0 ग्राम पंचायतों में थमे विकास कार्य, सत्र 2023-24 में 15वें वित्त की राशि नहीं मिली
0 राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, जिला पंचायत में ताला जड़ने की चेतावनी
राजनांदगांव। ग्राम पंचायतों को सत्र 2023-2024 में नए वित्तीय वर्ष अप्रैल माह से 15वें वित्त की राशि नहीं मिली। इस कारण संरपचों में आक्रोश उमड़ रहा है। वित्तीय वर्ष शुरु होने के पांच माह बाद भी ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त की राशि नहीं मिलने से विकास कार्य थम गए है।
शुक्रवार को जिला सरपंच संघ ने जिला पंचायत सीईओ के नाम ज्ञापन सौंप कर 15वें वित्त की राशि दिलाने की मांग की है। जल्द ही राशि नहीं मिली तो जिला सरपंच संघ ने आगामी दिनों में अनिश्चित कालिन हड़ताल की रणनीति तैयार की है।
सरपंचों ने बताया कि 15वें वित्त की राशि आज तक पंचायतों के खाते में नही पहुंची है। जिससे ग्राम स्तर पर व्यवस्था जैसे स्वक्षता, शिक्षा, अधोसंरचना व आगामी विधानसभा चुनाव प्रबंध इत्यादि विभिन्न प्रकार के खर्च के लिए अब ग्राम पंचायतों में राशि नहीं है।
ग्राम पंचायतों को प्रदान की जाने वाली 15वें वित्त की राशि को शासन द्वरा विभिन्न निर्माण कार्यों में खर्च कराया जाता है। मनरेगा अंतर्गत अभिशरण के रूप में लगभग 30 प्रतिशत राशि ली जाती है। शेष कुछ प्रतिशत राशि को जनपद और जिला पंचायत सदस्यों को वितरण कर दिया जाता है। जिससे ग्राम पंचायतों को मिलने वाली राशि बहुत कम हो जाती है। इस कारण से सरपंच ग्राम पंचायत के विभिन्न प्रस्तावित कार्य करा पाने में असमर्थ रहते है। उन्हें लोगों के आक्रोश का सामाना करना पड़ रहा है।
0 राशि नहीं मिली तो जड़ेंगे ताला
शुक्रवार को ग्राम पंचायत बोइरडीह, मोतिपुर, सोमाझिटिया, केरेगांव, पाटेकोहरा, खुर्सीटिकुल, बादराटोला, रामपुर, झिथराटोला, मेढ़ा, बागरेकसा सहित जिले के अन्य ग्राम पंचायतों के सरपंच जिला पंचायत में पहुंचे थे। जिला सरपंच संघ के अध्यक्ष धमेन्द्र साहू ने बताया कि संघ द्वारा जिला पंचायत सीईओ के नाम से संयुक्त कलेक्टर खेमलाल वर्मा एवं उप संचालक देवेन्द्र कौशिक को 15वें वित्त की राशि दिलाने की मांग पर ज्ञापन सौंपा है। राशि नहीं पहुंची तो सरंपच संघ ने जिला पंचायत में ताला जड़ने की चेतावनी दी है।
0 पांच माह से चक्कर काट रहे सरपंच
सरपंच 5 माह से जिला पंचायत के अफसरों का चक्कर काटने मजबूर है। लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है। ज्ञापन सौपने के दौरान सरपंचों में बेदेश्वरी साहू, बसंती साहू, ताराचंद नेताम, उषा बाई सहित बड़ी संख्या में सरपंच उपस्थित थे। कुछ जरुरतों को पूरा करने उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है।
सरपंचों को ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ रहा है। आगामी दिनों में निर्वाचन संबधित कार्य के लिए भी अफसरों द्वारा सरपंचों पर दबाव बनाया जाएगा जबकि पंचायतों में राशि हीं नही है। ऐसे में वह खर्च भी वहन नहीं कर पाएंगे।