राजनांदगांव 19 अगस्त 2021। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में शासन की राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के क्रियान्वयन के लिए बैठक ली। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना शासन की महत्वपूर्ण योजना है और इसका जिले में बेहतर क्रियान्वयन करना है। छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि मजदूरी पर निर्भर है।
छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ सत्र में ही कृषि मजदूरी के लिए पर्याप्त अवसर रहता है। रबी सत्र में फसल क्षेत्राच्छादन कम होने के कारण कृषि मजदूरी के लिए अवसर भी कम हो जाता है। कृषि मजदूरी कार्य में संलग्न ग्रामीणों में अधिकतर लघु, सीमांत अथवा भूमिहीन कृषक हैं। इसमें से भूमिहीन कृषि मजदूर को अन्य की अपेक्षा रोजगार के कम अवसर ग्राम स्तर पर उपलब्ध होते हैं।
राज्य शासन द्वारा ऐसे वर्ग को संबल प्रदान करने की दृष्टि से राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना वित्तीय वर्ष 2021-22 से प्रारंभ किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अंतिम रूप से चिन्हांकित हितग्राही परिवार के मुखिया को राशि 6000 रूपए अनुदान सहायता राशि प्रतिवर्ष दी जाएगी। योजना अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु इच्छुक ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के मुखिया को निर्धारित समयावधि में राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के पोर्टल में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
योजना अंतर्गत हितग्राही परिवारों के पंजीयन का कार्य दिनांक 1 नवम्बर 2021 से दिनांक 30 नवम्बर 2021 तक किया जाएगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत में भुईयां रिकॉर्ड के आधार पर ग्रामवार बी-1 तथा खसरा की प्रतिलिपि चस्पा की जाएगी, जिससे भू-धारी परिवारों की पहचान स्पष्ट हो सके तथा भूमिहीन परिवारों को आवेदन भरने में सुविधा प्राप्त हो सके।
कलेक्टर सिन्हा ने सभी पटवारी, सरपंच एवं सचिव को इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की पहचान कर भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को वार्षिक आधार पर आर्थिक अनुदान उपलब्ध कराना है। आर्थिक अनुदान के माध्यम से भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के शुद्ध आय में वृद्धि होगी। योजनांतर्गत 1 अप्रैल 2021 की स्थिति में योजनांतर्गत निर्धारित पात्रता होनी चाहिए। योजना अंतर्गत पात्रता केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को होगी।
ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे सभी मूल निवासी भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे, जिस परिवार के पास कृषि भूमि नहीं है। पट्टे पर प्राप्त शासकीय भूमि जैसे वन अधिकार प्रमाण पत्र को कृषि भूमि माना जाएगा। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी, पुरोहित जैसे पौनी पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवारए वनोपज संग्राहक तथा शासन द्वारा समय-समय पर नियत अन्य वर्ग भी पात्र होंगे, यदि उस परिवार के पास कृषि भूमि नहीं है। यहां भूमिहीन कृषि मजदूर से अभिप्राय है कि ऐसा व्यक्ति जो कोई कृषि भूमिधारण नहीं करता और जिसकी जीविका का मुख्य साधन शारीरिक श्रम करना है और उसके परिवार का जिसका की वह सदस्य है, कोई सदस्य किसी कृषि भूमि को धारण नहीं करता है।
यहां परिवार से आशय किसी व्यक्ति का कुटुम्ब अर्थात् उसकी पत्नी या पति, संतान तथा उन पर आश्रित माता-पिता से है। यहां कृषि भूमि धारण नहीं करनाए से आशय है उस परिवार के पास अंश मात्र भी कृषि भूमि नहीं होना है।
कलेक्टर सिन्हा ने दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि कृषि भूमिहीन परिवारों की सूची में से परिवार के मुखिया के माता या पिता के नाम से यदि कृषि भूमि धारित है अर्थात् उस परिवार को उत्तराधिकार हक में भूमि प्राप्त करने की स्थिति होगी, तब वह परिवार भूमिहीन परिवार की सूची से पृथक् हो जाएगा। आवासीय प्रयोजन हेतु धारित भूमि, कृषि भूमि नहीं मानी जाएगी। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के मुखिया को अनुदान सहायता राशि प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र के साथ राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
अपंजीकृत परिवारों को योजनांतर्गत अनुदान की पात्रता नहीं होगी। पंजीकृत हितग्राही परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने पर उक्त परिवार के द्वारा पात्रता अनुसार नवीन आवेदन योजनांतर्गत प्रस्तुत किया जाना होगा। यदि पंजीकृत हितग्राही परिवार के मुखिया के द्वारा असत्य जानकारी के आधार पर अनुदान सहायता राशि प्राप्त की गई हो, तब विधिक कार्रवाई करते हुए उक्त राशि उससे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल की जाएगी।
इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर, अपर कलेक्टर सीएल मारकण्डेय, संयुक्त कलेक्टर विरेन्द्र सिंह, एसडीएम राजनांदगांव मुकेश रावटे सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सभी एसडीएम एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारी जुड़े रहे।