राजनांदगांव : जिले को मलेरिया मुक्त करने समाज, जनभागीदारी, जनप्रतिनिधि, आमजनता की भागीदारी जरूरी – कलेक्टर….

कलेक्टर ने जिले को मलेरिया मुक्त करने अंतर्राज्यीय मलेरिया नियंत्रण कार्यशाला का किया शुभारंभ

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मलेरिया से सुरक्षा के प्रति जनसामान्य को करें जागरूक


राजनांदगांव – कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने आज जिले तथा आस-पास क्षेत्रों को मलेरिया से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अंतर्गत अंतर्राज्यीय मलेरिया नियंत्रण कार्यशाला का शुभारंभ किया। कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुछ वर्षों से बस्तर में मलेरिया मुक्त अभियान प्रारंभ किया गया है। इसके बाद पूरे प्रदेश में अभियान के रूप में इसका क्रियान्वयन किया गया। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव जिले की सीमा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के साथ कबीरधाम जिले के गांवों से लगी हुई हैं।

जिले का 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित है। इसके साथ-साथ बहुत सारे नदियां-नाले भी है। वनाच्छादित होने के कारण वनवासियों में जागरूकता की कमी होने से मलेरिया के अधिक केस हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से मलेरिया केस को नियंत्रित किया गया है। वर्तमान में जिले को मलेरिया मुक्त करने के क्षेत्र में कार्य करना है। इसी कारण मलेरिया मुक्त जिला के लिए अंतर्राज्यीय मलेरिया नियंत्रण कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र के कुछ गांव महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के है। इन गांवों में मलेरिया के प्रकोप को समाप्त करने के लिए समन्वय के साथ कार्य करने विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित की गई है।

उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले मलेरिया नियंत्रण के लिए सीमावर्ती गांवों में अभियान चलाया गया था। जिसके परिणाम भी सकारात्मक रहे। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों से आमंत्रित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मलेरिया नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपाय के संबंध में आपसी समन्वय कर कार्ययोजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि अनेक जिलों में मलेरिया नियंत्रण के लिए अच्छे कार्य हुए हैं। वे सभी अपने अनुभव साझा करें, जिससे एक-दूसरे से कार्ययोजना बनाने और सीखने का अवसर मिले।
कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि जिले के 5 विकासखंड मोहला, मानपुर, छुईखदान, डोंगरगढ़ और छुरिया में मलेरिया का अधिक प्रभाव है। इन स्थानों में विशेष कार्ययोजना तथा अभियान चलाकर कार्य करना है। इसके साथ ही मच्छरदानी लगाना, पानी एकत्रित नहीं होने देना, स्वास्थ्य जांच कराना जैसी छोटी-छोटी सावधानी के बारे में जागरूक किया जाए।

इसके लिए डॉक्टर के साथ समाज, जनभागीदारी, जनप्रतिनिधि, शासकीय अधिकारी-कर्मचारी, आमजनता सबकी भागीदारी जरूरी है। इस अभियान का उद्देश्य जनसामान्य को स्वस्थ रखना है। अशिक्षा तथा दूरस्थ गांव होने के कारण लोगों के पास जानकारी नहीं पहुंच पाती, हमारा यह दायित्व है कि स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा जिले को मलेरिया मुक्त करने के लिए जागरूक कर सुविधा उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला में मलेरिया नियंत्रण के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। आस-पास के सभी जिले के स्वास्थ्य अधिकारी टीम के रूप में कार्य करके मलेरिया को दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आस-पास के जिले में कोविड-19 टीकाकरण के लिए अभियान चलाया गया है। जिसके कारण लोगों के मन में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है। जिसके प्रभाव मलेरिया मुक्त अभियान पर भी पड़ेगा और हम मलेरिया मुक्ति की दिशा में कार्य कर सकते हैं और आने वाले समय में इस क्षेत्र को मलेरिया मुक्त कर सकते हैं।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा कि जिले का सीमावर्ती गांव महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश से लगा हुआ है। जहां मलेरिया के अधिक प्रकोप हैं। इन क्षेत्रों को मलेरिया मुक्त करने के लिए आस-पास जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों एवं जिला मलेरिया अधिकारियों का कार्यशाला का आयोजन किया गया है।


कार्यशाला में राज्य स्तरीय तथा विभिन्न जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा प्रजेंटेशन दिए गए। कार्यशाला में बालोद, कवर्धा, कांकेर, गोंदिया, गढ़चिरौली, बालाघाट जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला मलेरिया अधिकारी सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे।