के वृक्ष रोपे गए हैं, तो वही सब्जियों में टमाटर, भटा, भिंडी सहित विभिन्न प्रकार की भाजी और प्याज का उत्पादन कर महिलाएं इसे बेच रही है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।

इन गौठान को आजीविका के संसाधन के रूप में विकसित करने को लेकर जिला पंचायत के सीईओ लोकेश चंद्राकर ने कहा कि गौठान से जुड़कर महिलाएं यहां गोपी चंदन, हवन सामग्री फूल, बांस कला, सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही है। इसमें प्रत्येक महिला को 3 हजार रूपये मासिक के साथ ही सामग्री विक्रय पर अतिरिक्त राशि भी दी जा रही है।

इस गौठन में पशुओं के लिए लगभग साढे़ सात एकड़ में चारागाह वितरित किया गया है, जहां नेपियर घास और हरा चारा लगाया गया है, ताकि दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो। वहीं गोधन न्याय योजना से गोबर खरीदी कर महिलाएं यहां जैविक खाद का निर्माण भी कर रही है और इस खाद को बाजार में बेचा भी जा रहा है, वहीं गौठान के भीतर ही बने डबरी और तालाब में मछली पालन भी किया जा रहा है। इस गौठान में बड़े पैमाने पर गेंदा फूल की खेती कर गुलाल निर्माण कार्य की तैयारी भी की जा रही है। बांस शिल्प के जरिए महिला यहां अपने हुनर का बेहतर प्रदर्शन कर रही है और सजावट के सामान सहित सोफे, कुर्सियां और अन्य सामग्री का निर्माण कर रही हैं। यहां प्रशिक्षण के दौरान ही महिलाओं को 3 हजार रूपये मासिक दिया जा रहा है, लगभग 100 से अधिक महिलाएं इस बहुद्देशीय गौठान से जुड़कर शासन की विभिन्न योजनाओं के साथ ही अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।