ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शिशु संरक्षण के लिए दी जाएगी अनेक सेवाएं
राजनांदगांव 22 फरवरी 2022। शिशु सरंक्षण माह का आयोजन 4 मार्च से 8 अप्रैल 2022 तक किया जाएगा। यह अभियान सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी।
शिशु संरक्षण माह की गतिविधियों के दौरान दी जाने वाली सेवाएं-
विटामिन- ए सिरप निर्धारित आयु के बच्चों को निश्चित अंतराल में दिया जाएगा। आईएफए सिरप दिया जाएगा। बच्चों का वजन लिया जाएगा। इसके साथ ही पोषण आहार के विषय में बच्चों की आयु के अनुरूप आहार की जानकारी दी जाएगी। महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से आंगनबाड़ी स्थित सत्रों में संपूरक पोषण आहार की सेवाओं को हितग्राहियों की पात्रता के अनुरूप उपलब्ध कराया जाएगा। अति गंभीर कुपोषित बच्चें जो एसएएम की श्रेणी में हैं, उन्हें चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केन्द्रों में उपचार हेतु भर्ती किया जाएगा।
अभियान के दौरान की जाने वाली गतिविधियां –
शिशु संरक्षण माह के दौरान 9 माह से 1 वर्ष के बच्चों को विटामिन -ए सिपर 1 एमएल, 1 वर्ष से 5 वर्ष के बच्चों को विटामिन-ए सिरप 2 एमएल तथा 6 माह से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में एक बार आईएफए सिरप 1 एमएल पिलाया जाएगा।
कोविड -19 संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक शिशु संरक्षण माह सत्र हेतु पंचायत एवं शहरी विकास विभाग से समन्वय कर पूर्व में ही स्थान का चयन एवं फिजिकल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देश अनुसार बैठक व्यवस्था तथा आगमन एवं निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करें। शिशु संरक्षण माह सत्र के बाद वह स्थान, बैठक व्यवस्था एवं अन्य सामग्री का सेनिटाइजेशन करना सुनिश्चित करें।
जिला अधिकारियों द्वारा सभी शिशु संरक्षण माह सत्र कोविड-19 के सामान्य दिशा निर्देशों (फिजिकल डिस्टेंसिंग, हैंड वाशिंग एवं रेस्पीरेटरी हाइजीन) का पालन करते हुए सावधानीपूर्वक किया जाए। ग्रामीण, पंचायत स्तर से विकासखंड स्तर पर एएनएम द्वारा बैठक, गृह-भ्रमण, एसएसएम सत्र से संबंधित कार्यक्रमों के दौरान कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करने कहा गया है। प्रति सत्र अधिकतम 10-15 लाभार्थी ही उपस्थित रहे। शिशु संरक्षण माह सत्र के दौरान स्टैंडर्ड अप्रोच का पालन करें एवं लाभार्थियों को अलग-अलग समय (टाइम स्लॉट) पर बुलाई जाए। प्रत्येक टाइम स्लॉट एक घंटे का होगा एवं एक स्लॉट में अधिकतम 10 लाभार्थी शामिल होंगे। जिसमें प्रत्येक लाभार्थी के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी बनी रहे। लाभार्थी की संख्या अधिक होने की स्थिति में एक से अधिक सत्र का आयोजन किया जा सकता है।