गंभीर कुपोषित बच्चों की मॉनिटरिंग, पौष्टिक आहार, दवाई तथा अभिभावकों की काऊंसलिंग की जिम्मेदारी मितानित तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की
कलेक्टर ने छुईखदान में सघन सुपोषण अभियान के तहत पोषण माह के कार्यों की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की बैठक ली
राजनांदगांव – कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत विकासखंड छुईखदान में सघन सुपोषण अभियान के तहत पोषण माह के कार्यों की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की बैठक ली। कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए सघन सुपोषण अभियान के तहत पोषण माह का शुभारंभ किया गया है। विकाखंड मानपुर एवं मोहला के बाद विकासखंड छुईखदान में भी रणनीति बनाकर कार्य करने की जरूरत है। गंभीर कुपोषित बच्चों की मॉनिटरिंग, पौष्टिक आहार, दवाई तथा अभिभावकों की काऊंसलिंग की जिम्मेदारी मितानित तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की है।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग समन्वय के साथ कार्य करें।कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15 दिनों में संबंधित बच्चे तथा एनीमिक माताओं की मेडिकल जांच करना सुनिश्चित करें। बच्चों का हेल्थ कार्ड भी बनाएं, जिससे बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चे को हम तीन श्रेणी में बांट सकते हैं। पहला ऐसे बच्चे जिन्हें सिर्फ पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है तथा पौष्टिक आहार मिलने से उनका स्वास्थ्य ठीक हो सकता है। दूसरा कम बीमार बच्चे जैसे क्रीमी एवं अन्य बीमारियां जिसे समय पर दवाई उपलब्ध कराकर ठीक किया जा सकता है। तीसरा ऐसे बच्चे जो गंभीर रूप से बीमार हैं। इन बच्चों को एम्स और यूनिसेफ के माध्यम से उपचार कराया जाएगा। इन बच्चों को रायपुर एम्स उपचार के लिए भेज सकते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग दोनों एक साइकिल दो पहिए हैं, कुपोषण दूर करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को घर पर सबसे पहले खाना देना है। इसके लिए समाज को जागृत करने की जरूरत है। समाज सेवी संस्था द्वारा कुपोषित बच्चों के लिए पोषण किट उपलब्ध कराई जा रही है। यह अभियान सामुदायिक सहभागिता के साथ चलाया जा रहा है। इसमें सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है।कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानित कुपोषण दूर करने में आधार स्तंभ का कार्य करती हैं। इनके प्रयासों से जिले में कुपोषण को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बच्चे और महिलाओं को समय में गर्म भोजनए दवाईयां उपलब्ध कराएं और समय पर टीकाकरण कराएं।
हीमोग्लोबिन जांच सहित अन्य जांच के लिए चार्ट बनाएं, जिसमें महिला तथा बच्चे को लगने वाले टीके की जानकारी रखें। उन्होंने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जी, भाजी, मूंग, चना, अंडा आदि बच्चों को खिलाएं। उन्होंने कहा कि बच्चों और माताओं के खाने की गुणवत्ता में समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने तीज पर्व में अभियान के रूप में महिलाओं को कुपोषण के प्रति जागरूक करने और बच्चों को सही समय में खाना देने के बारे में बताएं। उन्होंने कहा कि विकासखंड में कोविड-19 टीकाकरण को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है।जिला पंचायत सीईओ श्री लोकेश चंद्राकर ने कहा कि एनीमिक माताएं और कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। छुईखदान विकासखंड के प्रत्येक एनीमिक माता एवं कुपोषित बच्चे को एक-एक मितानिन ध्यान देंगे, तो उन्हें कुपोषण से दूर कर सकते हैं।
इन माताओं एवं बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराकर समय पर खाना एवं दवाई लेने के लिए प्रेरित करें और इनकी लगातार मानिटरिंग करें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिए माताओं का स्वस्थ रहना जरूरी है। 12 से 19 साल की किशोरियों का हिमोग्लोबिन जांच कराकर दवाई उपलब्ध कराएं। कुपोषित बच्चों के घर में जाकर समय में उनके खाना तथा दवाई लेने का मॉनिटरिंग करें। मितानिन तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चेक लिस्ट तैयार कर प्रतिदिन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लें। उन्होंने कहा कि 6 माह तक के बच्चे को सिर्फ मां का दूध पिलाएं। इसके साथ ही माता एवं बच्चों का सही समय में टीकाकरण सुनिश्चित करें। कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती रेणु प्रकाश ने सुपोषण अभियान के तहत किए जाने वाले कार्यों की जानकारी दी। इस अवसर पर एसडीएम छुईखदान श्री अरूण कुमार, जनपद सीईओ श्री प्रकाश तारम सहित स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित थे।