बीजापुर : मनरेगा के कार्यों में बाल मजदूर, सरपंच और सचिव की नाकाम कोशिशें अपने काले कारनामे को छुपाने के लिए…

बीजापुर। सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों को डेढ़ सौ दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने जहां प्रतिबद्ध है वही सरकार की महत्वपूर्ण योजना की नियमों का अवहेलना करते हुए मनरेगा अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। एक तो चोरी और ऊपर से सीना जोरी वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई देती हैमामला बीजापुर जिले के ग्राम पंचायत मिड़ते की मातला गांव का है।

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इस गांव में लगभग 19 लाख का तालाब का निर्माण 4 डोजर वाहनों से तालाब निर्माण करवाकर अब तालाब में गोदी खुदवाने का रूप देने के लिए बाल मजदूरों को लगाकर अपनी काले कारनामों को छुपाने का असफल प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं। इस संबंध में मजदूरों ने बताया कि चार वाहनों से कार्य कराया गया है और अब हमें सीढ़ीनुमा खुदाई तालाब के अंदर चारों तरफ करने को सचिव सरपंच के द्वारा कहा गया है।

इससे स्पष्ट है कि सचिव और सरपंच अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए चारों ओर खुदाई करवा रहे हैं ताकि वाहनों से कराई गई सारी निशान को मिटा सके इस संबंध में पंचायत सचिव जनकैया पोंदी से मोबाइल पर वाहनों से कार्य कराने तथा बाल मजदूरों से कार्य कराने के विषय में पूछने पर करने पर उसने बताया कि मुझे जनपद सीईओ तथा कलेक्टर भी कुछ नहीं कर सकते तुम्हें जहां शिकायत करना हो कर सकते हो।

जब इसी विषय को लेकर सरपंच सुकलु वाचम से जानकारी लेने पर उन्होंने भी इसी अंदाज में कहा कि वाहनों से लगाए गए कार्यों की जानकारी तो मुझे नहीं है लेकिन बाल मजदूरों से करा रहे हैं और उन मजदूरों की मजदूरी आपको देना होगा पंचायत सचिव का कहना तो यह भी है कि क्या होगा आखिर हमारी नौकरी चली जाएगी उससे ज्यादा क्या हो सकता है. अब ऐसी बयानों से पता चलता है कि सचिव और सरपंच कलेक्टर साहब को भी कुछ नहीं समझते आखिर कहां से इन्हें शह प्राप्त हुआ है यह बड़ा सवाल है।