राजनांदगांव : गर्भावस्था में लिंग की जांच करवाना अपराध है और ऐसा करने एवं कराने वाले दोनों को कानून कड़ी सजा देता है : राज्य नोडल…

अधिकारी पीसीपीएनडीटी संयुक्त संचालक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव

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  • प्रोफेशन के साथ नैतिक मूल्योंं का पालन करना बहुत जरूरी
  • आकस्मिक निरीक्षण के बाद गण्डई विकासखंड के अवैध सोनोग्राफी सेन्टर को सील करने की कार्रवाई की गई
  • सभी सोनोग्राफी सेंटर में हिन्दी, अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी भाषा में जागरूकता के लिए गर्भावस्था में लिंग जांच अपराध का बोर्ड लगाएं
  • पीसीपीएनडीटी एक्ट अंतर्गत जिला सलाहकार समिति के सदस्यों, जिला स्तरीय निरीक्षण एवं निगरानी समिति के सदस्यों व शासकीय एवं निजी रेडियोलॉजिस्ट का प्रशिक्षण

राजनांदगांव – प्री कॉन्सेप्शन एण्ड प्री नेटल डॉयग्नोस्टिक टेक्निक (पीसीपीएनडीटी) एक्ट अंतर्गत आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जिला सलाहकार समिति के सदस्यों, जिला स्तरीय निरीक्षण एवं निगरानी समिति के सदस्यों व शासकीय एवं निजी रेडियोलॉजिस्ट का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। राज्य नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी संयुक्त संचालक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि गर्भावस्था में लिंग की जांच करवाना अपराध है और ऐसा करने एवं कराने वाले दोनों को कानून कड़ी सजा देता है।

इससे भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध को बढ़ावा मिलता है। हमारे प्रदेश में माता एवं बहनों को ऊंचा दर्जा दिया गया है। सभी सोनोग्राफी सेंटर में हिन्दी, अंग्रेजी एवं छत्तीसगढ़ी भाषा में एकरूपता के साथ जागरूकता के लिए गर्भावस्था में लिंग जांच अपराध है, संबंधी बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाएं। इसके साथ ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान से संबंधित पोस्टर भी लगाएं। उन्होंने बताया कि आज गण्डई विकासखंड सोनोग्राफी सेन्टर का बिना किसी पूर्व सूचना के आकस्मिक निरीक्षण किया गया तथा नियमानुसार संचालित नहीं होने पर सेन्टर को सील करने की कार्रवाई की गई।

उन्होंने कहा कि नियमों का पालन नहीं होने की स्थिति में आगे भी इस तरह की कार्रवाई की जाएगी। डॉक्टर के प्रोफेशन के साथ नैतिक मूल्योंं का पालन करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सोनोग्राफी मशीन का जिस स्थान एवं भवन के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया है, वही होना चाहिए। इसके साथ ही फार्म एफ समय पर स्वास्थ्य विभाग के वेबसाईट में अपलोड होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी अयोग्य व्यक्ति सेे क्लीनिक में सेवाएं न लें। शासन द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट के संबंध में संशोधन या नये दिशा-निर्देश की जानकारी रखें।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने राज्य से आए अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समय-समय पर ऐसे प्रशिक्षण होते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तारत्मय में सभी सोनोग्राफी सेन्टर सर्तकता के साथ नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था में लिंग चयन विधि के विरूद्ध है। यह सभी सोनोग्राफी सेन्टर में बोर्ड में लिखा होना चाहिए। पीसीपीएनडीटी कन्सलटेन्ट डॉ. वर्षा राजपूत ने प्रजेन्टेशन देते हुए बताया कि बालिका लिंगानुपात पर ध्यान देते हुए कार्य करने की जरूरत है।

उन्होंने पीसीपीएनडीटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि यह कानून 1994 में लागू हुआ था तथा लिंग चयन होने की स्थिति में उसके दुरूपयोग की आशंका को ध्यान में रखते हुए यह कानून लाया गया है। उन्होंने सोनोग्राफी सेन्टर संचालकों को ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन एवं रिनिवल के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने सोनोग्राफी मशीन से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश एवं फार्म एफ भरने के संबंध में बताया।

उन्होंने कहा कि सभी सोनोग्राफी सेन्टर में रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट, डॉक्टर का नाम एवं अन्य जानकारी डिस्प्ले करें। इस अवसर पर उप संचालक स्वास्थ्य विभाग डॉ. महेन्द्र सिंह, जिला अभियोजन अधिकारी श्री नारायण कन्नौजे, उप संचालक जनसंपर्क डॉ. उषा किरण बड़ाईक, समाज सेवी श्रीमती शारदा तिवारी, स्वास्थ्य विभाग के श्री अखिलेश चोपड़ा एवं सोनोग्राफी सेन्टर के संचालक उपस्थित थे।