एंकर
– लोकवाणी कीछब्बीसवीं कड़ी के प्रसारण के अवसर पर हम माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जीऔर सभी श्रोताओं का स्वागत करते हैं, अभिनंदन करते हैं।
– लोकवाणी की इस कड़ी का विषय है-‘सुगम उद्योग, व्यापार- उन्नत कारोबार’।
– माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने शुरू से ही ऐसे कार्यों को महत्व दिया है, जिससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और रोजगार के अवसर बढ़ें।
– इस तरह से छत्तीसगढ़ में-‘सुगम उद्योग, व्यापार-उन्नत कारोबार’ का वातावरण बना हुआ है। इसलिए आज इसी विषय पर विचार, सवाल तथा जवाब के लिए मंच सजा है।
– इस अवसर पर हम माननीय मुख्यमंत्री जी का पुनः स्वागत करते हैं, हार्दिक अभिनंदन करते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– जम्मो सियान मन, दाई-दीदी मन, संगवारी मन, नोनी-बाबू मन,भतीजा-भतीजी मन ल जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम।
– मे ह जब पाछू मुड़के देखथंव, तो मोला सन् 2000 अउ ओखर पहिली के सुरता आथे।
– हमर पुरखा मन अउ हमन के पीढ़ी ह घलोक, ये सपना देखे रिहिन के हमर अपन छत्तीसगढ़ राज्य बनही, तब इहां कोनो बेरोजगारी नई बाचही।
– जम्मो हाथ ल काम-बूता मिलही।
– देखत-देखत 20 बछर सिरागे।
– सितम्बर 2018 म बेरोजगारी के दर 22 प्रतिशत ले लांघ गे रिहिसे।
– बेरोजगारी बाढ़े के साथ, छत्तीसगढ़ के जनता के गुस्सा घलोक बाढ़गे रिहिसे। अउ आप सब जनता मन मिलके 22 प्रतिशत बेरोजगारी दर वाला सरकार ल उखाड़ के फेंके हव।
– दो तिहाई बहुमत म सरकार बन जाथे पर छत्तीसगढ़ के मतदाता भाई-बहिनी ह, हमन ल तीन चौथाई प्रचंड बहुमत दिस।
– हमर सरकार के सबसे बड़का संसो छत्तीसगढ़िया मनके आजीविका, रोजगार अउ अधिक आमदनी दिलाना हो गे।
– ते पायके कहिथंव के मोर दिमाग म रोजगार-रोजगार शब्द ही घूमत हे।
– चाहे उद्योग हो, चाहे व्यापार हो, पौनी-पसारी हो, परम्परागत कोनो काम-बूता हो या शिक्षित बेरोजगार मन बर नौकरी के इंतजाम।
– वन क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र, अर्द्धसरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र, जेन डहर ले रोजगार के अवसर दिखिस वो डहर हमन योजना बना के काम करेन।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी आइए सबसे पहले सुनते हैं, उद्योग, व्यापार और कारोबार जगत के कुछ प्रतिनिधियों की आवाजें-
– माननीय मुख्यमंत्री जी प्रणाम, मैं विजय नाथानी, पूर्व अध्यक्ष क्रेडाई छत्तीसगढ़, रायपुर से बोल रहा हूं। आपकी सरकार द्वारा जो रियल एस्टेट सेक्टर के लिए निर्णय लिए गए हैं, जैसा कि जमीनों की गाइड लाइन दर 30 प्रतिशत पूर्व में कम की गई, उसके बाद वर्तमान में उसे 40 प्रतिशत कम किया गया है, जिसके कारण रजिस्ट्री की संख्या काफी बढ़ी है और छत्तीसगढ़ का पंजीयन राजस्व भी पूर्व की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है। इसी तरह एकल विन्डो प्रणाली लागू की गई, ले-आउट अप्रुअल्स के लिए और भवन निर्माण के लिए ऑनलाइन अनुज्ञा का सिस्टम जारी किया गया, जिससे जनसाधारण को काफी सहूलियतें मिल रही हैं और काम काफी आसान हो चुका है। छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री पर लगी रोक को हटाने से छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री काफी प्रारम्भ हुई और बाजार में उसका पैसा सर्कुलेशन में आ गया है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को एक बूस्ट प्राप्त हुआ है।
– नमस्कार, मैं अनिल नचरानी, प्रेसिडेंट स्पॉज आयरन एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़।हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की सरकार के आने के बाद प्रदेश में न सिर्फ पुराने उद्योगों में खुशहाली आई है बल्कि नये उद्योगों का संचार और उद्योगपतियों का हौसला भी बहुत बढ़ गया है। हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के जो डिसिजन हैं,उन्होेंने उद्योग क्षेत्र में जितनी भी परेशानियां पहले की बनी हुई थीं, उनको उन्होंने दूर किया है, चाहे वो इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की परेशानी हो चाहे वो एनएमडीसी से आयरन की अवेलेब्लिटी की परेशानी हो और चाहे वो एसईसीएल कोल की परेशानी हो, भिलाई स्टील प्लांट से रॉ मटेरियल की परेशानी हो। उनको दूर करने में हमारे मुख्यमंत्री जी ने दोनों हाथों से जो सुरक्षा प्रदान करी हुई है, इसकी तो जितनी भी तारीफ की जाए, कम है।
– नमस्कार। माननीय मुख्यमंत्री जी। मैं रायपुर छत्तीसगढ़ से नवीन अग्रवाल बोल रहा हूं। पिछले 4-5 साल से देश कई प्रकार के आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। कभी नोटबंदी, कभी जीएसटी फिर कोरोना के कारण लगातार लॉकडाउन। गांव के बारे में एक बात बताना चाहता हूं कि गांव में मैंने किसी भी प्रकार की आर्थिक मंदी नहीं देखी और ये सब जो हुआ है, छत्तीसगढ़ सरकार के ग्रामीण आधारित आर्थिक मॉडल के कारण हुआ है, जो धान का उचित मूल्य मिलने लगा है। गोबर खरीदी योजना है। वनोजपों का मूल्य बढ़ाया गया है। ऐसे कई कारण मिल के गांव में आर्थिक संकट जैसे कोई हालात नहीं है। बल्कि ये कहूं कि गांव के कारण ही बाजार चल रहा है।यदि इसी प्रकार आर्थिक मॉडल लगातार जारी रहता है तो 2-4 साल बाद छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से गांव से संचालित होगी और इसका श्रेय माननीय मुख्यमंत्री जी आपको ही जाता है। धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– धन्यवाद। विजय नाथानी जी, अनिल नचरानी जी और नवीन अग्रवाल जी।
– हमारे फैसलों से गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। उसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को मिला। आप लोगों के माध्यम से यह जानकारी आना सुखद है। आपके विचारों के लिए धन्यवाद।
– निश्चित तौर पर आप सबके सहयोग से हम छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार बनाने में सफल होंगे।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, गणतंत्र दिवस के अवसर पर आपने उद्योग नीति में संशोधन की घोषणा की है। इसके संबंध में हमारे एक श्रोता ने सवाल किया है। आइए सुनते हैं उनकी बात और आपसे निवेदन है कि सवाल का जवाब दीजिएगा।
– माननीय मुख्यमंत्री जी,प्रणाम। मैं होमेश कुमार साहू, ग्राम माड़मसिल्ली, जिला धमतरीसे बोल रहा हूं। आपने गणतंत्र दिवस के अवसर पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए नई उद्योग नीति में संशोधन की घोषणा की है। कृपया इसकी क्या पृष्ठभूमि है और वास्तव में आपकी नई घोषणा का लाभ किस तरह से मिलेगा? बताने की कृपा कीजिए।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– होमेश भाई, जय जोहार। आपने बहुत बढ़िया सवाल किया।
– मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने औद्योगिक नीति 2019-2024 की घोषणा की थी। जिसमें फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई थी।
– हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में सेवा क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन मिले। इसके लिए पर्यटन के अलावा अन्य कार्यों को भी चिन्हांकित किया गया है। एम.एस.एम.ई. सेवा श्रेणी उद्यमों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सेवा केन्द्र, बी.पी.ओ., 3-डी पिं्रटिंग, बीज ग्रेडिंग इत्यादि 16 सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
– कोरोना के दौरान हमने देखा कि बहुत से मेडिकल उपकरण तथा सामग्री स्थानीय स्तर पर ही बनाए जा सकते हैं, इसलिए इन्हें भी उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया है।
– औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया था, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में भू-भाटक में 33 प्रतिशत की कमी की गई है।
– औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज़ होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने हेतु नियम तैयार कर अधिसूचना जारी की गई।
– ऐसे प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में 1 हजार 715 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 19 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
– इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं, जिसमें 74 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
– हमने बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3 हजार 300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया है, जिसमें 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
– हमने तो धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी केन्द्र सरकार से मांगी है। यदि यह अनुमति मिल गई तो धान के बम्पर उत्पादन को सही दिशा में उपयोग करते हुए हम बड़े पैमाने पर एथेनॉल बना सकते हैं और इससे बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर भी बना सकते हैं। इससे हम धान उत्पादक किसानों को बेहतर दाम दिलाने और उनकी माली हालत में लगातार सुधार के रास्ते भी बना सकते हैं।
– हमने अपना वादा निभाते हुए विकासखण्डों में फूडपार्क की स्थापना के लिए 110 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया है।
– औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज हैं।
– अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ऐसा कोई प्रावधान औद्योगिक नीति में नहीं था। इस दिशा में ध्यान देते हुए ओबीसी प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खण्ड आरक्षित किए जाएंगे, जो कि भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
– मैं समाज के सभी वर्गों से यह अनुरोध करता हूं कि हमने प्रदेश में उद्यमिता विकास के माध्यम से रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। सभी वर्ग के लोग इन अवसरों का लाभ उठाएं, बड़े पैमाने पर स्वयं भी स्वावलंबी बनें तथा कई लोगों को रोजगार देने का माध्यम भी बनें।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने उद्योगों की सुगमता की बात भी की है। सुगमता के क्या पैमाने होते हैं, इस संबंध में हमारे श्रोता ने बहुत महत्वपूर्ण सवाल किया है। कृपया इसका जवाब जरूर दीजिएगा।
अमर परचानी, जिला रायपुर
– माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी, सादर प्रणाम। मैं अमर परचानी प्रदेश प्रवक्ता छत्तीसगढ़ पिं्रटर एसोसिएशन जिला रायपुर से बोल रहा हूं। कामकाज की सुगमता का एक पैमाना तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस होता है। इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार ने क्या काम किया है और उसकी ऐसी क्या उपलब्धियां रही हैं, जिसके बारे में हम अभिमान कर सकते हैं? कृपया जानकारी देंगे, धन्यवाद महोदय जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– अमर परचानी जी नमस्कार।
– निश्चित तौर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्ड विश्व बैंक द्वारा तय किए जाते हैं। इससे पता चलता है कि किसी देश अथवा किसी राज्य में कामकाज की सुगमता की क्या स्थिति है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्डों में हमारा छत्तीसगढ़ देश के प्रथम 6 राज्यों में शामिल है।
– सवाल उठता है कि यह रैंकिंग हमें कैसे मिली?
– तो मैं बताना चाहता हूं कि हमने सिर्फ उद्योग ही नहीं बल्कि सभी सरकारी विभागों का कामकाज ऑनलाइन करने पर जोर दिया है।
– उद्योग विभाग द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से 56 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं।
– ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 82 सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं, जिसमें दुकान पंजीयन से लेकर कारोबार के लायसेंस तक शामिल हैं।
– हमने गुमाश्ता एक्ट के अंतर्गत हर साल नवीनीकरण की अनिवार्यता को समाप्त किया ताकि छोटे व्यापारियों को राहत मिले।
– सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-मानक पोर्टल संचालित किया जा रहा है।
– इस तरह से राज्य में उद्योग, व्यापार और कारोबार का फ्रैंडली वातावरण बना है।
– इस तरह के सुधार किए जाने से लोगों का काफी समय बच रहा है। पहले जो समय दफ्तरों के चक्कर काटने में बिताना पड़ता था, उसका उपयोग अब लोग अपने काम-धंधे में कर रहे हैं।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने छोटे भू-खण्डों की खरीदी और बिक्री पर पूर्व में, शासन द्वारा लगाकर रखी गई रोक को हटाने का निर्णय लिया था और कहा था कि इससे भी कारोबार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस संबंध में हमारे श्रोता ने कुछ जानना चाहा है। आइए सुनते हैं उनकी ही आवाज।
– प्रणाम मुख्यमंत्री जी। मैं जानकी बाई चक्रधारी ग्राम अमलेश्वर, जिला दुर्ग से बोल रही हूं। आपने जब छोटे भू-खण्डों की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया था तो मेरे जैसे बहुत से परिवारों को ऐसा लगा था, जैसे कोई आजादी मिल गई है। हम जैसे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोग छोटे भू-खण्ड इसलिए खरीदते हैं ताकि बच्चों की पढ़ाई, शादी या ऐसी जरूरत के समय उसे बेचकर धन प्राप्त कर सकें। क्रय-विक्रय पर रोक से हमारे हाथ बंध गए थे जिसे आपने खोल दिया। इस तरह हमारा जीवन खुशहाल हुआ। इसके लिए आपको बहुत धन्यवाद। हम जानना चाहेंगे कि इस पहल से और क्या-क्या फायदे हुए हैं? धन्यवाद महोदय जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– जानकी बहन, जय सियाराम।मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा कि हमारे फैसले से आपको लाभ मिला। बहुत-बहुत बधाई।
– मैं बताना चाहता हूं कि हमारे इस एक निर्णय से 2 लाख 87 हजार भू-खण्डों के सौदे हुए। अब सोचिए कि एक भू-खण्ड बिकने से क्रेता-विक्रेता के अलावा उस भू-खण्ड को विकसित करने वाले कई लोगों को लाभ मिलता है। सीमेंट, लोहा, भवन सामग्री के विक्रेता, बिजली, नल, मिस्त्री, बढ़ई,राजमिस्त्री और कई तरह के काम करने वाले लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
– इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलने लगी। यह पैसा बाजार में आया।
– इसके अलावा हमने महिलाओं के पक्ष में पंजीयन कराने पर स्टाम्प शुल्क में छूट दी है, जिससे 50 हजार 280 पंजीयन पर 37 करोड़ रुपए से अधिक की छूट दी गई है।
– इस तरह हमारी सरकार की जनहितकारी योजनाओं से बाजार में पैसा भी आया तथा लोगों को रोजगार भी मिला।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने कहा था कि पर्यटन से बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर बनेंगे। इस संबंध में आए कुछ विचारों से आपको अवगत कराते हैं।
– मैं पवन कुमार यादव, सुकमा जिला से बोल रहा हूं। आपने राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास की बात की है। इससे किस तरह कारोबार और रोजगार में बढ़ोत्तरी होगी?कृपया अवगत कराने का कष्ट करेंगे। धन्यवाद।
– माननीय मुख्यमंत्री जी, जय जोहार, जय सीताराम। मैं शशि निषाद ग्राम सड्डू जिला रायपुर से बोल रही हूं। महोदय छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुन्दरता से पर्यटन का विकास कैसे होगा और इसका क्या लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा? कृपया इस संबंध में हमें समझाने का कष्ट करें। धन्यवाद मुख्यमंत्री जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– पवन भाई और शशि बहन, जय जोहार।
– हम जिस वातावरण में पले-बढ़े हैं, उसमें हमारे पुरखों और माता-पिता से हमें धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता के संस्कार मिले हैं।
– आस्था के कारण हमारे मन में किसी स्थान पर दर्शन हेतु जाने की इच्छा पैदा होती है। आस्था से आत्मबल मजबूत होता है और ऐसे पर्यटन पर होने वाला खर्च लोगों को संतोष देता है इसलिए हमने आस्था स्थलों के विकास की रणनीति अपनाई है।
– इससे नए-नए स्थानों पर अधोसंरचना का विकास होता है। इसमें जो सामग्री लगती है, उससे स्थानीय स्तर पर उद्योग व्यापार पनपता है। स्थानीय सामग्री का वेल्यू एडीशन होता है। स्थानीय उत्पादों को अच्छा दाम मिलता है।
– राम वन गमन पथ के अंतर्गत कोरिया से लेकर सुकमा जिले तक 75 स्थानांे का चिन्हांकन किया गया है। प्रथम चरण में 9 स्थानों का विकास किया जा रहा है।
– चंदखुरी-जिला रायपुर में माता कौशल्या मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है, जिसके कारण यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
– आदिवासी अंचलों में देवगुड़ी तथा घोटुल स्थलों का विकास किया जा रहा है।
– सतरेंगा, सरोधा दादर, बालाछापर सरना, गंगरेल आदि स्थानों पर नए तरह के पर्यटन की सुविधाएं विकसित की गई हैं, जिससे इन स्थानों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर भी बढ़े हैं।
– छत्तीसगढ़ी खान-पान को प्रोत्साहित करने के लिए गढ़ कलेवा की स्थापना 16 जिलों में कर दी गई है।
– हमने छत्तीसगढ़ की अपनी फिल्म विकास नीति भी लागू कर दी है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, कोरोना की पहली लहर के समय जब देशव्यापी लॉकडाउन हुआ था और पूरे देश के मजदूरों को अपने घर लौटने के लिए बहुत कष्ट सहने पड़े थे। उस समय की बुरी यादें हमारे जेहन से जाती नहीं हैं। उन दिनों को याद करते हुए हमारे एक साथी ने सवाल किया है। आइए सुनते हैं, उनकी आवाज में उनका सवाल।
किशन महंत, जिला जांजगीर-चांपा
– माननीय मुख्यमंत्री जी जय जोहार, साहेब बंदगी। मैं किशन महंत, ग्राम बासेन, जिला जांजगीर-चांपा,छत्तीसगढ़ से बोल रहा हूं। कोरोना काल में हमें नए सिरे से श्रमिकों के जीवन एवं उनके रोजगार व उनके परिवार के सुरक्षा के बारे में सोचने का अवसर दिया था। महोदय हम जानना चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार ने क्या सबक सीखा और क्या उपाय किए? बताने का कष्ट करें। धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– नमस्कार, किशन भाई।
– सबसे पहले तो यह बताना चाहूंगा कि कोरोना काल में हमने सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही नहीं बल्कि यहां से गुजरकर दूसरे राज्यों को जाने वाले मजदूरों की भी मदद की है। हमने अपने राज्य के मजदूरों के खाने-पीने, ठहरने, गांवों में क्वारंटाइन होने, जांच और उपचार की व्यवस्था के अलावा उन्हें अपने ही राज्य में रोजगार दिलाने के उपाय किए थे।
– हमारे बेहतर प्रबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी।
– उसी समय हमने घोषणा की थी कि प्रवासी श्रमिकों के लिए नीति बनाएंगे।
– इस तरह हमने छत्तीसगढ़ प्रवासी श्रमिक नीति 2020 को तैयार कर अधिसूचित किया है।
– इस नीति के तहत वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों का ऑनलाइन पंजीयन किया गया। पलायन पंजी के ऑनलाइन संधारण की व्यवस्था की गई है।
– हम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण की योजनाएं संचालित कर रहे हैं। श्रमिकों के परंपरागत कौशल को नवीन ज्ञान से संवारने हेतु उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। हम छत्तीसगढ़ में ऐसे अवसर पैदा कर रहे हैं कि हमारे प्रदेश के श्रमिकों को अन्य प्रदेशों में जाना ही नहीं पड़े। उनका कौशल और मेहनत राज्य के विकास के काम आए।
– भारत सरकार द्वारा असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के लिए जो ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। उसमें भी हमने 64 लाख श्रमिकों का पंजीयन करते हुए देश में तीसरा स्थान हासिल किया है।
– हमने कारखाना अधिनियम के तहत कामगारों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इसके अलावा दो नई योजनाओं की घोषणा 26 जनवरी के अवसर पर की है।
– प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी।
– श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।
– विगत तीन वर्षों में एक ओर जहां नक्सलवाद और उसकी हिंसक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगा है वहीं दूसरी ओर उद्योग, व्यापार और कारोबार में लगे लोगों को यह विश्वास हुआ है कि सरकार उनके साथ खड़ी है।
– प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए उत्साहजनक वातावरण निर्मित हुआ है, जिससे हर क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
– माननीय मुख्यमंत्री जी प्रणाम। मैं शशिकमल पोद्दार, जिला मनेन्द्रगढ़-कोरिया से बोल रही हूं। सर यह माना जाता है कि अच्छी अधोसंरचना से ही प्रदेश में उद्योग धंधे के अवसर बढ़ते हैं। कृपया बताइए कि आप अधोसंरचना के विस्तार हेतु किस तरह से प्रयास कर रहे हैं? धन्यवाद सर।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– नमस्कार शशि जी।
– बहुत अच्छा सवाल किया आपने।
– हमने अधोसंरचना विकास के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है।
– यदि आप सड़क-पुल-पुलिया आदि की बात करते हैं तो मैं यह बताना चाहता हूं कि प्रदेश में 21 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत से सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है।
– यदि आप पानी की बात करते हैं तो मैं यह बताना चाहता हूं कि प्रदेश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए केलो परियोजना, खारंग परियोजना, मनियारी परियोजना, अरपा भैंसाझार परियोजना को इस वर्ष पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है।
– इसके अलावा हमने अनेक व्यावहारिक उपाय करते हुए मरम्मत व अन्य तरीकों से वास्तविक सिंचाई क्षमता को दोगुना कर दिया है।
– स्वास्थ्य के क्षेत्र में देखें तो हमने विगत तीन वर्षों में डॉक्टरों तथा मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है।
– विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों से स्थानीय युवाओं को जोड़ने के लिए हमने ई-श्रेणी पंजीयन की व्यवस्था की है, जिसमें विकासखण्ड स्तर पर 5 हजार युवाओं का पंजीयन किया गया है और उन्हें 200 करोड़ रूपए से अधिक लागत के काम सीमित प्रतियोगिता के आधार पर दिए गए हैं।
– इसके साथ ही ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए सुराजी गांव योजना संचालित की जा रही है।
– नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी के विकास से बहुत बड़े पैमाने पर ग्रामीण कारोबार के अवसर बढ़े हैं।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आप अक्सर कहते हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था ही छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार है। इस दिशा में आप लगातार कार्य भी कर रहे हैं। इस संबंध में हमारे बहुत से श्रोताओं ने अपने विचार रखे हैं। आइए सुनते हैं एक विचार।
– माननीय मुख्यमंत्री जी सादर प्रणाम। मैं विवेक कुमार तिवारी, जिला बेमेतरा से बोल रहा हूं। मुख्यमंत्री जी, नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के लिए आपने विगत तीन वर्षों में जो कदम उठाए हैं। क्या उससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कोई ठोस आधार बन गया है? आप स्वावलंबी गौठान की बात भी करते हैं। क्या वास्तव में छत्तीसगढ़ स्वावलंबी गांव के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, जहां ग्रामीण उद्योग, व्यापार का बोल-बाला हो? कृपया इस संबंध में जानकारी देने का कष्ट करेंगे। धन्यवाद महोदय।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– नमस्कार तिवारी जी।
– छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन।
– खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं।
– कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया।
– दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई।
– हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है।
– खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो।
– कृषि और वानिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
– एक ओर धान की खेती करने वाले किसानों का मनोबल बढ़ाया वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक फसलों के प्रति भरपूर जागरुकता पैदा कर दी।
– हम बरसों से यह सुनते आए थे कि धान और गरीबी का चोली-दामन का साथ होता है।
– हमने इस कहावत को झुठला दिया है। अब हमारे धान उत्पादक किसान भी समृद्ध हैं।
– यही वजह है कि प्रदेश में धान की उत्पादकता और उत्पादन में रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है। वहीं हर साल समर्थन मूल्य पर खरीदी का भी नया कीर्तिमान बना है।
– वर्ष 2017-18 में सिर्फ 15 लाख 77 हजार पंजीकृत किसान थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 66 हजार हो गए। इसमें से 21 लाख 77 हजार किसानों ने धान बेचा है। खेती का रकबा
22 लाख से बढ़कर 30 लाख 11 हजार हेक्टेयर हो गया। धान की खरीदी 56 लाख 88 हजार से बढ़कर लगभग 98 लाख मीट्रिक टन हो गई। सोचिए सिर्फ तीन साल में इतना तो आगे और कितना?
– इसके अलावा मक्का, गन्ना, तिलहन, दलहन, लघु धान्य फसल, उद्यानिकी फसलों का विकास भी तेजी से हो रहा है।
– अब शिक्षित और युवा किसान भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जो नई-नई तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, जिसके नतीजे आने वाले समय में दिखाई देंगे। इस तरह छत्तीसगढ़ के खेत अपने आप में उद्यम बन गए हैं।
– चाय, कॉफी, काजू, फल, फूल की खेती लगातार बढ़ने के साथ ही प्राकृतिक रेशों से धागे बनाने का काम भी हो रहा है।
– इतना ही नहीं, फूड प्रोसेसिंग को भी नई ऊंचाई पर ले जाने का कौशल हमारे ग्रामीण भाई-बहनों ने दिखाया है।
– हमारे नेता और सांसद राहुल गांधी जी ने 3 फरवरी को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान ऐसे नए किसानों और उद्यमियों से भेंट की तथा उनके उत्पादों की दिल खोलकर तारीफ भी की। इसी तरह छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों के हाथों के हुनर ने भी खूब तारीफ बटोरी।
– राहुल गांधी जी ने खुले मंच से कहा कि छत्तीसगढ़ के उत्पाद अब देश और दुनिया में भेजे जाने चाहिए।
– वन संसाधनों की बात करें तो आपको पता है कि पहले मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाती थी।
– अब हमने 61 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था कर दी है।
– ये सारे उत्पाद इशारा करते हैं कि छत्तीसगढ़ के भावी औद्योगिक विकास के लिए ये सभी सबसे अच्छा कच्चा माल साबित होंगे।
– जहां तक मानव संसाधन की उद्यमिता का सवाल है तो हमने अब छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन कर दिया है, जिससे 5 वर्ष में 15 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य दिया गया है।
– हमने सरकारी विभागों तथा अर्द्धसरकारी संस्थाओं में लाखों लोगों को नौकरी देकर यह साबित किया है कि यदि सरकार की इच्छा शक्ति मजबूत हो तो नई पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
– यही कारण है कि जब पूरा देश कोरोना और लॉकडाउन के कारण मंदी से परेशान था, तब हमारा छत्तीसगढ़ उद्योग, व्यापार और कारोबार में नई ऊंचाइयां छू रहा था।
– न्याय योजनाओं के माध्यम से हमने किसानों, पशुपालकों और खेतिहर मजदूरों को आर्थिक संबल दिया।
– ऐसी कल्याणकारी पहल से 91 हजार करोड़ रुपए की राशि जरूरतमंद लोगों की जेब में डाली गई।
– जिसके कारण खेत-खलिहानों से लेकर उद्योगों तथा बाजारों तक में रौनक बनी रही।
– हमने प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ऐसा ढांचा खड़ा कर दिया है कि जिस तरह हमारे गौठान स्वावलंबी हो रहे हैं, उसी तरह गांव भी स्वावलंबी हो जाएंगे।
– मैं अपने युवा साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी रुचि, अपने समाज, अपने प्रदेश के हित में अपनी आजीविका का जो भी रास्ता चुनें, उस पर डटे रहें। सिर्फ उद्योग लगाना ही उद्यमिता नहीं है बल्कि कला, संस्कृति, खेलकूद, शोध, अनुसंधान, शिक्षा- दीक्षा तथा कुछ नया करने का जुनून भी उद्यमिता है। आप में वह क्षमता है कि किसी भी काम को चमका सकते हैं।
– मैं देश और दुनिया के निवेशकों से अपील करता हूं कि संभावनाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ में अब आकर देखें कि यहां उद्योग मित्र, व्यापार मित्र, कारोबार मित्र, उपभोक्ता मित्र, पर्यटक मित्र, रोजगार मित्र नीतियों से कैसे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जा रहा है।
धन्यवाद
एंकर
– श्रोताओं,लोकवाणी का आगामी प्रसारण 13मार्च, 2022 को होगा,जिसमें माननीय मुख्यमंत्रीजी ‘छत्तीसगढ़ सरकार-नारी शक्ति के सरोकार’ विषय पर चर्चा करेंगे। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल दिनांक24, 25और26फरवरी, 2022कोदिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं।फोन नम्बरइस प्रकार हैं। 0771-4003482, 4003483 और4003484।
– और इसी के साथयह कार्यक्रम सम्पन्न होता है, नमस्कार, जय-जोहार।