सूरजपुर : प्रशासनिक टीम ने रुकवाया चार बाल विवाह…

सूरजपुर/29 अप्रैल 2021- कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देश पर जिले की संयुक्त टीम बाल विवाह पर लगातार अपनी नजर रखे हुए है। टोल फ्री नम्बर 1098 पर एवं ग्रामीणों द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया को सूचना प्राप्त हुई कि रामानुजनगर विकासखण्ड के विभिन्न गावों में चार बाल विवाह किये जा रहे हैं।

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      जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी को निर्देशित किया कि संयुक्त टीम को ले जाकर उपरोक्त बाल विवाह को रोकें। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल द्वारा परियोजना अधिकारी कुमारी अमृता भगत एवं पर्यवेक्षक रागिनी गुप्ता को जानकारी दी गई एवं थाना सूरजपुर से पुलिस बल लेकर सर्वप्रथम ग्राम गोपीपुर पहुंचे, जहां पर एक 19 वर्षिय बालक का मंडप लगने वाला था। मामले की जानकारी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सुश्री किरण बघेल को भी मिली, गोपीपुर उनके गृहग्राम के पड़ोस में होने से मौके पर वह भी वहां पहुंच गई। बालक के परिजनों को समझाईस दिया गया, उनके परिजन बालक के विवाह को 21 वर्ष पूर्ण कर लेने के बाद करने की बात कही।

           तत्पश्चात संयुक्त टीम 1098 के सूचना के आधार पर ग्राम उमेशवरपुर गई। जहां एक बालिका 16 वर्षीय का विवाह कार्यक्रम किया जा रहा था। परिजनों को समझाइश दिया गया कि यदि यह विवाह हुआ तो सभी को कानूनी परेशानी में पड़ना पड़ सकता है। परिजनों ने विवाह नहीं करने का लिखित आश्वासन दिया साथ ही पंचनामा तैयार किया गया। ग्राम गोपीपुर के प्रकरण में रामानुजनगर के तहसीलदार श्री उमेश कुशवाहा ने परियोजना अधिकारी को बताया था कि एक कम उम्र के लड़के के अनुमति का आवेदन लगाया गया है। परियोजना अधिकारी ने जांच कराई तो पता चला की अनुमति नहीं मिलने पर भी वैवाहिक कार्यक्रम किया जा रहे है। टीम गांव पहुंचकर समझाइश देकर उक्त विवाह को रोकवाई। 

         ग्रामीणों द्वारा पंचवटी में 18 वर्ष के बालक का विवाह कराने की सूचना प्राप्त हुई थी, जिसे पंचायत के सरपंच, सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समझाइश दिए थे, परंतु मंडप लगाकर विवाह के कार्यक्रम संपन्न कराने की जानकारी पर संयुक्त टीम दूरस्थ ग्राम पंचवटी पहुंची। विवाह स्थल में जाने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं होने से टीम को 3 किलोमीटर पैदल चल कर जाना पड़ा। जहां डीजे बज रहा था और मस्ती से विवाह का कार्यक्रम चल रहा था। शैक्षणिक दस्तावेज नहीं दे रहे थे, उनसे पूछने पर पता चला कि वैवाहिक कार्यक्रम की अनुमति भी प्रशासन से नहीं ली गई है और कोरोना गाईडलाईन का पालन नहीं किया जा रहा है। शिकायत करने और लड़के को ले जाने के डर दिखाने पर बालक का अंकसूची टीम को दिखाया गया, जिसमें लड़के का उम्र 18 वर्ष था, परिजन तत्काल विवाह नहीं करने को मान गए पंचनामा बनाया गया, मंडप को उखाड़ने हेतु कहा गया।

        उपरोक्त समस्त कार्यवाही में जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल, परियोजना अधिकारी कुमारी अमृता भगत, जिला बाल संरक्षण इकाई की कुमारी अनिता पैकरा, चाइल्ड लाइन से कुमारी गीता गिरी, शोभनाथ राजवाड़े पुलिस विभाग से आरक्षक दिलीप देशमुख, गणेश किंडो व बाबूलाल साहू सहित आरक्षक श्रीमती बाल कुमारी मरावी उपस्थित थी।
      

इसी परिपेक्ष में जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल जिले वासियों से अपील की है कि उम्र हो जाने के बाद ही बालक एवं बालिका का विवाह करें। जिले में काफी बाल विवाह के प्रकरण आ रहे हैं। कम उम्र में बेटी का विवाह करने से वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से विवाह के लिए तैयार नहीं रहती है। कम उम्र में विवाह करने से लड़के भी उसके जिम्मेदारियों को नहीं उठा पाते हैं।

      बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि अपराध भी है, जिसमें सजा एवं अर्थ दंड के प्रावधान दिए गए हैं। बाल विवाह ना करें और ना ही होने दें। यदि कहीं भी इस प्रकार बाल विवाह होने की जानकारी मिले तो नजदीक के परियोजना अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, पुलिस थाने में सूचना दें। अपने मोबाइल से टोल फ्री नंबर 1098 पर भी इसकी सूचना दें और प्रशासन को सहयोग प्रदान करें।