रायपुर : लोकवाणी (आपकी बात-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि : रायपुर,14 नवम्बर 2021…

लोकवाणी के सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    साथियों, आज लोकवाणी की तेइसवीं कड़ी का प्रसारण बहुत ही शुभ दिन में हो रहा है। आज महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन है, जिसे बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
–    इस अवसर पर लोकवाणी का प्रसारण एक सुखद संयोग है।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, लोकवाणी की इस कड़ी के प्रसारण के अवसर पर हम आपका हार्दिक अभिनंदन करते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    लोकवाणी के सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार, जय सियाराम।
–    आज इस कार्यक्रम के माध्यम से मैं विशेष तौर पर प्यारे बच्चों को स्नेह-आशीर्वाद प्रेषित करता हूं।
–    निश्चित तौर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन, जिसे बाल दिवस के रूप में जाना जाता है, एक विशेष अवसर है।
–    पंडित नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते हैं।
–    और इसकी एक खास वजह थी कि वे देश की नई पीढ़ी को अपने विश्वास की छत्रछाया में पनपते हुए देखना चाहते थे।
–    पंडित नेहरू को नई पीढ़ी पर अटूट भरोसा था।
–    वास्तव में भारत को आजादी दिलाने में पंडित नेहरू ने अपने से बड़े और युवा लोगों के बीच समन्वय स्थापित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।
–    उनकी सोच में बुजुर्गों के समान परिपक्वता थी तो युवाओं के समान ऊर्जा भी थी।
–    यही वजह है कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में 9 साल से अधिक समय अंग्रेजों की जेल में बिताया, लेकिन न रुके, न झुके।
–    उनका जीवन त्याग, तपस्या और संघर्षों से भरा था, लेकिन इसके बावजूद वे बच्चों से संपर्क बनाए रखते थे।
–    जेल से ही उन्होंने अपनी पुत्री इंदिरा के लिए बहुत से पत्र लिखे थे।
–    उनके संस्कारों और शिक्षा के कारण ही श्रीमती इंदिरा गांधी के रूप में भारत को न सिर्फ प्रथम महिला प्रधानमंत्री की सौगात मिली बल्कि सशक्त भारत के निर्माण को भी एक नई दिशा मिली।
–    प्यारे बच्चों, मैं चाहूंगा कि आप लोग पंडित नेहरू की जीवनी और उनके कार्यों के बारे में पढ़ें, जानें और उन्हें अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें।
–    पंडित नेहरू की पढ़ाई में बहुत रुचि थी, उनकी सोच बहुत ही आधुनिक थी, उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से भारत के नवनिर्माण के लिए जो काम किए थे, उसी बुनियाद के फलस्वरूप आज भारत विकास के इस मुकाम तक पहुंचा है।
–    आप में से बहुत से लोगों ने भिलाई स्टील प्लांट को देखा होगा। इस प्लांट का निर्माण पंडित नेहरू ने करवाया था।
–    बड़े बांधों, सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े-बड़े स्टील और बिजली कारखानों का निर्माण उन्हीं की सोच से शुरू हुआ था।
–    एम्स, राज्यों के मेडिकल कॉलेज, आईआईटी जैसी संस्थाओं की शुरुआत पंडित नेहरू की सोच से ही हुई थी।
–    आज इन्हीं संस्थाओं में हमारे देश के नौनिहालों का भविष्य संवर रहा है और देश तथा दुनिया को बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर और विशेषज्ञ मिल रहे हैं।
एंकर
–     माननीय मुख्यमंत्री जी, पंडित नेहरू ने जब देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था तब भारत की अर्थव्यवस्था जर्जर थी और यहां सुई तक का निर्माण नहीं होता था।
–    पंडित नेहरू ने न सिर्फ शिक्षा बल्कि उद्यमिता को भी बढ़ाने का काम किया, जिसके कारण भारत उद्यमी युवाओं का देश बना।
–    संयोग से आज के प्रसारण का विषय है-‘उद्यमिता और जनसशक्तीकरण का छत्तीसगढ़ मॉडल’।
–    छत्तीसगढ़ इन दिनों विकास के अपने नए मॉडल को लेकर देश और दुनिया में चर्चा का विषय बना है।
–    अनेक संस्थाओं ने आपको यानी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को देश का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री और आपके शासन को देश के अव्वल चार राज्यों में स्थान दिया है।
–    इस उपलब्धि को लेकर हमारे कुछ श्रोताओं ने आपको बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। आइए सुनते हैं, उनकी आवाज में उनके विचार।
–    मैं डॉ. प्रवीण कालवित, जिला बिलासपुर से बोल रहा हूं। मुख्यमंत्री जी, देश की प्रतिष्ठित सर्वेक्षण संस्था आईएएनएस तथा सी वोटर, गवर्नेंस इंडेक्स के अनुसार आपको देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्री का सम्मान दिया गया है। इसके लिए आपको बहुत बधाई।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मैं प्रोफेसर अनिल सिन्हा अम्बिकापुर से बोल रहा हूं। देश की प्रतिष्ठित संस्था पब्लिक अफेयर्स सेंटर द्वारा विभिन्न राज्यों के कामकाज पर जो पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स 2021 जारी किया गया है, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ देश के अव्वल चार बड़े राज्यों में शामिल है। इस रिपोर्ट में विकास, भागीदारी, स्थिरता, गुणवत्ता और कोविड नियंत्रण में राज्य सरकार की भूमिका के आधार पर मूल्यांकन किया गया है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद। डॉ. कालवित जी, प्रोफेसर सिन्हा जी।
–    आपने मुझे जो बधाई दी है। वास्तव में उसके असली हकदार आप लोग और इस प्रदेश की 2 करोड़ 80 लाख जनता है।
–    प्रयास करना हमारा काम है लेकिन उसे समझकर हाथों-हाथ लेना आपका बड़प्पन है। यही वजह है कि हमारी सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन भलीभांति हो पाया।
–    हमारी सोच बहुत स्पष्ट रही है। हमारा मानना है कि जनता पर विश्वास करो और प्रत्येक वर्ग को उसकी जरूरत के अनुसार साधन-सुविधाएं मुहैया कराते चलो तो जनता खुद आगे आकर राज्य के विकास में भागीदार बन जाती है।
–    जनता का उत्साह और सहयोग विकास में भागीदारी के रूप में दर्ज होने से न सिर्फ आजीविका के बेहतर अवसर बनते हैं। रोजगार के नए अवसर बनते हैं बल्कि जनता की क्रय शक्ति भी बढ़ती है, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को किसी भी संकट से बचा सकती है।
–    आप देख लीजिए कि शुरुआती मंदी का समय रहा हो या बाद में कोविड के लॉकडाउन का संकट।
–    हमने विभिन्न जनहितकारी योजनाओं के जरिए किसानों, वन आश्रितों, मजदूरों, महिला समूहों और युवाओं की जेब में जो 80 हजार करोड़ रूपए डीबीटी के माध्यम से डाले उस राशि को हमारे भाइयों-बहनों और युवा साथियों ने तिजोरी में बंद करके नहीं रखा बल्कि उससे नए-नए काम किए, अपनी जरूरत की खरीदी की। इस तरह आप सबने मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की तरलता को बनाए रखा।
–    इस तरह से प्रदेश में नए-नए तरह के काम-धंधे भी चले और परंपरागत कौशल, परंपरागत रोजगार के अवसरों को नई दिशा भी मिली।
–    वास्तव में हमने आजीविका को मजबूत करने और जनता के हाथों में स्वाभिमान से लेकर आर्थिक ताकत सौंपने की जो रणनीति अपनाई, वही छत्तीसगढ़ मॉडल के रूप में हमारी पहचान बनी है।
–    हमने दिखावटी विकास की दौड़ से अपने आपको अलग रखा और बुनियादी बातों पर ध्यान दिया, जिससे प्रदेश में आजीविका और जीवन स्तर उन्नयन के स्थाई साधनों का निर्माण हो रहा है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, छत्तीसगढ़ में बंद पड़ी कोयला खदानों को हमेशा समस्या की तरह देखा जाता था लेकिन सूरजपुर जिले में राज्य सरकार की मंशा को साकार कर दिखाया है केनापारा की महिलाओं और मछुआरों के समूह ने। इस समूह के हौसले ने समस्या को ही समाधान में बदल दिया है। आइए सुनते हैं, केनापारा निवासी कमला राजवाड़े की कहानी, उनकी जुबानी।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, नमस्कार, मैं कमला राजवाड़े, कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मैं लाइफ गार्ड का काम कर सकती हूं लेकिन आपने केनापारा में बंद पड़ी खदान को तालाब और यहां फ्लोटिंग रेस्टोरेंट बनवाकर जो पहल की है, उससे मेरे जैसे सैकड़ों लोगों की जिंदगी बदल गई है। धन्यवाद मुख्यमंत्री जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद कमला बहन।
–    हमारे प्रदेश में ऐसी बहुत-सी खदाने हैं, जहां खनन का काम बंद हो गया है और वह जगह उजाड़ पड़ी है।
–    हमने देखा कि बरसात का पानी भरने से यहां बहुत बड़ा तालाब बन जाता है।
–    देखरेख नहीं होने पर ऐसी जगह बेहद असुरक्षित होती है और अनेक समस्याओं का कारण बनती है।
–    हमने स्थानीय मछुआरों के समूहों से चर्चा कर इसके बेहतर उपयोग की दिशा में काम शुरू किया। तब बहुत से युवा साथी आगे आए और उन्होंने इसमें रोजगार की संभावनाएं तलाश ली।
–    मुझे खुशी है कि गांव के मछुआरों के समूह ने इस खदान को लीज पर ले लिया।
–    इस तरह इस जगह पर फ्लोटिंग रेस्टोरेंट बनाया गया।
–    मछली पालन, रेस्टोरेंट संचालन के साथ ही लाइफ गार्ड जैसे अनेक रोजगार के अवसर उत्पन्न हो गए।
–    मुझे यह देखकर खुशी हुई कि पुरुषों के अलावा हमारी बहनों ने भी लाइफ गार्ड का प्रशिक्षण लिया और यह नया पेशा अपना लिया।
–    केनापारा की यह खदान अब पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय हो गई है।
–    यहां से जो अतिरिक्त आय होने लगी तो उसका उपयोग यहां के लोग खेती-बाड़ी तथा अन्य काम में भी करने लगे हैं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, एक जमाना था, जब लोग निजी उपयोग के लिए गौधन पालते थे और गाय के दूध का उपयोग अपनी घरेलू जरूरतों के लिए करते थे।
–    फिर व्यावसायिक तौर पर डेयरी का समय आया और यह कारोबार निजी हाथों में सिमट गया।
–    लेकिन अब राज्य सरकार की पहल और समर्थन से डेयरी उत्पाद ग्रामीण महिलाओं की आजीविका का नया सहारा बन रहे हैं।
–    आइए सुनते हैं, सूरजपुर जिले के महामाया समूह की बात।

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–    मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मेरा नाम उषा गिरी सूरजपुर से बोल रही हूं। सूरजपुर जिले में पिलखा क्षीर ब्रांड का दूध श्रीखंड, पनीर आदि अब हमारे जिले की और हम लोगों की नई पहचान बन गए हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–   धन्यवाद, उषा बहन।
–    मुझे बहुत खुशी हुई कि डेयरी कारोबार और गोधन न्याय योजना से आप लोगों को आजीविका का नया साधन मिल गया है।
–    सबसे बड़ी बात तो यह है कि राज्य सरकार जो सब्सिडी और अन्य सुविधाएं दे रही है, उसका लाभ अब आप लोग उठा रहे हैं, जो असली हकदार हैं।
–    मुझे विश्वास है कि आपकी सफलता से अन्य जिलों और अन्य गांवों के लोग भी अपने डेयरी उत्पादों का ब्रांड बनाने में सफल होंगे।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, जिनके मन में काम करने और आगे बढ़ने की लगन होती है, उनके लिए सिर्फ एक इशारा काफी होता है और वे अपने रास्ते पर आगे बढ़ जाते हैं।
–    महात्मा गांधी नरेगा योजना के माध्यम से महिलाओं को सिर्फ मजदूर के रूप में ही काम नहीं मिल रहा है बल्कि हमारी बहनों ने अपनी लगन और मेहनत से जो कुशलता हासिल की है, उसने उन्हें इंजीनियर दीदी के रूप में भी नई पहचान मिली है।
–    दामिनी वर्मा-जिला रायपुर से जय जोहार मुख्यमंत्री जी, आपकी प्रेरणा से मैंने रोजी-मजदूरी से आगे बढ़कर मेट का काम सीखा है, जिसके कारण मैं अपनी बहनों का विशेष ध्यान रखते हुए सरकार द्वारा मिलने वाले पैसे का उपयोग सही ढंग से हो, यह भी ध्यान रखती हूं। इस तरह के काम से मुझे लोग इंजीनियर दीदी के नाम से बुलाते हैं। मैं डिग्री से भले ही इंजीनियर नहीं बन पाई लेकिन अपने काम से जरूर इंजीनियर कहला रही हूं, इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है। मुख्यमंत्री जी आपने सही कहा था, बात है अभिमान की, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की। वह बात अब खरी उतर रही है। आपको बहुत धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    दामिनी बहन, मैं आपको और उन सभी बहनों को सलाम करता हूं, जिन्होंने अपने काम से अपना मान बढ़ाया है।
–    इसी तरह से मैं धमतरी जिले की श्रीमती पुष्पा पटेल, गरियाबंद जिले की श्रीमती गिरिजा साहू, केशरी धु्रव, मंजू साहू, उर्वशी यादव, त्रिवेणी साहू, जांजगीर जिले की श्रीमती पुलोजमा, जशपुर जिले की पुष्पावती चौहान, बीजापुर जिले की फूलमती, कोण्डागांव जिले की हेमलता यादव के माध्यम से उन सभी बहनों को साधुवाद देता हूं, जिन्होंने मजदूरी से आगे बढ़कर मेट का काम सीखा और अब इंजीनियर बहन के रूप में लोकप्रिय हुई हैं।
–    मुझे बहुत गर्व है कि हमारी बहनों ने महात्मा गांधी नरेगा योजना को नई ऊंचाई दी है।
–    आप लोगों ने इस भ्रम का भी निवारण किया है कि महिलाओं का काम सिर्फ मेहनत करना है, सुपरवाइजरी का काम कोई और कर सकता है।
–    मैं दूर-दूर गांवों में दौरा करता हूं तो मुझे कोई न कोई बहन मिल जाती है, जिन्होंने महात्मा गांधी नरेगा योजना में मेट के रूप में इतना बढ़िया काम किया है कि उन्हें इंजीनियर दीदी के रूप में ख्याति मिल रही है।
–    आप लोग अच्छी संगठनकर्ता भी साबित हो रही हैं और गुणवत्ता के साथ काम कराने की आपकी दृढ़ इच्छा-शक्ति के कारण आपके गांव में स्थाई महत्व के काम भी हो रहे हैं।
–    मैं चाहता हूं कि आप लोग इसी तरह आगे बढ़ें और अपनी आजीविका मजबूत करने के साथ प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने सुराजी गांव योजना के माध्यम से जो नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी के विकास की अलख जगाई और ग्रामीण अंचलों में अर्थव्यवस्था के नए दौर की शुरुआत की। उससे उद्यमिता की नई मिसालें मिल रही हैं। एक उदाहरण बेमेतरा जिले के ग्राम कुसमी से लेते हैं।

–    विवेक कुमार तिवारी-जिला बेमेतरा
    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आधार देने के लिए जो उपाय किए हैं, उसका मैं बहुत स्वागत करता हूं। मुझे बताया गया कि मछली पालन के लिए तालाब निर्माण, पूरक आहार, जाल आदि के लिए सरकार बहुत मदद करती है, उसे मैंने आजमाया। मैंने वकालत का पेशा छोड़कर मछली पालन को चुना है और बहुत खुश हूं। मुझे खुशी है कि आपने हम युवाओं को एक नई दिशा दी है कि किस तरह से अपनी माटी से जुड़े रहकर अपना, अपने गांव का और प्रदेश का विकास करना है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद, विवेक जी।
–    मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि आपने अपने क्षेत्र में वाटर लेवल कम होने को गंभीरता से लिया। अपने ही खेत में तालाब बनाया और उसमें मछली का उत्पादन शुरू किया। इस तालाब से 2 क्विंटल मछली बेच चुके हैं।
–    इसके अलावा आप अपने खेत में धान के अलावा चना, गन्ना, अरहर जैसी फसलें भी ले रहे हैं।
–    मेरा मानना है कि हमारे युवा साथी इसी तरह का मॉडल अपना सकते हैं। हमारी राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, मछली पालन में सब्सिडी आदि का लाभ जिस तरह से विवेक ने लिया है, वैसा अन्य लोग भी लें। इससे आप अपने गांव में बने रहेंगे। गांव की अर्थव्यवस्था और अधोसंरचना के विकास में मदद करेंगे।
–    मैंने पहले भी कहा है कि गांव खुशहाल होंगे तभी शहर में समृद्धि आएगी। छत्तीसगढ़ के विकास का यही रास्ता है। छत्तीसगढ़ मॉडल की सफलता का यही पैमाना है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने खेती-किसानी और रोजगार के अवसरों में परंपरा के साथ नवीनता का जो संगम किया है, उसके कारण नए-नए तरह से खेती करने का एक ट्रैंड चल पड़ा है। परंपरा और नवीनता को लेकर जो आग्रह महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर आपके माध्यम से आता है। वैसे शब्द जब ग्रामीण भाई-बहनों के मुंह से सुनने को मिलते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है। आइए सुनते हैं, कुछ विचार।
–    मैं शकील हुसैन, ग्राम बिनौरी, जिला बिलासपुर का रहने वाला हूं। मुख्यमंत्री जी, सच कहूं तो आपने खेती-किसानी को सम्मान दिलाकर हम किसानों और हमारे परिवार के लोगों को बहुत इज्जत बख्शी है। आपकी योजनाओं के कारण लोग अब किसानों का बहुत विश्वास करने लगे हैं। इसका लाभ हमें अपने काम को आगे बढ़ाने में मिल रहा है। उद्यानिकी विभाग से मुझे केले की खेती मल्चिंग विधि से करने की जानकारी मिली। आपकी बातों और योजनाओं पर विश्वास के कारण हमने तुरंत यह विधि अपनाई और इसका लाभ मिलने लगा।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–     धन्यवाद भाई शकील हुसैन।
–    मुंगेली जिले के भाई जन्मेजय नेताम। कोण्डागांव जिले के अंजोरी नेताम। राजनांदगांव जिले की सुखियारिन बहन नारायणपुर जिले के पारेख यादव। बलौदाबाजार जिले की सावित्री वर्मा, शैल वर्मा जैसे बहुत से लोगों ने अपने गांवों में ही खेती, गौठान, मछली पालन जैसे कामों से जुड़कर और नए-नए तरीके अपनाकर मुझे वास्तव में बहुत बड़ी खुशी दी है।
–    पहले जब मैं छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी की तस्वीर बदलने, गांवों में नए संसाधनों से, नई तकनीक से खेती करने और परंपरागत आजीविका में सुधार की बात करता था तो लोग इसे मजाक में लेते थे। लोगों को लगता था कि छत्तीसगढ़ में परंपरागत काम-धंधे के तरीके और तकनीक को बदलना असंभव है।
–    मुख्यमंत्री बनने के बाद मुझे यह मौका मिला कि मेरी जो मूल सोच थी, उसे करके दिखाऊं।
–    हमारे सामने एक परंपरागत मॉडल गांधी जी का था। एक आधुनिक मॉडल पंडित नेहरू का था। श्रीमती इंदिरा गांधी की दृढ़ इच्छा-शक्ति का मॉडल भी था और श्री राजीव गांधी द्वारा टेक्नॉलोजी से बदलाव का मॉडल भी था। लोगों को साथ लेकर चलना और आगे बढ़ाना हमारी विरासत है, इसलिए मुझे विश्वास था कि जब हम ठोस तरीके से योजनाएं सामने रखेंगे तो आपका भरोसा जरूर जीतेंगे।
–    अब गांव-गांव से खेती के नए तरीकों की खबरें आ रही हैं।
–    धान के अलावा फल, फूल, सब्जी उत्पादन, इनका प्रसंस्करण, इनको बेचने के नए-नए तरीके, इनसे होने वाले लाभ और लाभ का सही निवेश अपनी माटी में करने के उपाय।
–    ये सब मुझे गांव के लोग, युवा साथी और खासकर महिला समूह की बहनें बताने लगे हैं, इससे ज्यादा संतोष, गर्व और खुशी की बात क्या हो सकती है कि तीन साल पूरा होते-होते हम एक सपना साकार होते देख रहे हैं।
–    मल्चिंग विधि से खेती के बारे में पहले कोई बात नहीं करता था, अब गांव-गांव में इसकी चर्चा हो रही है। मैं उन सभी किसान भाइयों-बहनों-युवा साथियों को साधुवाद देता हूं, जिन्होंने अपनी सोच में बदलाव लाकर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं।    
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, बस्तर की पहचान अब सकारात्मक बदलाव के लिए होने लगी है। एक जमाने में बस्तर अपनी आदिवासी संस्कृति और हस्तशिल्प के लिए ही जाना जाता था, लेकिन अब बस्तर की पहचान वहां के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए भी होने लगी है। आइए सुनते हैं कुछ विचार।
–    मैं हेमवती कश्यप, जिला बस्तर की निवासी हूं। मैंने बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की है। मैं कोई नया काम करना चाहती थी। मुझे बताया गया कि दरभा विकासखण्ड के गांव बेड़मापारा में पपीते का प्लांटेशन कराने की छत्तीसगढ़ सरकार की योजना है तो मैं उत्साह से भर उठी और इस प्रोजेक्ट से जुड़ गई। मैं बताना चाहती हूं कि इस जमीन को हम लोग बंजर समझते थे, लेकिन अब यहां बेस्ट क्वालिटी के पपीते का उत्पादन कर रहे हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    हेमवती कश्यप जी, आपने कृषि को अपना रोजगार बनाया, सचमुच आपके इस प्रयास व कार्य से अन्य युवाओं को प्रेरणा मिलेगी।
–    बस्तर के दरभा ब्लॉक के बेड़मापारा गांव में जिला प्रशासन ने पपीता प्लांटेशन की योजना बनाई है।
–    बस्तर किसान कल्याण संघ को इसमें शामिल करते हुए महिला स्व-सहायता समूह की ट्रेनिंग कराई गई। 10 एकड़ बंजर जमीन को तैयार किया गया और उसमें बिजली, पानी, फेंसिंग से लेकर आधुनिक मशीनों तक मदद उपलब्ध कराई गई।
–    इस जमीन में स्पेनिश प्रजाति के पपीते की खेती की जा रही है।
–    इसी तरह का प्रयोग बस्तर जिले के मुंगा और ममदपाल गांव में भी किया गया है।
–    बस्तर के पपीते की फसल को लेकर भारी उत्साह है। इसकी अच्छी कीमत प्रदेश के बाहर के बाजारों में भी मिलेगी।
–    मुझे विश्वास है कि ऐसे अनेक प्रयासों से स्थानीय लोगों के स्वावलंबन के बहुत से रास्ते खुलेंगे और बहुत सी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, बस्तर अब तेजी से बदल रहा है। यह अंचल अब समस्या नहीं बल्कि समाधान के लिए अपनी नई पहचान बना रहा है। बस्तर की वनोपज से लेकर खेती-किसानी को लेकर भी तस्वीर बदली है। वनोपज और कृषि उपजों की प्रोसेसिंग, पपीता लैंड, कॉफी लैंड बनाने से लेकर डेनेक्स रेडीमेड कपड़े और नव चेतना बेकरी जैसे नए प्रयासों के बारे में लोग जानने लगे हैं लेकिन अब एक नई बात सामने आ रही है। ‘लोका बाजार’ के नाम से। आइए सुनते हैं, यह नई बात।
–    आयुष श्रीवास्तव-जिला बस्तर
    माननीय मुख्यमंत्री जी, बस्तर निवासी हम युवाओं की प्रतिभा को बहुत कम आंका जाता था। आपने जो विश्वास बढ़ाने की बात की। उसके कारण बस्तर के ग्रामीण हो या शहरी, हर क्षेत्र में एक नए तरह का उत्साह दिखाई पड़ रहा है। आपने बस्तर को जो तवज्जो दी है। यहां लगातार दौरे करते हैं। सबको संबोधित करते हैं और विकास के नए उपाय करते हैं। उसके कारण हमें नया काम करने की प्रेरणा मिली। जिसका एक रूप है, ‘लोका बाजार’ यह एक ई-कॉमर्स प्लेटफार्म है, जिससे मैं आयुष श्रीवास्तव, गौरव कुशवाहा, ऋषभ जैन, सुयश सांखला। 4 युवा साथियों ने मिलकर बनाया है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमें शासन व जिला प्रशासन से भी अच्छा सहयोग मिल रहा है। आपके आशीर्वाद से हमारा काम अच्छा चल निकला है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद, आयुष/गौरव /ऋषभ/सुयश।
–    बहुत खुशी की बात है कि आप लोगों ने बस्तर अंचल की कला, संस्कृति और यहां बनाए जाने वाले विशिष्ट उत्पादों को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने के लिए अपनी तरह का पहला ई-कॉमर्स प्लेटफार्म बनाया है। बस्तर के युवा अगर इस तरह के नए-नए तौर-तरीकों का लाभ, अंदरूनी गांवों के लोगों को दिलाने लगेंगे तो निश्चित तौर पर लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का काम तेजी से आगे बढ़ेगा।
–    महिला स्व-सहायता समूहों तथा अन्य परंपरागत काम करने वाले लोगों के द्वारा बनाई गई, कलात्मक वस्तुओं को बड़े शहरों और विदेशों में अच्छा बाजार मिलता है।
–    मैं चाहूंगा कि अन्य जिलों के युवा तथा जिला प्रशासन भी इस तरह के प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद करें।
–    गांवों में जो छोटे-छोटे स्तर पर काम हो रहे हैं, उसके कारण वहां निर्मित वस्तुओं में विविधता रहती है। यही विविधता और नयापन देश और दुनिया के बाजारों में आकर्षण का केन्द्र बनता है।
–    विपणन की व्यवस्था जितनी अधिक मजबूत होगी, उतना बेहतर दाम और लाभ हमारे प्रदेश के शिल्पकारों, बुनकरों, विभिन्न विधाओं के कारीगरों और स्थानीय उत्पादों को मिलेगा। छत्तीसगढ़िया उत्पादों को बाहर के बाजार में बेचने का हमारा अनुभव अच्छा रहा है ।
–    देखा जाए तो विपणन यानी मार्केटिंग में बहुत ध्यान देने की जरूरत है और इसमें हमारे युवा साथी बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
–    मैं युवा साथियों को खुला निमंत्रण देता हूं कि प्रदेश में निर्मित वस्तुओं की मार्केटिंग के लिए सुझाव दें।
–    इसके लिए जो सुविधाएं चाहिए, उसके बारे में प्रस्ताव दें।
–    उद्यमिता का विकास और टिकाऊपन बनाए रखने के लिए सिर्फ उत्पादन पर ही ध्यान देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उत्पादों को बेचने की व्यवस्था को मजबूत करने में अधिक से अधिक विमर्श और अधोसंरचना का निर्माण जरूरी है।
–    गौठान, मल्टी-यूटिलिटी सेंटर, पौनी-पसारी बाजार, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से जो शुरुआत हुई है, उसे बहुत आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि स्थानीय और बाहरी दोनों स्तर के बाजारों पर छत्तीसगढ़िया उत्पादों की बिक्री बढ़े।
–    बिक्री बढ़ने से नए उत्पादों पर शोध, अनुसंधान और जमीनी कार्य भी तेजी से आगे बढ़ेंगे।
–    बस्तर के ई-कॉमर्स प्लेटफार्म ‘लोका बाजार’ की सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं।
एंकर
–    धमतरी के युवा आईटी प्रोफेशनल ने धमतरी को ही अपना कार्य क्षेत्र बनाकर किस तरह दुनिया में अपना कारोबार फैलाया है। यह कहानी भी बेहद दिलचस्प है। आइए सुनते हैं, युवा कारोबारी की जुबानी।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं गोपाल चितालिया, धमतरी से बोल रहा हूं। आपकी प्रेरणा से मैंने किसी महानगर या दूसरे देश में जाने से बेहतर अपनी मातृभूमि छत्तीसगढ़ को ही काम करने के लिए चुना है। मात्र 24 वर्ष की उम्र में मैं अपनी कंपनी का मालिक हूं और आज मेरे पास नार्वे, यूएस, कनाडा, थाईलैंड, कतर, नीदरलैंड जैसे देशों के क्लाइंट हैं।