राजनांदगांव. जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव ने दावा किया है कि रासायनिक खाद जो कि रबी फसल के लिए आवश्यक है उसमें यह कहना है कि केंद्र ने कटौती कर दी यह राज्य सरकार के झूठे आंकड़े हैं। राज्य सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही राज्य के किसानों को बाजार में डबल कीमत पर खाद खरीदनी पड़ रही है। राज्य सरकार ने प्राप्त आवंटन का 60% हिस्सा व्यापारियों को व 40% हिस्सा सोसायटीओं को आबंटित किया है जिसके चलते किसानों को बाजार से खाद खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
श्री यादव ने आगे कहा कि केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष गत वर्ष की तुलना में रबी फसल के लिए 5% वृद्धि कर खाद का कोटा आबंटित करती है। राज्य सरकार को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि पिछले वर्ष कितना खाद रबी फसल के लिए मिला था, उसमें 5% अधिक खाद मिला या नहीं । यह तय है कि राज्य के कोटे में जितना खाद मिलना चाहिए उतना खाद मिला है लेकिन दुर्भाग्य इस बात की है कि राज्य ने सोसाइटी से ज्यादा व्यापारियों को आबंटित कर दिया इसलिए सोसाइटी में खाद नहीं है पर व्यापारियों के पास खाद उपलब्ध हैं और वह दोगुनी रेट में किसानों को बेच रहे हैं। मूल्य नियंत्रण की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है लेकिन दोगुनी रेट में बिक रही खाद की कीमत का राज्य सरकार इसे नियंत्रण नहीं कर पा रही है क्योंकि इसके लिए व्यापारियों ने सरकार को भारी कीमत चुकाई है तभी उन्हें सोसाइटी से ज्यादा खाद मिला है।
मधुसूदन यादव ने दावा किया कि पिछले साल से 5 % बढ़ाकर राज्य सरकार को आवंटन प्राप्त हुए हैं गलत आंकड़े प्रस्तुत कर केंद्र सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। अपने आपको किसान हितैषी बताने वाली सरकार क्या यह बताने की हिम्मत करेगी कि पिछले साल कितना आबंटन मिला इस साल कितना आबंटन मिला और पिछले साल के आबंटन से इस साल के आबंटन में 5% वृद्धि करके मिला था या नहीं मिला।
राज्य के हिस्से में जितना आबंटन इस वर्ष के लिए आया था वह पूरा मिला है किसानों को दिक्कत इसलिए हो रही है कि प्राप्त आबंटन में से 60% व्यापारियों को दे दिया गया है जो दोगुने रेट पर बेच रहे हैं । इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य की तथाकथित किसान हितैषी सरकार व्यापारियों के माध्यम से किसानों को लूट रही है और गलत आंकड़े प्रस्तुत कर केंद्र सरकार को बदनाम कर रही है। किसानों को यह समझना है कि सरकार के पास खाद नहीं है लेकीन व्यापारियों के पास पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?
खुद कमीशन खाओ और केंद्र को बदनाम करो, किसानों को व्यापारियों से लुटवाओ और खुद को किसान हितैषी बताओ। ये वर्तमान में छत्तीसगढ़ में हो रहा है इसके लिए एक उदाहरण सटीक बैठता है कि हमारे मुखिया दो मुहा सांप है एक मुंह से खाता है, दूसरे मुंह से कहते हैं मैंने नहीं किसी और ने खाया है।
मैं किसानों से अनुरोध करना चाहता हूं कि इस दोहरी नीति को समझें। साथ ही मेरी यह मांग है कि राज्य सरकार यह सार्वजनिक करें कि गत वर्ष कितना खाद मिला, इस वर्ष कितना खाद मिला और तुलनात्मक कितनी कटौती केंद्र ने किया ताकि किसानों को स्पष्ट हो सके कि कौन झूठ बोल रहा है।
किसानों से फरेब ना करें भूपेश जी व्यापारियों के बजाय किसानों के साथ न्याय करें अपनी जेब भरने के बजाय किसानों का भला करें तो ज्यादा बेहतर होगा।