राजनांदगांव : नारी प्रकृति की सबसे सुंदर रचना…

दिग्विजय महाविद्यालय में एक दिवसीय महिला विधिक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि पद्मश्री फूलबासन यादव थटि। अध्यक्षता प्राचार्य डा. बीएन मेश्राम ने की।

राजनांदगांव : दिग्विजय महाविद्यालय में एक दिवसीय महिला विधिक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि पद्मश्री फूलबासन यादव थटि। अध्यक्षता प्राचार्य डा. बीएन मेश्राम ने की। विषय विशेषज्ञ के रूप में एएसपी सुरेशा चौबे, ला प्रोफेसर डा. श्रीमांशु दास व शरद श्रीवास्तव उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि फूलबासन यादव ने कहा कि कानूनी बातें अपनी जगह पर है पर महिलाओं का सबसे बड़ा दुश्मन उनका डर है।

Advertisements

उन्हें एकजुटता के साथ हर तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए। साथ ही जरुरी है की हम सभी मिलकर बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करेट। हम यदि संगठित रहेंगे तो समाज में होने वाले महिला अत्याचार एवं कई गंभीर अपराधों की रोकथाम किया जा सकता है। आज महिलाओं को जागरुक एवं संगठित होने की जरुरत है, यहि कार्यशाला का उददेश्य है।

एएसपी सुरेशा चौबे ने कहा कि महिलाओं को अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए स्वयं को मजबूत करना होगा, जो महिला अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकती है वह अपने समाज या देश के लिए कुछ नहीं कर सकती है। प्रसंगवश महिला उत्पीड़न के संदर्भ में कहा कि नारी प्रकृति की सबसे सुंदर रचना है। इसकी रक्षा एवं सुरक्षा को लेकर चिंतित होना जरुरी है।

सोच को बदलने की जरूरतः कार्यशाला को विषय विशेषज्ञ शरद श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। उन्होंने बताया कि बताया कि समाज में यह बहुत बडी विडंबना है कि हमारे समाज में महिला, पुरुष का भेद होने के साथ साथ उनके साथ हमारे या उनके परिवार के नजदीकी सदस्यों द्वारा शोषण किया जाता है। छोटे-छोटे बच्चियों के साथ यौनिक घटना एवं बलात्कार जैसी घटना घटित होती है।

परिवार का सगा बच्चियों को प्यार के बहाने ऐसी हरकतों को अंजाम देता है। गुड टच एवं बैड टच की जानकारी बच्चियों को नहीं होती है। इस सोच को हमें बदलना है और सकारात्मक परिवर्तन लाना है।

कार्यशाला के समापन सत्र में जिला विधिक प्राधिकरण सचिव न्यायाधीश प्रवीण मिश्रा ने घरेलू हिंसा महिला उत्पीडन और कारखाना अधिनियम आदि से जुडे वैधानिक पहलूओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि श्रम कानून के अंतर्गत सामाजिक संवेदना के साथ उन पर होने वाले कार्यस्थल पर उत्पीडन एवं उनके अधिकारों से परिचित कराना तथा कार्यस्थल कानून द्वारा उन्हें प्राप्त अधिकारों के प्रति जागरुक करने से इस समस्या का समाधान संभव है।

जिला विधिक प्राधिकरण हमेशा सहायता के लिए तत्पर है। आज के इस कार्यशाला का सार्थकता तभी होगी जब हम समाज के हर उस महिला को जागरुक करें जो कार्य या घरों में रहकर देखभाल करती है। छात्रों के जिज्ञासा को विशेषज्ञों द्वारा उत्तर देकर शांत किया गया।

SOURCE : naidunia.com