राजनांदगांव : जिला प्रशासन द्वारा सक्षम बिटिया अभियान का शुभारंभ…

बालिकाओं की अबाधित शिक्षा के लिए जिले में किए जाएंगे कार्य

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बालिकाओं में समझ विकसित करना तथा उन्हें सक्षम एवं मजबूत बनाना है

राजनांदगांव- जिला प्रशासन द्वारा आयोजित सक्षम बिटिया अभियान का शुभारंभ आज शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में किया गया। कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के नेतृत्व में इस कार्यक्रम की शुरूआत जिले में की गई है। डिप्टी कलेक्टर डॉ. दीप्ति वर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह नीति आयोग का फ्लेगशिप कार्यक्रम है, जो पिरामल फाउंडेशन के सहयोग से संचालित किया जा रहा। यह कार्यक्रम बालिकाओं को सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, नैतिक रूप से सीखने की प्रक्रिया में उन्हें सक्षम बनाएगा।

उन्होंने सभी संबंधित विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आईसीडीएस, महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, समाज कल्याण विभाग को सक्षम बिटिया अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए कहा। उन्होंने बताया कि इस योजना का क्रियान्वयन नीति आयोग द्वारा नियुक्त दो गांधी फैलो द्वारा किया जा रहा है।जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचआर सोम ने कहा कि बेटियों को सक्षम होना जरूरी है। शासन की योजनाएं बेटियों को मजबूत बना रही हैं। बालिकाओं की शिक्षा बाधित न हो तथा वे आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखें इसके लिए शासन का यह प्रयास है।

इस अवसर पर पिरामल फाउंडेशन के गांधी फैलोशिप के सदस्यों तथा बालिकाओं द्वारा ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर डीएमसी श्री भूपेश साहू, बीआरसी श्री श्रीवास्तव, श्री सृजन स्वयं सेवी संस्था, व्याख्याता श्री हसन सिद्दिकी, सहायक शिक्षक श्री चंद्रकांत साहू तथा नीति आयोग द्वारा नियुक्त पिरामल फाउंडेशन के गांधी फैलो सुश्री आकांक्षा एवं निधि उपस्थित थे।उल्लेखनीय है कि राजनांदगांव जिला आकांक्षी जिला है तथा यहां भारत शासन के नीति आयोग एवं पिरामल फाउंडेशन के सहयोग से जिले के लिए संचालित आकांक्षी जिला कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। विशेष कर स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किए जा रहे हैं।

प्रदेश के सभी आकांक्षी जिलों में 6 हजार बालिकाओं को सहयोग करने का लक्ष्य रखा गया है। सक्षम बिटिया अभियान का उद्देश्य बालिकाओं को स्वयं के प्रति तथा अपने आस-पास के वातावरण के लिए समझ विकसित करने में सक्षम बनाना है, ताकि वे मजबूत बन सके और उनमें सहयोग तथा सहानुभूति की भावना, रचनात्मकता का विकास हो सके। शालाओं के बंद होने के दौरान सीखने की अभिरूचि में कमी तथा स्कूल खूलने पर स्कूल नहीं जाने की अनिच्छा से शिक्षा में बाधा आती है। शाला त्यागी बालिकाओं में कमी लाने की दिशा में यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण साबित होगा। इस अभियान के तहत परिवार, समुदाय में व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने तथा उनकी शिक्षा में आ रही बाधा को दूर करने की दिशा में कार्य किए जाएंगे।